नई दिल्ली : भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी एम नागेश्वर राव ने मौलाना अबुल कलाम आजाद समेत अन्य पूर्व शिक्षा मंत्रियों पर भारतीय इतिहास से 'छेड़छाड़' करने का आरोप लगाया है. राव ने 'हिंदुओं के उन्मूलन का पहला चरण' के शीर्षक से सिलसिलेवार ट्वीट कर टिप्पणी की है.
राव ने आरोप लगाया कि आजादी के बाद शुरुआत के 30 सालों में देश के शिक्षा मंत्रियों ने 'खूनी इस्लामी आक्रमण अथवा शासन को नकार कर और उस पर लीपापोती' के जरिए भारतीय इतिहास को 'तोड़ा-मरोड़ा' था और इन शिक्षा मंत्रियों में मौलाना अबुल कलाम आजाद भी शामिल थे.उनका कहना था कि आजादी के बाद इन 30 साल में से 20 साल के कार्यकाल में शिक्षा की कमान किनके हाथों में रही?
31 जुलाई को सेवानिवृत्त होने जा रहे होम गार्ड्स के महानिदेशक और सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक रहे राव ने शनिवार को एक के बाद एक कई ट्वीट किए. उन्होंने कहा, '30 वर्षों में से(1947-77) 20 वर्ष ये शिक्षा मंत्री थे.'
उन्होंने कहा, 'मौलाना अबुल कलाम आजाद 11 वर्ष (1947-58), हुमायूं कबीर, एम सी चागला और फकरुद्दीन अली अहमद 4 वर्ष (1963-67), नुरुल हसन 5 वर्ष (1972-77). बाकी 10 वर्ष अन्य वामपंथी जैसे वीकेआरवी राव.' राव ने सवाल किया कि इन्होंने क्या किया?
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सीबीआई के अंतरिम निदेशक रहे राव ने ट्वीट में कहा, 'बड़े पैमाने पर इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया. इस्लामिक खूनी आक्रमण/शासन को नकारा गया और लीपापोती की गई. वामपंथ और अल्पसंख्यक समर्थक शिक्षाविदों/विद्वानों को सरकार का लगातार संरक्षण मिला, सभी हिंदुत्व राष्ट्रवादी शिक्षाविदों/विद्वानों को व्यवस्थित तरीके से सरकार द्वारा दरकिनार किया गया.'
वहीं, उनके ट्वीट के बाद सेवा शर्तों का हवाला देते हुए कई शिक्षाविदों और पत्रकारों ने सवाल भी खड़े किए हैं. इसके जवाब में राव ने रविवार को ट्वीट कर जवाब दिया और कहा, 'लेकिन मैं पूछता हूं कि क्या संविधान और नियम हिंदू सभ्यता का ईसाईकरण करने की अनुमति देते हैं?'