ETV Bharat / bharat

काशी के नाटी इमली में भरत मिलाप देखने उमड़ा आस्‍था का सागर

उत्तर प्रदेश के वाराणसी के नाटी इमली में होने वाली 478 साल पुरानी ऐतिहासिक रामलीला में आज भरत मिलाप संपन्न हो गया. यहां आयोजित होने वाले भरत मिलाप को देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग जुटे और भगवान की अद्भुत लीला के गवाह बने.

author img

By

Published : Oct 16, 2021, 8:49 PM IST

bharat
bharat

वाराणसी : काशी की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक 478 वर्ष पुरानी रामलीला में आज भरत मिलाप संपन्न हुआ. काशी में आज भी 16वीं शताब्दी में शुरू की गई रामलीला का आयोजन होता है. 478 वर्ष पुरानी इस रामलीला के प्रेमी आज भी अपने पूर्वजों की परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. बता दें कि गोस्वामी तुलसीदास जी के मित्र मेघा भगत जी ने यह राम लीला शुरू की थी. इस बार यहां की रामलीला की शुरुआत 30 सितंबर से हुई थी जो कि 17 अक्टूबर को सम्पन्न हो जाएगी.

काशी के नाटी इमली में भरत मिलाप मेला लक्खा मेले में शुमार है. यहां आयोजित होने वाले भरत मिलाप को देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग जुटे और भगवान की अद्भुत लीला के गवाह बने. बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लगातार दूसरे साल इसके आयोजन पर संशय के बादल मंडरा रहे थे. विश्व प्रसिद्ध रामलीला कल यानी 17 अक्टूबर को सम्पन्न हो जाएगी.

काशी के नाटी इमली में भरत मिलाप

मान्यता है कि भगवान श्रीराम के जाने के बाद अयोध्यावासियों ने राम की स्मृति के लिए रामलीला का संकल्प लेकर उसे मूर्त रूप दिया था. लेकिन प्रमाणों में स्पष्ट है कि रामलीला के प्रेरक गोस्वामी तुलसीदास स्वयं थे. उन्होंने अपने मित्र मेघा भगत के माध्यम से रामलीलाओं की प्रस्तुति मंचन की शुरुआत कराई. स्वप्न दर्शन से प्राप्त प्रभु की प्रेरणा से मेघा भगत ने काशी में 478 साल पहले चित्रकूट रामलीला के नाम से रामलीला शुरू किया. आज भी इस लीला का आयोजन चित्रकूट रामलीला समिति करता है. काशी के अयोध्या भवन बड़ा गणेश मंदिर के पास स्थित इस भवन से ही प्रारंभ होती है. यह रामलीला 7 किलोमीटर की परिधि में 22 दिनों तक चलती है.

भरत मिलाप देखने उमड़ा आस्‍था का सागर

चित्रकूट रामलीला समिति के सेक्रेटरी मोहन कृष्ण अग्रवाल ने बताया, इस वर्ष रामलीला को 478 वर्ष हो गए हैं. उन्होंने बताया कि लीला का प्रारंभ 16वीं सदी में गोस्वामी तुलसीदास जी के समकक्ष मेघा भगत ने शुरु किया था. कहा जाता है कि मेगा भगत जी चित्रकूट में रामलीला देखने जाते थे. वह जब जाने में असमर्थ हो गए तो भगवान ने उन्हें स्वप्न में कहा तुम काशी जाओ वहां लीला प्रारंभ करो. मैं भरत मिलाप के दिन तुम्हें दर्शन दूंगा.

मेघा भगत ने जब लीला प्रारंभ की थी तो उस समय रामचरित मानस की रचना नहीं हुई थी, इसीलिए वाल्मीकि रामायण के आधार पर चित्रकूट की रामलीला की जाती है, यह लीला थोड़ी अलग है. इसकी शुरुआत अयोध्या कांड के राज्याभिषेक से होती है और भरत मिलाप, राजगद्दी तक यह लीला समाप्त हो जाती है. उन्होंने बताया कि आपने बहुत सी रामलीला देखी होगी. यहां भगवान का स्वरूप विराजमान होता है और आज भी यहां वाल्मीकि रामायण का पाठ होता है. 22 दिन की रामलीला में कहीं भी भगवान द्वारा कोई डायलॉग नहीं बोला जाता है. वर्तमान कुंवर अनंत नारायण सिंह भी हाथी पर सवार होकर आते हैं और इस लीला का आनंद लेते हैं.

