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कर्नाटक : पुलिस ने तोड़ा साइबर षडयंत्र, 48 करोड़ रुपए का चूना लगने से बचाया - साइबर क्राइम बेंगलुरु

साइबर क्राइम विश्व स्तर पर एक बड़ी समस्या है. कर्नाटक का बेंगलुरु भी अकसर इसका शिकार होता रहता है. कोरोना संकट के दौरान लोग डिजिटल कारोबार से जुड़े हुए हैं, जिसकी वजह से साइबर ठग अपने शिकार के लिए फिराक लगाए बैठे रहते हैं. लेकिन शहर में गोल्डन आवर परियोजना के तहत इलाके की पुलिस ने 48 करोड़ रुपये साइबर अपराधियों के चगुल में जाने से बचाए हैं.

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Published : Jun 2, 2021, 9:20 AM IST

बेंगलुरु : साइबर क्राइम विश्व स्तर पर एक बड़ी समस्या है. कर्नाटक का बेंगलुरु भी अकसर इसका शिकार होता रहता है. कोरोना संकट के दौरान लोग डिजिटल कारोबार से जुड़े हुए हैं, जिसकी वजह से साइबर ठग अपने शिकार के लिए फिराक लगाए बैठे रहते हैं. लेकिन शहर की पुलिस ने 48 करोड़ रुपये इन साइबर अपराधियों के चगुल में जाने से बचाए हैं.

गोल्डन ऑवर परियोजना लागू

दरअसल, शहर के पुलिस आयुक्त कमल पंत द्वारा लागू की गई गोल्डन ऑवर परियोजना (Golden Hour project) शहर में साइबर अपराध के मामलों की संख्या को कम करने और बैंक खातों से चोरी को रोकने में सफल रही है. यह साइबर अपराधी बैंकों के नाम पर लोगों को फोन कर रहे थे. और उन्हें क्रेडिट कार्ड अपग्रेड, क्रेडिट कार्ड उधार, और ग्राहकों के खातों में पैसे भेजने के लिए विभिन्न प्रकार के विचारों के उपयोग के बारे में बताया जाता है. लेकिन अब वे गोल्डन ऑवर प्रोजेक्ट लागू करने के बाद पैसे नहीं ले सकते हैं.

पिछले साल 22 दिसंबर से अब तक वित्तीय धोखाधड़ी के 3,175 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से 1,312 बैंक खातों को अपराधियों ने अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है. लेकिन करीब 48.24 करोड़ रुपये पुलिस ने बचाए, इन ठगों की जेब में जा रहे थें. यहीं नहीं बल्कि गोल्डन ऑवर प्रोजेक्ट ने वित्तीय धोखाधड़ी के नेटवर्क को भी तोड़ दिया है. हालांकि अभी तक एक भी आरोपी को साइबर क्राइम पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है.

बैंक खाता ब्लॉक प्रणाली योजना

कोरोना काल में भी विभिन्न माध्यमों से लोगों को लूटने वाले साइबर अपराधियों के लिए बैंक खाता ब्लॉक प्रणाली योजना (bank account block system scheme) की घेराबंदी की जा रही है. यदि पीड़ित 112 या 100 पर कॉल करते हैं, तो कमिश्नर कार्यालय को डीसीपी ईशपंत के नेतृत्व वाले कमांड सेंटर में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. अगर कोई शिकायत दर्ज कराई जाती है तो उनके तुरंत बैंक अधिकारियों से संपर्क करने के बाद खाता बंद किया जाएगा. यदि कोई बैंक खाता हैक होने या धोखाधड़ी होने के दो घंटे के भीतर ब्लॉक कर दिया जाता है, तो जालसाज पैसे नहीं ले सकता है.

बैंक के नाम पर ठगी

24 मई को एक व्यक्ति ने बैंक के नाम से फोन कर कहा कि खाते को अपडेट किया जा रहा है, तो हम ओटीपी नंबर भेजेंगे. पीड़िता ने उसकी बात मान ली और ओटीपी नंबर भेज दिया. इसके तुरंत बाद खाते से 67,999 रुपये की धोखाधड़ी हुई. इस पर शक होने पर उन्होंने तुरंत 112 पर फोन किया. तत्काल कार्यरत कर्मचारियों ने बैंक खाते को ब्लॉक कर दिया. राजशेखर (पीड़ित) का कहना है कि इससे खाते में लाखों रुपये बच गए हैं. इसी तरह शहर के कई हिस्सों में पुलिस ने साइबर अपराधियों से 48 करोड़ का पैसा ठगे जाने से बचाया. वहीं शहर के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने जनता से अनुरोध किया है कि अगर वे अजनबियों द्वारा ठगे जाते हैं तो तुरंत 112 पर कॉल करें.

