शिवकाशी: कई राज्यों में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण तमिलनाडु के शिवकाशी में पटाखा निर्माण उद्योग में लगे 1.5 लाख लोग बेरोजगार हो गए हैं. वहीं, कोविड-19 के कारण दो साल में पटाखा निर्माताओं को और भी अधिक नुकसान हुआ. इस ठहराव के बाद इस दीवाली में कारोबार में उछाल की आशंका जता रहे है. उल्लेखनीय है कि पटाखा क्षेत्र ने 7 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिया है, और वर्तमान में 1,000 से अधिक पंजीकृत पटाखा इकाइयां संचालन में हैं.
6.5 लाख से अधिक शिवकाशी के परिवारों के लिए आतिशबाजी उद्योग उनकी आय का एकमात्र स्रोत रहा है. हालांकि, बेरियम पर प्रतिबंध सहित हाल के घटनाक्रमों ने 1.5 लाख से अधिक लोगों को बेरोजगार कर दिया है. गारलैंड पटाखा प्रचलित होने के बावजूद प्रतिबंधित कर दिया गया है. चूंकि गारलैंड पटाखे पूरी तरह से हस्तनिर्मित हैं. इससे काफी संख्या में श्रमिक अपनी नौकरी खो दिये.
यह काम लगभग 40 प्रतिशत कारखाने के कर्मचारियों द्वारा किया जाता था. पटाखा मजदूर नागेंद्र ने कहा, 'मैंने पिछले 20 साल पटाखा फैक्ट्री में काम करते हुए बिताए है. शिवकाशी क्षेत्र में पटाखा उद्योग एकमात्र उद्योग है. पटाखा उद्योग 5 लाख लोगों के लिए आय का एकमात्र स्रोत है जो यहां रहते हैं. इन परिस्थितियों में कृषि कार्य नहीं किया जा सकता है, केवल पटाखा व्यवसाय ही कर सकते हैं.'
'कई वर्षों से आतिशबाजी उद्योग कुछ रसायनों और कुछ विस्फोटकों के उपयोग को लेकर प्रतिबंध जैसे मुद्दों से प्रभावित है. बारिश के कारण, इस समय पटाखों का निर्माण नहीं किया जा सकता है. परिणामस्वरूप रोजगार का नुकसान हुआ है. कई राज्यों ने दिवाली के आसपास पटाखों की बिक्री और फोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है. पटाखे का कारोबार चौपट हो गया है. नागेंद्र ने कहा, 'इसलिए पटाखा कर्मियों की ओर से मेरा अनुरोध है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को प्रधानमंत्री मोदी से सलाह लेनी चाहिए और पटाखा कर्मियों की आजीविका पर ध्यान दिया जाना चाहिए.