पढ़ेंः इस मंदिर में आधी रात को मूर्तियां करती हैं आपस में बातें, जानें अद्भुत रहस्य

वाराणसी : काशी की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक 478 वर्ष पुरानी रामलीला में आज भरत मिलाप संपन्न हुआ. काशी में आज भी 16वीं शताब्दी में शुरू की गई रामलीला का आयोजन होता है. 478 वर्ष पुरानी इस रामलीला के प्रेमी आज भी अपने पूर्वजों की परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. बता दें कि गोस्वामी तुलसीदास जी के मित्र मेघा भगत जी ने यह राम लीला शुरू की थी. इस बार यहां की रामलीला की शुरुआत 30 सितंबर से हुई थी जो कि 17 अक्टूबर को सम्पन्न हो जाएगी.

काशी के नाटी इमली में भरत मिलाप मेला लक्खा मेले में शुमार है. यहां आयोजित होने वाले भरत मिलाप को देखने के लिए लाखों की संख्या में लोग जुटे और भगवान की अद्भुत लीला के गवाह बने. बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते लगातार दूसरे साल इसके आयोजन पर संशय के बादल मंडरा रहे थे. विश्व प्रसिद्ध रामलीला कल यानी 17 अक्टूबर को सम्पन्न हो जाएगी.

काशी के नाटी इमली में भरत मिलाप

मान्यता है कि भगवान श्रीराम के जाने के बाद अयोध्यावासियों ने राम की स्मृति के लिए रामलीला का संकल्प लेकर उसे मूर्त रूप दिया था. लेकिन प्रमाणों में स्पष्ट है कि रामलीला के प्रेरक गोस्वामी तुलसीदास स्वयं थे. उन्होंने अपने मित्र मेघा भगत के माध्यम से रामलीलाओं की प्रस्तुति मंचन की शुरुआत कराई. स्वप्न दर्शन से प्राप्त प्रभु की प्रेरणा से मेघा भगत ने काशी में 478 साल पहले चित्रकूट रामलीला के नाम से रामलीला शुरू किया. आज भी इस लीला का आयोजन चित्रकूट रामलीला समिति करता है. काशी के अयोध्या भवन बड़ा गणेश मंदिर के पास स्थित इस भवन से ही प्रारंभ होती है. यह रामलीला 7 किलोमीटर की परिधि में 22 दिनों तक चलती है.

भरत मिलाप देखने उमड़ा आस्‍था का सागर

चित्रकूट रामलीला समिति के सेक्रेटरी मोहन कृष्ण अग्रवाल ने बताया, इस वर्ष रामलीला को 478 वर्ष हो गए हैं. उन्होंने बताया कि लीला का प्रारंभ 16वीं सदी में गोस्वामी तुलसीदास जी के समकक्ष मेघा भगत ने शुरु किया था. कहा जाता है कि मेगा भगत जी चित्रकूट में रामलीला देखने जाते थे. वह जब जाने में असमर्थ हो गए तो भगवान ने उन्हें स्वप्न में कहा तुम काशी जाओ वहां लीला प्रारंभ करो. मैं भरत मिलाप के दिन तुम्हें दर्शन दूंगा.

मेघा भगत ने जब लीला प्रारंभ की थी तो उस समय रामचरित मानस की रचना नहीं हुई थी, इसीलिए वाल्मीकि रामायण के आधार पर चित्रकूट की रामलीला की जाती है, यह लीला थोड़ी अलग है. इसकी शुरुआत अयोध्या कांड के राज्याभिषेक से होती है और भरत मिलाप, राजगद्दी तक यह लीला समाप्त हो जाती है. उन्होंने बताया कि आपने बहुत सी रामलीला देखी होगी. यहां भगवान का स्वरूप विराजमान होता है और आज भी यहां वाल्मीकि रामायण का पाठ होता है. 22 दिन की रामलीला में कहीं भी भगवान द्वारा कोई डायलॉग नहीं बोला जाता है. वर्तमान कुंवर अनंत नारायण सिंह भी हाथी पर सवार होकर आते हैं और इस लीला का आनंद लेते हैं.

पढ़ेंः इस मंदिर में आधी रात को मूर्तियां करती हैं आपस में बातें, जानें अद्भुत रहस्य

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.