शहर के आठ साइबर अपराध थानों में जब्त किए गए बैंक के मामलों का डाटा-

सिटी सेंटर डिवीजन- 79

उत्तर खंड- 521

दक्षिणपूर्व डिवीजन- 595

दक्षिण डिवीजन-615

व्हाइट फील्ड-439

पूर्वी खंड-439

पश्चिम डिवीजन-351

पूर्वोत्तर डिवीजन- 106

बेंगलुरु : साइबर क्राइम विश्व स्तर पर एक बड़ी समस्या है. कर्नाटक का बेंगलुरु भी अकसर इसका शिकार होता रहता है. कोरोना संकट के दौरान लोग डिजिटल कारोबार से जुड़े हुए हैं, जिसकी वजह से साइबर ठग अपने शिकार के लिए फिराक लगाए बैठे रहते हैं. लेकिन शहर की पुलिस ने 48 करोड़ रुपये इन साइबर अपराधियों के चगुल में जाने से बचाए हैं.

गोल्डन ऑवर परियोजना लागू

दरअसल, शहर के पुलिस आयुक्त कमल पंत द्वारा लागू की गई गोल्डन ऑवर परियोजना (Golden Hour project) शहर में साइबर अपराध के मामलों की संख्या को कम करने और बैंक खातों से चोरी को रोकने में सफल रही है. यह साइबर अपराधी बैंकों के नाम पर लोगों को फोन कर रहे थे. और उन्हें क्रेडिट कार्ड अपग्रेड, क्रेडिट कार्ड उधार, और ग्राहकों के खातों में पैसे भेजने के लिए विभिन्न प्रकार के विचारों के उपयोग के बारे में बताया जाता है. लेकिन अब वे गोल्डन ऑवर प्रोजेक्ट लागू करने के बाद पैसे नहीं ले सकते हैं.

पिछले साल 22 दिसंबर से अब तक वित्तीय धोखाधड़ी के 3,175 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से 1,312 बैंक खातों को अपराधियों ने अस्थायी रूप से जब्त कर लिया है. लेकिन करीब 48.24 करोड़ रुपये पुलिस ने बचाए, इन ठगों की जेब में जा रहे थें. यहीं नहीं बल्कि गोल्डन ऑवर प्रोजेक्ट ने वित्तीय धोखाधड़ी के नेटवर्क को भी तोड़ दिया है. हालांकि अभी तक एक भी आरोपी को साइबर क्राइम पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है.

बैंक खाता ब्लॉक प्रणाली योजना

कोरोना काल में भी विभिन्न माध्यमों से लोगों को लूटने वाले साइबर अपराधियों के लिए बैंक खाता ब्लॉक प्रणाली योजना (bank account block system scheme) की घेराबंदी की जा रही है. यदि पीड़ित 112 या 100 पर कॉल करते हैं, तो कमिश्नर कार्यालय को डीसीपी ईशपंत के नेतृत्व वाले कमांड सेंटर में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. अगर कोई शिकायत दर्ज कराई जाती है तो उनके तुरंत बैंक अधिकारियों से संपर्क करने के बाद खाता बंद किया जाएगा. यदि कोई बैंक खाता हैक होने या धोखाधड़ी होने के दो घंटे के भीतर ब्लॉक कर दिया जाता है, तो जालसाज पैसे नहीं ले सकता है.

बैंक के नाम पर ठगी

24 मई को एक व्यक्ति ने बैंक के नाम से फोन कर कहा कि खाते को अपडेट किया जा रहा है, तो हम ओटीपी नंबर भेजेंगे. पीड़िता ने उसकी बात मान ली और ओटीपी नंबर भेज दिया. इसके तुरंत बाद खाते से 67,999 रुपये की धोखाधड़ी हुई. इस पर शक होने पर उन्होंने तुरंत 112 पर फोन किया. तत्काल कार्यरत कर्मचारियों ने बैंक खाते को ब्लॉक कर दिया. राजशेखर (पीड़ित) का कहना है कि इससे खाते में लाखों रुपये बच गए हैं. इसी तरह शहर के कई हिस्सों में पुलिस ने साइबर अपराधियों से 48 करोड़ का पैसा ठगे जाने से बचाया. वहीं शहर के पुलिस आयुक्त कमल पंत ने जनता से अनुरोध किया है कि अगर वे अजनबियों द्वारा ठगे जाते हैं तो तुरंत 112 पर कॉल करें.

शहर के आठ साइबर अपराध थानों में जब्त किए गए बैंक के मामलों का डाटा-

सिटी सेंटर डिवीजन- 79

उत्तर खंड- 521

दक्षिणपूर्व डिवीजन- 595

दक्षिण डिवीजन-615

व्हाइट फील्ड-439

पूर्वी खंड-439

पश्चिम डिवीजन-351

पूर्वोत्तर डिवीजन- 106

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