ETV Bharat / bharat

रामनगरी में बना दीपों का वर्ल्ड रिकॉर्ड, फिर भी अंधेरे में रहने को मजबूर 422 परिवार

एक ओर रामनगरी अयोध्या में लाखों दीप जलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया गया. वहीं, दूसरी ओर कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो आज भी अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. इन लोगों का कहना है कि उनकी जिंदगी के इस अंधेरे को भगवान राम ही दूर कर सकते हैं और वह राम कब आएंगे कोई नहीं जानता. जानें क्या है पूरा मामला...

डिजाइन इमेज
author img

By

Published : Oct 30, 2019, 8:44 AM IST

अयोध्या : दीपावली के अवसर पर अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम के द्वारा एक नया रिकॉर्ड बनाया गया. वहीं, राम जन्मभूमि क्षेत्र के 422 परिवार ऐसे हैं, जो उदासी, बदहाली और अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. इनकी जिन्दगी में अंधेरा इसलिए है क्योंकि इनकी जमीन और खेत छीन लिए गए हैं. अब इनका परिवार सड़कों पर ठेला लगाने और मजदूरी करने को मजबूर है.

ईटीवी भारत ने बयां किया इन परिवारों का दर्द
इस दीपावली पर ईटीवी भारत ने ऐसे ही कुछ परिवारों से बात कर उनके दर्द को बयां किया है. राम जन्मभूमि क्षेत्र के (जिसे रामकोट क्षेत्र भी कहते हैं) कुछ ऐसे परिवार भी हैं, जो आज भी बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान जयकुमार, श्याम मौर्या, कमलेश और रागिनी ने अपनी ढलती उम्र के साथ अपना दर्द बयां किया.

जगमग अयोध्या के अंधेरे में डूबे 422 परिवार.

दो रुपये के हिसाब से मिला जमीन का मुआवजा
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान श्याम मौर्य ने बताया कि जब हम छोटे-छोटे थे. उस वक्त ही हमारी जमीन हमसे ले ली गई थी. सरकार ने कहा था कि हम इस जमीन का अधिग्रहण करते हैं और इसका मुआवजा भी दिया जाएगा. हमारी हजारों-लाखों की जमीन का सिर्फ 2 रुपये के हिसाब से हमें मुआवजा दिया गया.

परिवार ठेला लगाकर करता है गुजारा
जमीन लेते वक्त हमसे कहा गया कि सरकारी नौकरी मिलेगी, लेकिन आज तक न नौकरी मिली है और न मुआवजा मिला है. हम लोग बस सिलाई की दुकान पर काम करते हैं और भाई ठेला लगाता है.

पूरी जिंदगी निकल गई, लेकिन जमीन न मिली
इसी क्षेत्र से जुड़े बाबू रामानंद मौर्य की उम्र 80 साल से ऊपर हो चुकी है. इन्हें कम सुनाई देता है. रामानंद मौर्य कहते हैं कि मेरी पूरी जिंदगी अपने खेत और अपनी जमीन को पाने में निकल गई, लेकिन सिर्फ हमें 2 रुपये 34 पैसे ही मिले थे. वह कहते हैं कि हमारी 15 से 20 एकड़ की जमीन जो मेरे हिस्से में थी. उस वक्त मैं जवान था, सोचा था जमीन गई तो नौकरी से ही पेट भरेंगे, लेकिन सरकारी वादे हर बार की तरह झूठे ही निकले. तब हमने राज्य सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट में केस किया, जिसमे आज तक तारीख ही मिली है, फैसला नहीं आया.

ये भी पढ़ें- दीपोत्सव : बना वर्ल्ड रिकॉर्ड, 5 लाख 51 हजार दीपों से रौशन हुई अयोध्या नगरी

अपनी जमीन पर जलाना चाहता हूं दीप
संतराम मौर्य कहते हैं कि मेरीआंखें बंद होने से पहले एक बार मैं अपनी जमीन, अपने खेत में दीप जलाना चाहता हूं, ताकि मुझे सुकून मिल सके. उन्होंने बताया कि मुझे मेरी ही जमीन पर माली बनाकर सरकार डेढ़ सौ रुपये मजदूरी देती है, वो भी एक कॉन्ट्रैक्ट है. संतराम का कहना है कि मेरे लिए इससे ज्यादा दुख की बात और क्या होगी कि हर दिवाली के दिन मैं अपने घर में अकेले में जाकर रो लेता हूं, क्योंकि मेरी दीवाली बिना जमीन और बिना खेत के सूनी है.

