नई दिल्ली: वर्ष 2019 से 2021 तक महिलाओं के खिलाफ अपराध के 12,05,107 मामले दर्ज किए गए हैं. 2019 में 4,05,326, 2020 में 3,71,503 और 2021 में 4,28,278 मामले दर्ज किए गए. सरकार ने बुधवार को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के आधार पर राज्यसभा को यह जानकारी दी. कांग्रेस सांसद डॉ. अमी याज्ञनिक के एक सवाल का जवाब देते हुए कि क्या यह सच है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और चार्जशीट की दर कम है, केंद्रीय महिला और बाल अधिकारिता मंत्री स्मृति ईरानी ने एक लिखित उत्तर के माध्यम से उपरोक्त रिपोर्ट का हवाला दिया.
इस डेटा के साथ उन्होंने यह भी कहा, '2021 के लिए एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराध के संबंध में चार्जशीट की दर 77.1 प्रतिशत है.' एनसीआरबी द्वारा महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या (आईपीसी+एसएलएल) से संबंधित केंद्रीय मंत्री द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2021 तक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के अनुसार, 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध की संख्या 56,083 दर्ज करने के लिए उत्तर प्रदेश सूची में सबसे ऊपर है, जबकि 2019 में यह 59,853 और 2020 में 49,385 था.
इसके बाद 2021 में राजस्थान में 40,738 मामले, महाराष्ट्र में 39,526 मामले, ओडिशा में 31,352 मामले, मध्य प्रदेश में 30,673 मामले और असम में 29,046 मामले दर्ज हुए हैं. 2021 में सबसे कम रुझान लक्षद्वीप में 9, लद्दाख में 18, नागालैंड में 54, सिक्किम में 130, डी एंड एन हवेली और दमन व दीव में 99, मिजोरम में 176 और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह में 169 दर्ज किया गया.
स्मृति ईरानी ने अपने नोट में जवाब दिया, 'सरकार 1023 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (FTSCs) की स्थापना के लिए एक योजना लागू कर रही है, जिसमें 389 अनन्य POCSO न्यायालय शामिल हैं, जिनमें बलात्कार से संबंधित मामलों के त्वरित परीक्षण व निपटान के लिए और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) अधिनियम के तहत सुनवाई होगी. 31 अक्टूबर 2022 तक, 413 अनन्य पॉक्सो अदालतों सहित 733 FTSCs 28 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में कार्यरत हैं, जिन्होंने कुल 1,24,000 मामलों का निपटान किया है.'
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उन्हें जल्द से जल्द न्याय दिलाने के लिए मंत्रालय द्वारा की गई कार्रवाई/पहलों के विवरण पर एक प्रश्न के उत्तर में, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने विभिन्न पहलों का हवाला दिया, जिनमें राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को यौन उत्पीड़न साक्ष्य संग्रह (SAEC) किट का वितरण, सीएफएसएल, चंडीगढ़ में अत्याधुनिक डीएनए प्रयोगशाला की स्थापना, फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं को मजबूत करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता, बलात्कार के मामलों और पॉक्सो अधिनियम के तहत मामलों के त्वरित निपटान के लिए फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट्स की स्थापना, देश के सभी जिलों में मानव तस्करी रोधी इकाइयों (एएचटीयू) की स्थापना/सुदृढ़ीकरण और अन्य शामिल हैं.