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नागरिकता कानून पूरी तरह केंद्रीय सूची का विषय : आरिफ मोहम्मद

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा है कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विशुद्ध रूप से केंद्रीय सूची का विषय है. इसे हर राज्य को लागू करना होगा. वह जयपुर में कलाबोध रामायण महाभारत को लेकर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. पढ़ें पूरी खबर..

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आरिफ मोहम्मद.
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Published : Jan 18, 2020, 11:38 PM IST

जयपुर : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को कहा कि संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) पूरी तरह से केंद्रीय सूची का विषय है और सभी राज्यों को इसे लागू करना ही पड़ेगा.

आरिफ मोहम्मद यहां कलाबोध रामायण महाभारत को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे. इस दौरान सीएए के विरोध के संदर्भ में उन्होंने आर्टिकल 254 का हवाला देते हुए कहा, 'यह विषय खालिस केंद्रीय सूची का है. इसलिए सभी राज्य सरकारों को इसे हर हाल में लागू करना पड़ेगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

उन्होंने कहा कि हर किसी को लोकतंत्र में अपनी बात रखने का हक है. भारत में लोकतंत्र आजादी के बाद ही नहीं आया बल्कि भारत में आध्यात्मिक लोकतंत्र आजादी से पहले से है. इसी के चलते आज देश में लोकतंत्र इतना सर्वाइव कर रहा है.

आरिफ मोहम्मद ने कहा, 'लोग अपनी राय रखते हैं, उसका स्वागत है. हमें राय रखने का अधिकार है और विरोध करने का भी अधिकार है, लेकिन ये अधिकार नहीं है कि हम कानून की सीमाओं को तोड़ें. किसी का भी विरोध हो, उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. लेकिन सीएए खालिस तौर पर केंद्रीय सूची का विषय है. ये राज्य का विषय नहीं है.'

पढे़ंः CAA के समर्थन में पाकिस्तानी शरणार्थियों ने निकाली पदयात्रा

राज्यपाल ने कहा कि हर किसी को अपने अधिकार क्षेत्र को मानने की जरूरत है और इसे लागू करने के अलावा कानूनी तौर पर किसी के पास कोई चारा नहीं. देशभर में हो रहे विरोध को लेकर उन्होंने कहा कि पहली बार देश मे विरोध नहीं हो रहा, इससे पहले 1986 में भी, जब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बदला गया था, देश में विरोध प्रदर्शन हुए थे. ये इंसानी मिजाज है.

जयपुर : केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को कहा कि संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) पूरी तरह से केंद्रीय सूची का विषय है और सभी राज्यों को इसे लागू करना ही पड़ेगा.

आरिफ मोहम्मद यहां कलाबोध रामायण महाभारत को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए थे. इस दौरान सीएए के विरोध के संदर्भ में उन्होंने आर्टिकल 254 का हवाला देते हुए कहा, 'यह विषय खालिस केंद्रीय सूची का है. इसलिए सभी राज्य सरकारों को इसे हर हाल में लागू करना पड़ेगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

उन्होंने कहा कि हर किसी को लोकतंत्र में अपनी बात रखने का हक है. भारत में लोकतंत्र आजादी के बाद ही नहीं आया बल्कि भारत में आध्यात्मिक लोकतंत्र आजादी से पहले से है. इसी के चलते आज देश में लोकतंत्र इतना सर्वाइव कर रहा है.

आरिफ मोहम्मद ने कहा, 'लोग अपनी राय रखते हैं, उसका स्वागत है. हमें राय रखने का अधिकार है और विरोध करने का भी अधिकार है, लेकिन ये अधिकार नहीं है कि हम कानून की सीमाओं को तोड़ें. किसी का भी विरोध हो, उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है. लेकिन सीएए खालिस तौर पर केंद्रीय सूची का विषय है. ये राज्य का विषय नहीं है.'

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राज्यपाल ने कहा कि हर किसी को अपने अधिकार क्षेत्र को मानने की जरूरत है और इसे लागू करने के अलावा कानूनी तौर पर किसी के पास कोई चारा नहीं. देशभर में हो रहे विरोध को लेकर उन्होंने कहा कि पहली बार देश मे विरोध नहीं हो रहा, इससे पहले 1986 में भी, जब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बदला गया था, देश में विरोध प्रदर्शन हुए थे. ये इंसानी मिजाज है.

Intro:सीएए खालिस और खालिस केन्द्रीय सूची का विषय राज्य का नही हर राज्य को इसे लागू करना ही पडेगाBody:केरल के राज्यपाल आरिफ महोम्मद ने आज बढी बात कहते हुए कहा कि सीएए शुद तौर पर केन्द्रीय सूची का विषय है आर्टिकल 254 के तहत इसे राज्यों को मानना ही पडेगा।उन्होने कहा कि हर किसी को लोकतंत्र में अपनी बात रखने का हक है ओर भारत में लोकतंत्र आजादी के बाद ही नही आया बल्कि भारत में आध्यात्मिक लोकतंत्र आजादी से पहले से है इसी के चलते आज देश में लोकतंत्र इतना सर्वाइव कर रहा है।लोग अपनी राय रखते हैं उसका स्वागत है हमे राय रखने का अधिकार है ओर प्रोटेस्ट का अधिकार है लेकिन ये अधिकार नही है कि हम कानुन की सीमाओं को तोडें।मामला कोई भी हो विरोध में इसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया जा सकता है।सीएए खालिस तौर पर केन्द्रीय सूची का विषय है ये राज्य का विषय नही है ये राज्य सूची का विषय नही है हर किसी को अपने अधिकार क्षेत्र को मानने की जरूरत है और इसे लागू करने के अलावा कानूनी तोर पर किसी के पास कोई चारा नही है।वही देश में हो रहे प्रोटेस्ट को लेकर उन्हानेे कहा कि पहली बार देश मे विरोध नही हो रहा है इससे पहले 1986 में जब सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बदला गया था उस समय भी देश में विरोध प्रदर्शन हुए थे ये इंसानी मिजाज है गौरतलब है कि केरल के राज्यपाल आरिफ महोम्मद आज जयपुर में कलाबोध रामायण महाभारत को लेकर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने आये थे
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आरीफ महोम्मद राज्यपाल केरल Conclusion:
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