परिवार सड़क पर रहने को मजबूर
बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि के रामपुर क्षेत्र में लगभग 422 परिवार रहते हैं. इन 422 परिवारों की स्थिति लगभग खानाबदोश जैसी है. इसमें से कुछ परिवार तो ऐसे हैं जिनके खेत, घर, मकान सब कुछ श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र के बैरिकेडिंग के अंदर चली गई. इससे ये परिवार सड़कों पर रहने को मजबूर हैं.

अपनी जमीन पर नहीं जल पाए दिये
ये सभी ऐसे परिवार हैं, जिनकी जमीन का राज्य सरकार ने 1989 में अधिग्रहण किया था. सरकार ने यहां राम कथा पार्क और राम मंदिर बनाने की बात कही. उसके बाद जब 1992 में बाबरी विध्वंस हुआ, तब से लेकर आज तक यह अपनी ही जमीन में दिये भी नहीं जला पा रहे हैं.

भगवान राम ही दूर कर सकते हैं अंधेरा
इन परिवारों का कहना है कि सरकार की तरफ से मुआवजे के नाम पर सिर्फ मजाक किया गया, एक ऐसा मजाक जिसने हमारी दुनिया में अंधेरा कर दिया. हमारी जिंदगी के इस अंधेरे को भगवान राम ही दूर कर सकते हैं और वो राम कब आएंगे कोई नहीं जानता.

अयोध्या : दीपावली के अवसर पर अयोध्या में दीपोत्सव कार्यक्रम के द्वारा एक नया रिकॉर्ड बनाया गया. वहीं, राम जन्मभूमि क्षेत्र के 422 परिवार ऐसे हैं, जो उदासी, बदहाली और अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. इनकी जिन्दगी में अंधेरा इसलिए है क्योंकि इनकी जमीन और खेत छीन लिए गए हैं. अब इनका परिवार सड़कों पर ठेला लगाने और मजदूरी करने को मजबूर है.

ईटीवी भारत ने बयां किया इन परिवारों का दर्द
इस दीपावली पर ईटीवी भारत ने ऐसे ही कुछ परिवारों से बात कर उनके दर्द को बयां किया है. राम जन्मभूमि क्षेत्र के (जिसे रामकोट क्षेत्र भी कहते हैं) कुछ ऐसे परिवार भी हैं, जो आज भी बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान जयकुमार, श्याम मौर्या, कमलेश और रागिनी ने अपनी ढलती उम्र के साथ अपना दर्द बयां किया.

जगमग अयोध्या के अंधेरे में डूबे 422 परिवार.

दो रुपये के हिसाब से मिला जमीन का मुआवजा
ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान श्याम मौर्य ने बताया कि जब हम छोटे-छोटे थे. उस वक्त ही हमारी जमीन हमसे ले ली गई थी. सरकार ने कहा था कि हम इस जमीन का अधिग्रहण करते हैं और इसका मुआवजा भी दिया जाएगा. हमारी हजारों-लाखों की जमीन का सिर्फ 2 रुपये के हिसाब से हमें मुआवजा दिया गया.

परिवार ठेला लगाकर करता है गुजारा
जमीन लेते वक्त हमसे कहा गया कि सरकारी नौकरी मिलेगी, लेकिन आज तक न नौकरी मिली है और न मुआवजा मिला है. हम लोग बस सिलाई की दुकान पर काम करते हैं और भाई ठेला लगाता है.

