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छत्तीसगढ़ : कांकेर में बीमार नाबालिग 5 किमी पैदल चलकर पहुंची अस्पताल

छत्तीसगढ़ में कांकेर के धुर नक्सल प्रभावित संगम इलाके के आलदंड गांव की रहने वाली 12 वर्षीय मानकी की तबीयत रात को अचानक खराब हो गई. बच्ची को पांच किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल जाना पड़ा. रास्ते में उसे नदी भी पार करनी पड़ी.

बीमार लड़की 5 किमी. पैदल चलकर अस्पताल पहुंची
बीमार लड़की 5 किमी. पैदल चलकर अस्पताल पहुंची
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Published : Jul 2, 2020, 5:53 PM IST

कांकेर : छत्तीसगढ़ राज्य के गठन को 20 साल हो चुके हैं. इस दौरान सत्तारूढ़ सभी सरकारों ने विकास का दावा किया. पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार रही हो या वर्तमान की कांग्रेस सरकार, सबने विकास के नाम पर खूब वाहवाही लूटी. लेकिन इन दावों की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है.

कोरोना काल में जहां स्वास्थ्य विभाग की तारीफ हो रही है, वहीं कांकेर में 12 साल की बच्ची की हालत ने सरकार के सभी दावों को खोखला साबित कर दिया है. बीमार हालत में 12 साल की बच्ची 5 किलोमीटर का सफर तय कर अस्पताल पहुंची. इतना ही नहीं बीच में नदी होने की वजह से बच्ची को कड़ी धूप में एक घंटे तक नाव का इंतजार भी करना पड़ा.

गांव में नहीं है स्वास्थ्य सुविधा
गांव में चिकित्सा की कोई सुविधा नहीं होने की वजह से रातभर मानकी बीमार हालत में तड़पती रही. सुबह होते ही परिजन उसे अस्पताल ले जाने के लिए निकले, लेकिन कोई भी वाहन नहीं होने की वजह से मानकी को 5 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. गांव से अस्पताल के बीच कोटरी नदी पड़ती है, जहां आज तक पुल नहीं बन पाया है. बीमारी से तड़पती मानकी को कड़ी धूप में नाव का इंतजार करना पड़ा. नाव के आने के बाद नदी पार कर मानकी बेठिया के उप स्वास्थ्य केंद्र पहुंची, जहां उसे इलाज के लिए भर्ती किया गया है.

आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरस रहे कई गांव
शहरों का विकास जहां तेजी से हो रहा है वहीं प्रदेश के कई गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. बस्तर संभाग के ऐसे कई गांव हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधा राज्य बनने के 20 साल बाद भी नहीं पहुंच पाई है. सरकार भले स्वास्थ्य और शिक्षा गांव-गांव तक पहुंचाने के दावे कर रही है, लेकिन हकीकत में मानकी जैसी कई बच्चियों को आज भी मीलों पैदल चलकर अस्पताल जाना पड़ रहा है.

पैदल चलने के अलावा कोई रास्ता नहीं
आलदण्ड से छोटे बेठिया की दूरी 6 किलोमीटर है, लेकिन समय 60 किलोमीटर से भी ज्यादा का समय लगता है. ग्रामीणों के पास यहां जंगली रास्तों से पैदल सफर के अलावा कोई साधन नहीं है. फिर भी नाव के सहारे नदी पार कर ग्रामीण जैसे-तैसे बेठिया पहुंचते हैं.

कांकेर : छत्तीसगढ़ राज्य के गठन को 20 साल हो चुके हैं. इस दौरान सत्तारूढ़ सभी सरकारों ने विकास का दावा किया. पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार रही हो या वर्तमान की कांग्रेस सरकार, सबने विकास के नाम पर खूब वाहवाही लूटी. लेकिन इन दावों की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है.

कोरोना काल में जहां स्वास्थ्य विभाग की तारीफ हो रही है, वहीं कांकेर में 12 साल की बच्ची की हालत ने सरकार के सभी दावों को खोखला साबित कर दिया है. बीमार हालत में 12 साल की बच्ची 5 किलोमीटर का सफर तय कर अस्पताल पहुंची. इतना ही नहीं बीच में नदी होने की वजह से बच्ची को कड़ी धूप में एक घंटे तक नाव का इंतजार भी करना पड़ा.

गांव में नहीं है स्वास्थ्य सुविधा
गांव में चिकित्सा की कोई सुविधा नहीं होने की वजह से रातभर मानकी बीमार हालत में तड़पती रही. सुबह होते ही परिजन उसे अस्पताल ले जाने के लिए निकले, लेकिन कोई भी वाहन नहीं होने की वजह से मानकी को 5 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. गांव से अस्पताल के बीच कोटरी नदी पड़ती है, जहां आज तक पुल नहीं बन पाया है. बीमारी से तड़पती मानकी को कड़ी धूप में नाव का इंतजार करना पड़ा. नाव के आने के बाद नदी पार कर मानकी बेठिया के उप स्वास्थ्य केंद्र पहुंची, जहां उसे इलाज के लिए भर्ती किया गया है.

आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरस रहे कई गांव
शहरों का विकास जहां तेजी से हो रहा है वहीं प्रदेश के कई गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. बस्तर संभाग के ऐसे कई गांव हैं, जहां स्वास्थ्य सुविधा राज्य बनने के 20 साल बाद भी नहीं पहुंच पाई है. सरकार भले स्वास्थ्य और शिक्षा गांव-गांव तक पहुंचाने के दावे कर रही है, लेकिन हकीकत में मानकी जैसी कई बच्चियों को आज भी मीलों पैदल चलकर अस्पताल जाना पड़ रहा है.

पैदल चलने के अलावा कोई रास्ता नहीं
आलदण्ड से छोटे बेठिया की दूरी 6 किलोमीटर है, लेकिन समय 60 किलोमीटर से भी ज्यादा का समय लगता है. ग्रामीणों के पास यहां जंगली रास्तों से पैदल सफर के अलावा कोई साधन नहीं है. फिर भी नाव के सहारे नदी पार कर ग्रामीण जैसे-तैसे बेठिया पहुंचते हैं.

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