नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन साल बाद न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में शिरकत करने जा रहे हैं. उन्होंने 2015 में संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन की 70वीं वर्षगांठ में भाग लिया था. इस दौरान उन्होंने दुनिया के अन्य नेताओं के साथ 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) वाले एजेंडा 2030 को अपनाया था. इसके बाद दुनिया में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं. एजेंडा 2030 ने विकास और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों को आपस में मिला दिया है. पीएम मोदी ने इस शिखर सम्मेलन में कहा था कि एसडीजी में भारत का विकास एजेंडा स्पष्ट है.
एजेंडा 2030 में निर्धारित विकास लक्ष्यों को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है. 23-24 सितंबर को जब पीएम मोदी न्यूयॉर्क में होने वाले उच्च स्तरीय कार्यक्रमों में भाग लेंगे, इस दौरान भारत में एजेंडा 2030 को लागू करने की भूमिका पर प्रकाश डाला जाएगा.
ये होंगे कार्यक्रम
संयुक्त राष्ट्र महासचिव का जलवायु एक्शन सम्मेलन, यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज पर उच्च स्तरीय बैठक, सतत विकास लक्ष्य शिखर सम्मेलन, लीडर्स डायलॉग और 24 सितंबर को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में उच्च स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन होगा.
योग दिवस का समर्थन
2014 में पीएम मोदी ने प्रस्ताव दिया था कि 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाए, जिसे बाद में UNGA ने मान्यता दी और इसे स्वास्थ्य और कल्याण के रूप में मनाया जाने लगा. यूएनजीए ने इस प्रस्ताव पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से प्रतिक्रिया मांगी, जिस पर दुनिया के 177 देशों ने रिकॉर्ड 75 दिनों के भीतर इस प्रस्ताव पर सहमति जताई.
अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में हासिल की सफलता
बता दें भारत ने 2019 के मध्य तक अक्षय ऊर्जा के लिए 80 गीगावॉट (GW) क्षमता स्थापित करने और SDG7 के तहत स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्य को पूरा करने के लिए 175 GW अक्षय ऊर्जा के अपने राष्ट्रीय लक्ष्य के खिलाफ एक प्रमुख कदम के रूप में सफलता हासिल की थी. यूएनजीए ने इसकी सराहना की थी.
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इन क्षेत्रों में भारत का पक्ष मजबूत
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय को बिजली देने के लिए भारतीय सौर पैनलों के इस्तेमाल को पीएम की यात्रा के दौरान भारत के स्वच्छ ऊर्जा के इस्तेमाल के रूप में पेश किया जाएगा. इसके अलावा 2018 में शुरू हुए आयुष्मान भारत कार्यक्रम का लक्ष्य 50 करोड़ लोगों को लाभ देना है, जो कि SDG 3 के उद्देश्य अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण को पूरा करने में एक प्रमुख योगदान के रूप में गिना जाएगा. साथ ही SDG 6 के तहत खुले में शौच को कम करने के स्वच्छता उद्देश्य के रूप में भारत के सफल 'स्वच्छ भारत अभियान' को गिना जाएगा.
शांति के बिना विकास नहीं
एजेंडा 2030 की प्रस्तावना में दुनिया के नेताओं ने जोर देकर कहा था कि सतत विकास के बिना शांति नहीं हो सकती और शांति के बिना सतत विकास नहीं हो सकता. पीएम मोदी बैठक में इस उद्देश्य को सुनिश्चित करने के लिए विश्व नेताओं के साथ बहुपक्षीयता में सुधार पर ध्यान केंद्रित करेंगे. 2005 में विश्व नेताओं द्वारा सर्वसम्मति से यह कहा था कि बहुपक्षवाद में सुधार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के मूल सुधार में है.
प्रमुख शक्ति बनने के लिए इसकी जरूरत
यूएनएससी के सुधार भारत के लिए सही नहीं है क्यों कि यूएनएससी के निर्णय भारत को प्रमुख शक्ति में बदलने के लिए जरूरी बाहरी वातावरण देने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं.
UNSC में समान रूप से निर्णय ले
भारत को यूएनएससी के निर्णय लेने वालों में समान रूप से भाग लेना चाहिए. चीन ने UNSC में 50 साल बाद 16 अगस्त 2019 को 'भारत-पाकिस्तान' मुद्दे को फिर से उठाने की कोशिश की थी, जो कि इसके पीछे के तर्क को दर्शाते हैं. इसके साथ ही यूएनएससी के यमन, ईरान और अफगानिस्तान सहित पश्चिमी भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता पर लिए गए फैसलों में भी भारत को समान रूप से भाग लेने की जरूरत है.
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इन क्षेत्रों से भारत को फायदा
दरअसल यह क्षेत्र भारत के हितों के लिए महत्वपूर्ण है, क्यों कि यहां से सालाना 80 लाख भारतीयों के 40 बिलियन डॉलर का भुगतान होता है. साथ ही भारत के व्यापार और ऊर्जा व्यापार का थोक परिवहन और डिजिटल इंडिया के लिए वैश्विक फाइबर-ऑप्टिक कनेक्टिविटी की मेजबानी भी करता है.
विश्व की प्रमुख शक्तियां कर रहीं एकतरफा कार्रवाई
74वें UNGA में भारत को अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए ऐसे समय नेतृत्व प्रदान करना है जब विश्व की प्रमुख शक्तियों की एकतरफा कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र के सदस्य-राज्यों की संप्रभुता को चुनौती दे रही है. यही वजह है कि UNGA ने 14 जून 2019 को संयुक्त राष्ट्र के बहुपक्षवाद के प्रति विश्वास की पुष्टि के लिए एक संकल्प किया था.
पीएम के संबोधन में हो यह मुद्दे
इस विषय को 21 सितंबर 2020 को संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ पर होने वाले शिखर सम्मेलन की कार्ययोजना में शामिल किया जाएगा. भारत को शांति, सुरक्षा और सतत विकास के मुद्दों की जैविक निर्भरता पर प्रकाश डालने के लिए 27 सितंबर 2019 को पीएम मोदी के संबोधन के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाना चाहिए.
(लेखक- अशोक मुखर्जी)
⦁ लेखक संयुक्त राष्ट्र (2013-2015) में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि रह चुके हैं.
⦁ वह नई दिल्ली स्थित विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के प्रतिष्ठित सदस्य हैं.