पूरी जिंदगी निकल गई, लेकिन जमीन न मिली
इसी क्षेत्र से जुड़े बाबू रामानंद मौर्य की उम्र 80 साल से ऊपर हो चुकी है. इन्हें कम सुनाई देता है. रामानंद मौर्य कहते हैं कि मेरी पूरी जिंदगी अपने खेत और अपनी जमीन को पाने में निकल गई, लेकिन सिर्फ हमें 2 रुपये 34 पैसे ही मिले थे. वह कहते हैं कि हमारी 15 से 20 एकड़ की जमीन जो मेरे हिस्से में थी. उस वक्त मैं जवान था, सोचा था जमीन गई तो नौकरी से ही पेट भरेंगे, लेकिन सरकारी वादे हर बार की तरह झूठे ही निकले. तब हमने राज्य सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट में केस किया, जिसमे आज तक तारीख ही मिली है, फैसला नहीं आया.

ये भी पढ़ें- दीपोत्सव : बना वर्ल्ड रिकॉर्ड, 5 लाख 51 हजार दीपों से रौशन हुई अयोध्या नगरी

अपनी जमीन पर जलाना चाहता हूं दीप
संतराम मौर्य कहते हैं कि मेरीआंखें बंद होने से पहले एक बार मैं अपनी जमीन, अपने खेत में दीप जलाना चाहता हूं, ताकि मुझे सुकून मिल सके. उन्होंने बताया कि मुझे मेरी ही जमीन पर माली बनाकर सरकार डेढ़ सौ रुपये मजदूरी देती है, वो भी एक कॉन्ट्रैक्ट है. संतराम का कहना है कि मेरे लिए इससे ज्यादा दुख की बात और क्या होगी कि हर दिवाली के दिन मैं अपने घर में अकेले में जाकर रो लेता हूं, क्योंकि मेरी दीवाली बिना जमीन और बिना खेत के सूनी है.

परिवार सड़क पर रहने को मजबूर
बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि के रामपुर क्षेत्र में लगभग 422 परिवार रहते हैं. इन 422 परिवारों की स्थिति लगभग खानाबदोश जैसी है. इसमें से कुछ परिवार तो ऐसे हैं जिनके खेत, घर, मकान सब कुछ श्रीराम जन्मभूमि क्षेत्र के बैरिकेडिंग के अंदर चली गई. इससे ये परिवार सड़कों पर रहने को मजबूर हैं.

अपनी जमीन पर नहीं जल पाए दिये
ये सभी ऐसे परिवार हैं, जिनकी जमीन का राज्य सरकार ने 1989 में अधिग्रहण किया था. सरकार ने यहां राम कथा पार्क और राम मंदिर बनाने की बात कही. उसके बाद जब 1992 में बाबरी विध्वंस हुआ, तब से लेकर आज तक यह अपनी ही जमीन में दिये भी नहीं जला पा रहे हैं.

भगवान राम ही दूर कर सकते हैं अंधेरा
इन परिवारों का कहना है कि सरकार की तरफ से मुआवजे के नाम पर सिर्फ मजाक किया गया, एक ऐसा मजाक जिसने हमारी दुनिया में अंधेरा कर दिया. हमारी जिंदगी के इस अंधेरे को भगवान राम ही दूर कर सकते हैं और वो राम कब आएंगे कोई नहीं जानता.

Intro:अयोध्या. इस वक्त जहां पूरा देश अयोध्या में चल रहे दीपोत्सव को आनंद छोड़ा है और एक नए रिकॉर्ड की ओर बढ़ रहा है तो वही अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि क्षेत्र के 422 परिवार ऐसे हैं जो उदासी बदहाली और अंधेरे में रहने को मजबूर है अंधेरा इसलिए है क्योंकि इनकी जमीन है छीन ली गई इनके खेत छीन लिए गए और इन्हें खुशहाल परिवार से सड़कों पर ठेला लगाने पर मजदूरी करने के लिए बेघर छोड़ दिया गया ईटीवी भारत इस दिवाली ऐसे ही कुछ परिवारों से बात करके उनके दर्द को बयां करना चाहता है कि एक तरफ जहां अयोध्या में दीपोत्सव में करोड़ों रुपए खर्च करके नए नए रिकॉर्ड बनाए जा रहे हैं दुनिया में यहां के प्रकाश को फैलाने की बात कही जा रही है वहीं श्री राम जन्मभूमि क्षेत्र के जिसे रामकोट क्षेत्र भी कहते हैं ऐसे परिवार भी हैं जो आज तक बदहाली की जिंदगी जी रहे हैं ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान जयकुमार श्याम मौर्या कमलेश और रागिनी ने अपनी ढलती उम्र के साथ अपने दर्द को बयां किया।



