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विवादित नक्शे के बाद अब नेपाली एफएम रेडियो पर बज रहे भारत विरोधी गाने

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Published : Jun 21, 2020, 10:54 PM IST

नेपाली एफएम रेडियो पर भारत विरोधी गाने बजाए जा रहे हैं. इन गानों में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपना बताया जा रहा है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

पिथौरागढ़ : बीते दिनों हुए भारत-नेपाल सीमा विवाद के बाद नेपाली एफएम रेडियो पर भारत विरोधी गानों का प्रसारण शुरू हो गया है. इन गानों में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपना बताते हुए इसे छुड़ाने की बात कही गयी है. इन गानों का प्रसारण नेपाल के दार्चुला एफएम समेत कुछ अन्य चैनलों पर हो रहा है, जिसे उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में भी सुना जा सकता है.

एफएम पर लगातार बज रहे भारत विरोधी गानों का भारत-नेपाल बॉर्डर पर रहने वालों ने विरोध करते हुए सुनना बंद कर दिया है. साथ ही बॉर्डर के आस-पास रहने वाले लोगों ने नेपाली एफएम चैनल द्वारा इस तरह के गाने प्रसारित करने पर नाराजगी देखने को मिल रही है.

मित्र राष्ट्र नेपाल ने भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल कर लिया है. अब इससे संबंधित गीत नेपाल के एफएम रेडियो पर भी प्रसारित हो रहे हैं. इन गीतों में भारतीय क्षेत्रों को भारत से छुड़ाने के लिए नेपाली नागरिकों से आह्वन किया गया है. यही नहीं नेपाल के सोशल मीडिया पर भी भारत के खिलाफ विवादित पोस्ट की जा रही है. साथ ही यू-ट्यूब चैनल पर भी नेपाल के लोग कालापानी, लिपुलेख, लिम्पियाधुरा को अपना बता रहे हैं.

पढ़ें : गलवान हिंसा : भारत-नेपाल सीमा पर स्थित यूपी के बाशिंदों में आक्रोश

सीमांत क्षेत्र धारचुला के लोग नेपाल की इस तरह की गतिविधियों का विरोध कर रहे हैं. रं कल्याण संस्था धारचुला इकाई के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण गर्ब्याल का कहना है कि भारत और नेपाल के बीच सदियों पुराने रोटी-बेटी के रिश्ते रहे हैं, ऐसे में दोनों मुल्कों के रिश्तों को ध्यान में रखते हुए लोगों की भावनाओं को भड़काने वाले गीतों के प्रचार-प्रसार पर रोक लगनी चाहिए.

नोट : सनद रहे ईटीवी भारत इस खबर की पुष्टि नहीं करता है. इसे महज खबर के तौर पर लिखा गया है. इस खबर का उद्देश्य किसी भी देश की गतिविधियों या फिर किसी अन्य क्रियाकलापों में हस्तक्षेप करना नहीं है.

पिथौरागढ़ : बीते दिनों हुए भारत-नेपाल सीमा विवाद के बाद नेपाली एफएम रेडियो पर भारत विरोधी गानों का प्रसारण शुरू हो गया है. इन गानों में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपना बताते हुए इसे छुड़ाने की बात कही गयी है. इन गानों का प्रसारण नेपाल के दार्चुला एफएम समेत कुछ अन्य चैनलों पर हो रहा है, जिसे उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में भी सुना जा सकता है.

एफएम पर लगातार बज रहे भारत विरोधी गानों का भारत-नेपाल बॉर्डर पर रहने वालों ने विरोध करते हुए सुनना बंद कर दिया है. साथ ही बॉर्डर के आस-पास रहने वाले लोगों ने नेपाली एफएम चैनल द्वारा इस तरह के गाने प्रसारित करने पर नाराजगी देखने को मिल रही है.

मित्र राष्ट्र नेपाल ने भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल कर लिया है. अब इससे संबंधित गीत नेपाल के एफएम रेडियो पर भी प्रसारित हो रहे हैं. इन गीतों में भारतीय क्षेत्रों को भारत से छुड़ाने के लिए नेपाली नागरिकों से आह्वन किया गया है. यही नहीं नेपाल के सोशल मीडिया पर भी भारत के खिलाफ विवादित पोस्ट की जा रही है. साथ ही यू-ट्यूब चैनल पर भी नेपाल के लोग कालापानी, लिपुलेख, लिम्पियाधुरा को अपना बता रहे हैं.

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सीमांत क्षेत्र धारचुला के लोग नेपाल की इस तरह की गतिविधियों का विरोध कर रहे हैं. रं कल्याण संस्था धारचुला इकाई के पूर्व अध्यक्ष कृष्ण गर्ब्याल का कहना है कि भारत और नेपाल के बीच सदियों पुराने रोटी-बेटी के रिश्ते रहे हैं, ऐसे में दोनों मुल्कों के रिश्तों को ध्यान में रखते हुए लोगों की भावनाओं को भड़काने वाले गीतों के प्रचार-प्रसार पर रोक लगनी चाहिए.

नोट : सनद रहे ईटीवी भारत इस खबर की पुष्टि नहीं करता है. इसे महज खबर के तौर पर लिखा गया है. इस खबर का उद्देश्य किसी भी देश की गतिविधियों या फिर किसी अन्य क्रियाकलापों में हस्तक्षेप करना नहीं है.

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