चंदीगढ़ : आज हम गैजेट्स और इंटरनेट पर पूरी तरह से निर्भर हो चुके हैं. इन गैजेट्स पर आंख मूंद कर भरोसा करने लगे हैं, लेकिन सावधान! ऐसा करके हम अपनी सुरक्षा को दांव पर लगा रहे हैं. साइबर हैकर्स इन गैजेट्स को हैक कर प्राइवेट चैट, जानकारियों को चुरा रहे हैं, जिससे ब्लैकमेलिंग जैसी वारदात को अंजाम देते हैं. शनिवार को फरीदाबाद साइबर सेल ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है.
यह गिरोह दिल्ली एनसीआर में खासतौर से कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों को अपना शिकार बनाता था. इस गिरोह के शातिर सदस्य लड़कियों की वाट्सएप चैट को हैक करते थे, और फिर उन्हें ब्लैकमेल करते थे.
पुलिस के मुताबिक यह गिरोह अब तक 100 से भी ज्यादा लड़कियों को शिकार बना चुका है. हैरानी की बात है कि इस गिरोह का मास्टर माइंड मनीष केवल दसवीं पास है, उसका साथी जो गिरोह को फर्जी सिम मुहैया करवाता था, सत्तार खान आठवीं पास है, वहीं गैंग की इकलौती महिला मेंबर आठवीं से भी कम पढ़ी है, लेकिन ये आरोपी एक प्रोफेशनल हैकर्स की तरह इन वारदातों को अंजाम देते रहे हैं.
यह गिरोह कैसे देता था वारदात को अंजाम?
इस गिरोह के गुर्गे सबसे पहले कॉलेज के अंदर जाकर नौजवान लड़के और लड़कियों को अपने झांसे में लेते थे. इस पूरी प्लानिंग में गिरोह की महिला सदस्य मदद करती थी. वो लड़कियों से घुल मिल कर उन्हें भरोसे में ले लेती थी. इस पूरी प्लानिंग का ट्रैप होने वाली छात्रा को शक ना हो उसके लिए लड़की फोन पर उससे अक्सर बातें भी करती रहती थी.
जैसे ही गिरोह को अपने शिकार पर भरोसा हो जाता, यह वाट्सएप का फोन नंबर बदलने की प्रक्रिया का फायदा उठाते थे. ये अपने वाट्सएप ऐप पर छात्रा का फोन नंबर एंटर कर देते थे. वाट्सएप सुरक्षा कारणों से एंटर किए गए नंबर पर ओटीपी भेजता है. जिसे टेक्ट्स और कॉल दोनों माध्यमों से हासिल किया जा सकता है. आरोपी कॉल ऑपशन का इस्तेमाल करते थे. उसी दौरान गैंग की लड़की अपने साथियों को कॉन्फ्रेंसिंग पर रख कर छात्रा को फोन करती है.
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कॉल कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान ही गैंग के बाकी गुर्गे वाट्सएप ऐप ओटीपी के लिए कॉल ऑप्शन के लिए रिक्वेस्ट कर देते थे. कॉल के दौरान ही जब छात्रा के पास वाट्सएप ओटीपी के लिए फोन आता तो वो छात्रा को कॉन्फ्रेंसिंग में फोन उठाने के लिए जिद्द करते. जैसे ही छात्रा वाट्सएप की तरफ से आए फोन को उठाती, गैंग को भी ओटीपी सुनाई दे जाता है. जिसके बाद यह गैंग छात्राओं का वाट्सएप को एक्सेस कर लेते थे.
दो साल से छात्राओं को शिकार बना रहा था गिरोह
यह गैंग करीब दो साल से छात्राओं को शिकार बना रहे थे. लड़कियों की निजी बातचीत, फोटोग्राफ्स को चुरा कर ब्लैकमेल कर देते थे और पेटीएम के जरिए पैसों की डिमांड करते थे. पुलिस के मुताबिक यह लोग पांच हजार रुपए से लेकर दस हजार रुपये तक की डिमांड लड़कियों से करते थे. जानबूझ कर छोटी रकम मानते थे कि लड़कियां इन्हें किसी तरह पैसे दे भी दें और कानून के हाथ भी ना लगें.
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गिरोह पर हैं दर्जनों मामले दर्ज
इस गिरोह पर दिल्ली, फरीदाबाद समेत पलवल में दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन आज तक पुलिस इन्हें नहीं पकड़ पाई. पुलिस को फरीदाबाद एनआईटी की रहने वाली एक लड़की ने लिखित में शिकायत दी थी, उस लड़की के दिए गए नंबर से इस ग्रुप का सुराग लगा और पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया है. फिलहाल किसी तरह की रिकवरी नहीं हो पाई है.