नई दिल्ली : विश्व में कोरोना वायरस का प्रकोप लगातार फैलता जा रहा है. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मंगलवार को कहा है कि कोविड-19 का प्रसार अब हवा में भी हो सकता है. यह एरोसोल नामक बहुत छोटी बूंदें उत्पन्न करती हैं. इसे एरोसोल-जनरेटिंग प्रक्रिया कहा जाता है.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे द्वारा संसद में कोविड-19 एयरबोर्न मुद्दे से जुड़े व्यापक संदेह को निश्चित रूप से स्पष्ट किया. उन्होंने कहा कि भारत के बहुत से जिलों में संक्रमण तेजी से फैल रहा है.
भारत में 77 प्रतिशत सक्रिय मामलों में केवल 10 राज्य शामिल है. महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा, असम और केरल अधिकतम सक्रिय मामलों की गिनती कर सकते हैं.
कोविड-19 वैक्सीन का उल्लेख करते हुए, चौबे ने कहा कि केंद्र सरकार और उद्योग पूरी कोशिश कर रहे हैं कि जल्द से जल्द बीमारियों के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी टीका उपलब्ध हो सके, लेकिन टीके का निर्माण करने के लिए एक समय निश्चित करना मुश्किल है.
केंद्रीय दवाओं के मानक नियंत्रण संगठन ने कोविड-19 वैक्सीन के निर्माण के लिए भारत में सात दवा निर्माताओं, भारत बायोटेक, कैलडिला हेल्थकेयर लिमिटेड, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, बायोलॉजिकल ई लिमिटेड, रिलायंस लाइफ साइंस, अरबिंदो फार्मा लिमिटेड सहित जेनोवा बायोफार्मा फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड को परीक्षणों की अनुमति प्रदान की है.
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गौरतलब है कि आईसीएमआर ने वैक्सीन विकास से संबंधित विभिन्न अध्ययनों और अन्य अनुसंधान गतिविधियों के लिए 2500 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.