कोलकाता: नाजी जर्मनी और वर्तमान भारत के बीच तुलना करते हुए लेखिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता अरूंधति रॉय ने कहा कि उन्हें यह देखकर खुशी है कि सरकार के 'विभाजनकारी' नागरिकता कानून और राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तावित एनआरसी के खिलाफ बड़ी संख्या में छात्र सड़कों पर उतरे हैं.
लेखिका अरूंधति रॉय ने आरएसएस द्वारा युवा दिमागों में 'घुसपैठ' के कथित प्रयासों की निंदा की. उन्होंने कहा कि दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा संचालित 'विशिष्ट शिविरों या स्कूलों' में बच्चों का नामांकन कराके उनके दिमाग में 'घुसपैठ' की गई है.
सातवें कोलकाता लोक फिल्म महोत्सव में उन्होंने शिरकत की. इस मौके पर उन्होंने लोगो को संबोधित भी किया. अपने संबोधन में रॉय ने कहा, 'इस्लामोफोबिया को सामान्य करने का प्रयास किया जा रहा है'.
संशोधित नागरिकता कानून की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा 'संशोधित नागरिकता कानून' आर्थिक रूप से वंचित और हाशिये पर रह रहे मुस्लिमों, दलितों और महिलाओं को काफी प्रभावित करेगा.
राजनीति में दिन ब दिन गिरती जा रही भाषा की मर्यादा का जिक्र करते हुए उन्होंने ने कहा, 'राजनीतिक संबोधन अब बहुत खराब हो गया है...यह सांप्रदायिक नफरत फैलाने जैसा है. यह इस रूप में भी छलावा है कि एनआरसी और सीएए के सही उद्देश्य को छिपाया गया है.'
उन्होंने दावा किया कि वर्तमान भारत सरकार की नीति, नाजी जर्मन का ही स्वरूप है.
हाल के दिनों में देश के चर्चित विश्विधालयों में छात्रों के द्वारा केंद्र सरकार के कानूनों का मुखर विरोध किये जाने की उन्होंने प्रशंसा की और छात्रों के द्वारा वर्तमान परिस्थितियों के बदलने की उम्मीद जाहिर की.
सीएए कानून को समाज में खाई पैदा करने वाला करार देते हुए राय ने इस कानून के खिलाफ देशव्यापी जनआंदोलन की सराहना की और कहा कि इस आंदोलन ने बीजेपी और आरएसएस की ताकत को कमजोर किया है.
शाहीन बाग, पार्क सर्कस और अन्य जगहों पर चल रहे धरनों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'मुस्लिम महिलाएं अपनी आवाज उठाने के लिए बाहर निकल रही हैं और यह बड़ी बात है.'
मुस्लिम महिलाओं के द्वारा आंदोलन में बढ़चढ़कर भाग लेने को अनुरुधती राय ने कहा 'यह दिखाता है कि किस तरह मुस्लिम आवाज उठा सकते हैं, अभी तक उन्हें राजनीतिक क्षेत्र से बाहर रखा गया...पहले जिन लोगों को बोलने का मौका मिलता था वे मौलाना की तरह के लोग ही होते थे.'
कुछ लोगों द्वारा आंदोलन को मुस्लिम केंद्रीत आंदोलन बताए जाने पर रॉय ने कहा, 'अब आंदोलन में हर जाति और धर्म की आवाज सुनने को मिल रहा है, सभी की आवाज सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ है, इस आवाज में मुस्लिमों की आवाज भी शामिल है