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बनास डेयरी की नई पहल, भाप से पानी का उत्पादन - asias number one banas dairy

बनास डेयरी के चेयरमैन शंकर चौधरी ने रेगिस्तानी इलाकों में सोलर प्लेट्स के इस्तेमाल का तरीका विकसित किया है. जिससे भविष्य में पानी की समस्या से निजात पाना संभव होगा.

बनास डेयरी
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Published : Oct 27, 2020, 1:55 PM IST

गांधी नगर : बनास डेयरी द्वारा एक नया प्रयोग किया गया है. अब लोगों को रेगिस्तानी इलाके में भी पानी की सुविधा उपलब्ध होगी. बनास डेयरी के चेयरमैन शंकर चौधरी ने रेगिस्तानी इलाकों में सोलर प्लेट्स के इस्तेमाल का तरीका विकसित किया है.

यह विधि अब प्रति दिन 120 लीटर शुद्ध पेयजल का उत्पादन करेगी. जो रेगिस्तानी इलाके में रहने वाले और जाने वाले लोगों के लिए बहुत उपयोगी होगा. यदि यह प्रयोग सफल रहा, तो निकट भविष्य में पानी की समस्या से निजात पाना संभव होगा.

बनास डेयरी की नई पहल

बनासकांठा का जीवन

बनासकांठा जिला रेगिस्तान के किनारे जुडा हुआ जिला है जिसके कारण हर साल बनासकांठा जिले के सीमा पर आए हुए लोगों को सबसे ज्यादा पानी की समस्या होती है. हर साल बनासकांठा जिले में पीने के पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.

पढ़ें : विशेष : कोरोना महामारी बढ़ाएगी पानी की समस्या

बनासकांठा जिले के लोग पिछले कई वर्षों से पीने के पानी के लिए मुश्किलों को सामना करते आ रहे हैं. गर्मी की शुरुआत के साथ सीमा क्षेत्र के लोगों को पानी के लिए बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. बनासकांठा जिले के लोगों को पीने के पानी के लिए कभी कभी पांच दिनों तक इंतजार करना पड़ा है.

भविष्य में इन क्षेत्रों में पानी की कमी को रोकने के लिए नया प्रयोग किया जा रहा है. एशिया की सबसे बड़ी बनास डेयरी अब हवा से पानी बनाने की विधि पर शोध कर रही है और यह भी उम्मीद करती है कि इस पद्धति से सीमा क्षेत्र के लोगों को भविष्य में पानी की समस्या से छुटकारा मिलेगा. शायद अब तक नहीं सुना गया है लेकिन जिस तरह हवा में बिजली उत्पन्न की जाती है उसी तरह पानी भी उत्पन्ना किया जाएगा.

गांधी नगर : बनास डेयरी द्वारा एक नया प्रयोग किया गया है. अब लोगों को रेगिस्तानी इलाके में भी पानी की सुविधा उपलब्ध होगी. बनास डेयरी के चेयरमैन शंकर चौधरी ने रेगिस्तानी इलाकों में सोलर प्लेट्स के इस्तेमाल का तरीका विकसित किया है.

यह विधि अब प्रति दिन 120 लीटर शुद्ध पेयजल का उत्पादन करेगी. जो रेगिस्तानी इलाके में रहने वाले और जाने वाले लोगों के लिए बहुत उपयोगी होगा. यदि यह प्रयोग सफल रहा, तो निकट भविष्य में पानी की समस्या से निजात पाना संभव होगा.

बनास डेयरी की नई पहल

बनासकांठा का जीवन

बनासकांठा जिला रेगिस्तान के किनारे जुडा हुआ जिला है जिसके कारण हर साल बनासकांठा जिले के सीमा पर आए हुए लोगों को सबसे ज्यादा पानी की समस्या होती है. हर साल बनासकांठा जिले में पीने के पानी के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है.

पढ़ें : विशेष : कोरोना महामारी बढ़ाएगी पानी की समस्या

बनासकांठा जिले के लोग पिछले कई वर्षों से पीने के पानी के लिए मुश्किलों को सामना करते आ रहे हैं. गर्मी की शुरुआत के साथ सीमा क्षेत्र के लोगों को पानी के लिए बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. बनासकांठा जिले के लोगों को पीने के पानी के लिए कभी कभी पांच दिनों तक इंतजार करना पड़ा है.

भविष्य में इन क्षेत्रों में पानी की कमी को रोकने के लिए नया प्रयोग किया जा रहा है. एशिया की सबसे बड़ी बनास डेयरी अब हवा से पानी बनाने की विधि पर शोध कर रही है और यह भी उम्मीद करती है कि इस पद्धति से सीमा क्षेत्र के लोगों को भविष्य में पानी की समस्या से छुटकारा मिलेगा. शायद अब तक नहीं सुना गया है लेकिन जिस तरह हवा में बिजली उत्पन्न की जाती है उसी तरह पानी भी उत्पन्ना किया जाएगा.

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