Body:ईटीवी भारत से विशेष बातचीत के दौरान श्याम मौर्य ने बताया के जब हम छोटे-छोटे थे उस वक्त ही हमार और पाक के नाम पर ले ले गए थे सरकार ने कहा था कि हम यह जमीन अधिग्रहण करते हैं उनका मुआवजा भी दिया जाएगा हमारी हजारों लाखों की जमीन को सिर्फ ₹2 के हिसाब से हमें मुआवजा दिया गया कहां गया सरकारी नौकरी मिलेगी लेकिन आज तक ना नौकरी मिली है ना मुआवजा मिला है हम लोग बस सिलाई की दुकान पर काम करते हैं और भाई ठेला लगाता है।
वहीं इसी क्षेत्र से जुड़े हुए बाबू राममानंद मौर्य की उम्र 80 साल से ऊपर हो चुकी हैं, इन्हें सुनाई कम देता है। ये कहते हैं कि मेरी पूरी जिंदगी अपने खेत और अपनी जमीन को पाने में निकल गई लेकिन सिर्फ हमें ₹2 34 पैसे ही मिले थे हमारी 15 से 20 एकड़ की जमीन जो मेरे हिस्से में थी। उस वक़्त मैं जवान था, सोचा था जमीन गई तो नौकरी से ही पेट भरेंगे, लेकिन सरकारी वादे हर बार की तरह झूठे ही निकले। तब हमने राज्य सरकार के खिलाफ हाई कोर्ट में केस किया, जिसकी आजतक तारीख ही मिली है, फैसला नहीं।
वहीं इसी क्षेत्र में रहने वाले संत राम मौर्य कहते हैं। कि, मेरी आंखें बंद होने से पहले एक बार मैं अपनी ज़मीन अपने खेत मे दीप जलाना चाहता हूं। ताकि मुझे सुकून मिल सके। उन्होंने बताया कि मुझे मेरी ही ज़मीन पर माली बनाकर सरकार डेढ़ सौ रु मजदूरी देती है, वो भी एक कॉन्ट्रैक्ट है। मेरे इससे बुरा और दुख क्या होगा, की हर दीवाली मैं अपने घर में अकेले में रो लेता हूँ, क्योंकि मेरी दीवाली बिना ज़मीन बिना खेत के सूनी है।


Conclusion:श्री राम जन्मभूमि पर क्षेत्र के रामपुर क्षेत्र में लगभग 422 परिवार रहते हैं इन 422 परिवारों में स्थिति लगभग खानाबदोश जैसी है इसमें भी और बुरी स्थिति और दुर्दशा ऐसे परिवारों की है जिनकी खेती की जमीन जिनके घर की जमीन जिनके मकान की जमीन सब कुछ राम जन्मभूमि क्षेत्र के बैरिकेडिंग के अंदर चली गई और वह सड़कों पर रहने को मजबूर हैं, सरकार की तरफ से मुआवजे के नाम पर मजाक किया गया, एक ऐसा मज़ाक जिसने इनकी दुनिया में अंधेरा कर दिया, जिसे अब भगवान राम ही दूर कर सकते हैं। वो राम कब आएंगे कोई नहीं जानता।
सभी ऐसे परिवार हैं जिनकी जमीन 1989 में राज्य सरकार ने अधिग्रहण की जिसमें राम कथा पार्क और राम मंदिर बनाने की बात कही उसके बाद जब 1992 में बाबरी विध्वंस हुआ तब से लेकर आज तक यह अपनी ही जमीन में अपने पैर रखने की परमिशन मांगने के लिए परेशान है ताकि उस जमीन पर वह दिए जला सके दीप जला सके इनके घरों में परिवारों में पूरी तरह से अंधेरा है अभी अंधेरा भगवान राम स्वयं अवतरित होंगे तभी दूर होने की उम्मीद है इंतजार करते हैं कि कोई ऐसी दीवाली आए जिससे हमारे घरों के अंधेरे को भी रोशनी मिल सके हमारी जमीन वापस मिल सके।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.