ETV Bharat / bharat

Balaghat Man Became Millionaire: खरपतवार से करोड़पति बने बालाघाट के सतपुते, चीन से मिला 2000 मीट्रिक टन का ऑर्डर - एमपी खरपतवार बेचकर बना करोड़पति

मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले का एक व्यक्ति खरपतवार बेचकर करोड़पति बन गया. बालाघाट के मकेन्द्र सतपुते पिछले दो साल में खरपतवार समझे जाने वाले चिरौटा के बीजों की 750 क्विंटल की खेप को चीन और वियतनाम में निर्यात कर चुके हैं.

Balaghat Man Became Millionaire
रपतवार से करोड़पति बने बालाघाट के सतपु
author img

By

Published : Aug 4, 2023, 6:15 PM IST

Updated : Aug 4, 2023, 7:41 PM IST

भोपाल। बारिश में सड़क किनारे पैदा होने वाले जिस खरपतवार को आमतौर पर नजर अंदाज कर दिया जाता है, लेकिन नजर अंदाज कर देने वाला यह पौधा मध्यप्रदेश के बालाघाट और इसके आसपास के आदिवासी इलाकों में यह आंख का तारा बना हुआ है. इस पौधे के बीज की चीन और वियतनाम में जमकर डिमांड है. बालाघाट के रहने वाले मकेन्द्र सतपुते पिछले दो साल में खरपतवार समझे जाने वाले चिरौटा के बीजों की 750 क्विंटल की खेप को चीन और वियतनाम में निर्यात कर चुके हैं. इसके बाद उन्हें हाल में चीन से 2000 मीट्रिक टन का और ऑर्डर मिला है.

चीन से मिला 2000 मीट्रिक टन का ऑर्डर: ईटीवी भारत से बातचीत में मकेन्द्र सतपुते बताते हैं कि "चिरौटा ऐसा खरपतवार है, जो आमतौर पर प्रदेश में सभी स्थानों पर पाया जाता है. बालाघाट जिले में बारिश के समय यह बड़ी मात्रा में पैदा होता है और दीपावली के समय इसकी फली पक जाती है. इस क्षेत्र के आदिवासी इनके पौधों को उखाडकर सड़क पर डाल देते हैं और गाड़ियों के निकलने से जब इनके बीज झड़ जाते हैं तो यह बीज को निकालकर मामूली दामों में बेच देते हैं. मैं पिछले कई सालों से चिरौटा को मध्यप्रदेश के कई इलाकों के अलावा, छत्तीसगढ़, उड़ीसा तक से खरीदता आ रहा हूं. पहले इसे खरीदकर गुजरात बेच देता था, लेकिन दो साल पहले लाइसेंस लिया और पिछले साल 750 क्विंटल की खेप चीन और वियतनाम निर्यात की. वे बताते हैं कि विदेश में यह 45 रुपए किलो के हिसाब से बिका. चीन में यहां के चिरौटा की क्वालिटी काफी पसंद आई है. उन्होंने 2000 मीट्रिक टन चिरौटा का और ऑर्डर भेजा है.

क्यों है चिरौटा की इतनी डिमांड: आयुर्वेटिक विषेशज्ञ डॉ. शशांक झा कहते हैं कि "चिरौटा में कई आयुर्वेदिक गुण होते हैं. इसमें इम्युनिटी बूस्ट करने के कई तत्व पाए जाते हैं. त्वचा संबंधी रोगों में भी इसे फायदेमंद माना जाता है. यही वजह है कि आदिवासी इलाकों में बारिश में इसके पत्तों की भाजी बनाकर खाते हैं. हालांकि इसके बीज की तासीर बहुत गर्म होती है, इसलिए इसका उपयोग आमतौर पर ठंडे देशों में ही ज्यादा होता है. मकेन्द्र सतपुते बताते हैं कि चीन, जापान, वियतनाम में इसकी खूब डिमांड होती है. इसका उपयोग कॉफी, कॉस्मेटिक, दवाओं आदि में होता है. देश में भी इसका उपयोग कैटल फूड के लिए किया जा रहा है, लेकिन देश में अधिकांश कंपनियां इसका आयात नाइजीरिया से कर रही हैं, क्योंकि यहां से आयात करने पर ड्यूटी नहीं लगती, लेकिन इसका नुकसान देश के आदिवासियों को हो रहा है.

किसान
मकेन्द्र सतपुते

यहां पढ़ें...

खेती नहीं हो सकी सफल: बताया जाता है कि चिरोटा की डिमांड और दाम अच्छे मिलने पर कुछ स्थानों पर इसे खेतों में उगाने के भी प्रयास किए गए, लेकिन वह सफल नहीं हुए. खेतों में उगाने पर इसके दाने पतले हो जाते हैं. सतपुते बताते हैं कि इस तरह के प्रयोग चीन में भी सफल नहीं हो सके, लेकिन अच्छी बात यह है कि मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के लगभग हर हिस्से में यह भरपूर मात्रा में पाया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक देश में इसका उत्पादन 60 हजार मीट्रिक टन का है, जबकि उपयोग 25 हजार मीट्रिक टन ही हो पाता है, जाहिर प्रदेश के आदिवासियों की आर्थिक सेहत के लिए यह अच्छा विकल्प हो सकता है.

