चेन्नई : वर्ष 2020 में कोरोना वायरस से महामारी फैलने के कारण देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था. यह करीब नौ माह तक जारी रहा. इस दौरान लोग अपने घरों में लगभग खाली थे और कुछ न कुछ नया करने की कोशिश करते रुहे.
लॉकडाउन के दौरान हमने देखा कि लोगों ने नई हॉबी सीखी. इसी तरह तमिलनाडु के पुडुकोट्टई जिले की अंजना श्री ने लकड़ी पर नक्काशी की कला सीखी. 13 वर्षीय अंजना के पिता मुथुकुमार भी कलाकार हैं.
अंजना को बचपन से लकड़ी की नक्काशी में दिलचस्पी थी. उन्हें जहां भी लकड़ी की कला देखने को मिलती वह उसे सराहती थीं. लॉकडाउन ने उसकी प्रतिभा को अनलॉक कर दिया. अंजना के पिता ने बताया कि 'लॉकडाउन के दौरान अंजना ने मुझसे लकड़ी पर नक्काशी की कला सिखाने का अनुरोध किया था. मैं उसके अनुरोध से चौंक गया था. मैंने कला की बारीकियों को सिखाने का फैसला किया है. उसने इसे जल्दी सीख लिया. अब उसे कला में महारत हासिल है. मुझे यकीन है कि वह मेरे नक्शेकदम पर चलेगी.'
मुथुकुमार की आजीविका रेडीमेड उत्पादों के आगमन के बाद प्रभावित हुई है. उन्होंने कहा कि पेशे में कई आधुनिक मशीनें आ गई हैं. हालांकि, हाथ से बनाई गई कला से कुछ भी मेल नहीं खा सकता है. अंजना श्री अपने पिता को लकड़ी के टुकड़ों को जीवन देते हुए देखती थीं. अंजना श्री नृत्य और सिलंबम भी सीख रही हैं, जो बांस आधारित प्राचीन मार्शल आर्ट है.
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लकड़ी की नक्काशी एक प्राचीन भारतीय कला है. अद्भुत लकड़ी की नक्काशी सदियों से देश के विभिन्न हिस्सों में की जाती है और विभिन्न देशों को निर्यात की जाती है. अंजना अपने पिता से सदियों पुरानी परंपरगत कला सीख रही हैं और उम्मीद है कि वह इस क्षेत्र में शिखर तक पहुंचेंगी.