लखनऊ : बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council Of India-BCI) ने मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल के समक्ष कथित रूप से फर्जी दावे दाखिल करने और कामगार मुआवजा अधिनियम के तहत फर्जी दावा उत्तर प्रदेश के 28 अधिवक्ताओं को निलंबित कर दिया गया है. BCI ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को उन अधिवक्ताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का भी निर्देश दिया है.
स्टेट बार काउंसिल को तीन महीने के भीतर सभी जांच पूरी करने और BCI के समक्ष जांच पर एक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया था.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और संजीव खन्ना की बेंच ने सफीक अहमद बनाम आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के मामले की सुनवाई करते हुए फर्जी दावा याचिका दायर करने वाले अधिवक्ताओं से संबंधित मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देने के बाद कार्रवाई की.
इस आदेश में, शीर्ष अदालत ने देखा था कि इस तरह के दावों को दाखिल करने और मामले की जांच के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (SIT) के बावजूद, अधिकांश मामले अभी भी लंबित हैं. बेंच ने कहा कि हम चार से पांच साल बाद भी जांच और प्राथमिकी का निष्कर्ष नहीं निकालने में SIT की ओर से लापरवाही और सुस्ती की निंदा करते हैं.
कोर्ट के पिछले आदेश के अनुपालन में BSI अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा मामले की सुनवाई करने वाली बेंच के सामने पेश हुए थे. सुनवाई के दौरान, उन्होंने प्रस्तुत किया कि यूपी बार काउंसिल फर्जी दावे दायर करने वाले अधिवक्ताओं के नाम साझा नहीं कर BSI के साथ सहयोग करने में विफल रही.
BSI अध्यक्ष ने अदालत को आश्वासन दिया कि एक बार नाम साझा करने के बाद उनके खिलाफ आवश्यक अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
इसी क्रम में 19 नवंबर को बैठक कर 28 अधिवक्ताओं को निलंबित करने का निर्णय लिया गया था.