जलेसर (उत्तर प्रदेश) : दाउ दयाल 30 वर्ष से अधिक वक्त से विभिन्न आकार-प्रकार की घंटियां बना रहे हैं लेकिन इस बार उन्होंने और उनकी टीम ने अयोध्या के राम मंदिर के लिए 2,100 किलोग्राम वजग का घंटा बनाकर उत्तर प्रदेश के जलेसर नगर में हर किसी को चौंका दिया है.
दिलचस्प बात यह है कि जिस व्यक्ति ने इसका डिजाइन तैयार किया है वह एक मुस्लिम कारीगर है और उसका नाम इकबाल मिस्त्री है.
दयाल ने कहा, 'हमारे मुस्लिम भाइयों को डिजाइनिंग, घिसाई और पॉलिशिंग में विशेषज्ञता हासिल है.'
दयाल और मिस्त्री ने कहा कि यह पहली बार है जब उन्होंने इस आकार के घंटे पर काम किया है.
चाढ़ पीढियों के घंटी निर्माता, 50 वर्षीय दयाल ने कहा, 'जब आप इस आकार के घंटे पर काम करते हैं तो मुश्किलों का स्तर कई गुणा अधिक बढ़ता है. यह सुनिश्चित करना बहुत कठिन है कि महीने भर चलने वाली प्रक्रिया में एक भी गलती नहीं हो.'
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उन्होंने कहा, 'हमारे लिए उत्साहित करने वाली बात यह है कि हम इसे राम मंदिर के लिए बना रहे हैं, लेकिन विफल होने का डर कहीं न कहीं हमारे दिमाग में था.'
मिस्त्री के मुताबिक ऐसे कार्यों में सफलता की किसी भी तरह की गारंटी नहीं होती है. अगर सांचे में पिघले धातु को डालने में पांच सेकेंड की भी देरी हो जाती है तो पूरी कोशिश बेकार हो जाती है.
अपनी उपलब्धि पर खुशी मनाते हुए 56 वर्षीय मिस्त्री ने कहा, 'इसकी सबसे अनोखी बात है कि यह ऊपर से नीचे तक एकसार है. इसमें कई टुकड़े साथ नहीं जोड़े गए हैं. इसी कारण से यह काम बहुत मुश्किल था.'
यह घंटा न सिर्फ पीतल से बना है बल्कि 'अष्टधातु' यानि आठ धातुओं - सोना, चांदी, तांबा, जिंक, सीसा, टिन, लोहे और पारे के मिश्रण से बना है.
एटा जिले में जलेसर नगर परिषद के प्रमुख एवं घंटा बनाने वाले कार्यशाला के मालिक विकास मित्तल ने कहा, 'यह वस्तु, जो भारत का सबसे बड़ा घंटा है, उसे राम मंदिर को दान दिया जाएगा.'
मित्तल परिवार को 2,100 किलोग्राम का घंटा तैयार करने का ऑर्डर राम मंदिर मामले में पिछले साल नवंबर में आए फैसले के तुरंत बाद निर्मोही अखाड़ा से मिला था जो अयोध्या विवाद में एक वादी था.
देश की 'सबसे बड़ी घंटियों में से एक' को बनाने के लिए 25 कारीगरों की एक टीम जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों थे, ने एक महीने तक प्रतिदिन आठ घंटे काम किया.
इससे पहले दयाल ने 101 किलोग्राम वजन का घंटा बनाया था जिसका उपयोग उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर में किया गया.