भोपाल। बारिश में सड़क किनारे पैदा होने वाले जिस खरपतवार को आमतौर पर नजर अंदाज कर दिया जाता है, लेकिन नजर अंदाज कर देने वाला यह पौधा मध्यप्रदेश के बालाघाट और इसके आसपास के आदिवासी इलाकों में यह आंख का तारा बना हुआ है. इस पौधे के बीज की चीन और वियतनाम में जमकर डिमांड है. बालाघाट के रहने वाले मकेन्द्र सतपुते पिछले दो साल में खरपतवार समझे जाने वाले चिरौटा के बीजों की 750 क्विंटल की खेप को चीन और वियतनाम में निर्यात कर चुके हैं. इसके बाद उन्हें हाल में चीन से 2000 मीट्रिक टन का और ऑर्डर मिला है.

चीन से मिला 2000 मीट्रिक टन का ऑर्डर: ईटीवी भारत से बातचीत में मकेन्द्र सतपुते बताते हैं कि "चिरौटा ऐसा खरपतवार है, जो आमतौर पर प्रदेश में सभी स्थानों पर पाया जाता है. बालाघाट जिले में बारिश के समय यह बड़ी मात्रा में पैदा होता है और दीपावली के समय इसकी फली पक जाती है. इस क्षेत्र के आदिवासी इनके पौधों को उखाडकर सड़क पर डाल देते हैं और गाड़ियों के निकलने से जब इनके बीज झड़ जाते हैं तो यह बीज को निकालकर मामूली दामों में बेच देते हैं. मैं पिछले कई सालों से चिरौटा को मध्यप्रदेश के कई इलाकों के अलावा, छत्तीसगढ़, उड़ीसा तक से खरीदता आ रहा हूं. पहले इसे खरीदकर गुजरात बेच देता था, लेकिन दो साल पहले लाइसेंस लिया और पिछले साल 750 क्विंटल की खेप चीन और वियतनाम निर्यात की. वे बताते हैं कि विदेश में यह 45 रुपए किलो के हिसाब से बिका. चीन में यहां के चिरौटा की क्वालिटी काफी पसंद आई है. उन्होंने 2000 मीट्रिक टन चिरौटा का और ऑर्डर भेजा है.

क्यों है चिरौटा की इतनी डिमांड: आयुर्वेटिक विषेशज्ञ डॉ. शशांक झा कहते हैं कि "चिरौटा में कई आयुर्वेदिक गुण होते हैं. इसमें इम्युनिटी बूस्ट करने के कई तत्व पाए जाते हैं. त्वचा संबंधी रोगों में भी इसे फायदेमंद माना जाता है. यही वजह है कि आदिवासी इलाकों में बारिश में इसके पत्तों की भाजी बनाकर खाते हैं. हालांकि इसके बीज की तासीर बहुत गर्म होती है, इसलिए इसका उपयोग आमतौर पर ठंडे देशों में ही ज्यादा होता है. मकेन्द्र सतपुते बताते हैं कि चीन, जापान, वियतनाम में इसकी खूब डिमांड होती है. इसका उपयोग कॉफी, कॉस्मेटिक, दवाओं आदि में होता है. देश में भी इसका उपयोग कैटल फूड के लिए किया जा रहा है, लेकिन देश में अधिकांश कंपनियां इसका आयात नाइजीरिया से कर रही हैं, क्योंकि यहां से आयात करने पर ड्यूटी नहीं लगती, लेकिन इसका नुकसान देश के आदिवासियों को हो रहा है.

किसान
मकेन्द्र सतपुते

यहां पढ़ें...

खेती नहीं हो सकी सफल: बताया जाता है कि चिरोटा की डिमांड और दाम अच्छे मिलने पर कुछ स्थानों पर इसे खेतों में उगाने के भी प्रयास किए गए, लेकिन वह सफल नहीं हुए. खेतों में उगाने पर इसके दाने पतले हो जाते हैं. सतपुते बताते हैं कि इस तरह के प्रयोग चीन में भी सफल नहीं हो सके, लेकिन अच्छी बात यह है कि मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के लगभग हर हिस्से में यह भरपूर मात्रा में पाया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक देश में इसका उत्पादन 60 हजार मीट्रिक टन का है, जबकि उपयोग 25 हजार मीट्रिक टन ही हो पाता है, जाहिर प्रदेश के आदिवासियों की आर्थिक सेहत के लिए यह अच्छा विकल्प हो सकता है.

Last Updated : Aug 4, 2023, 7:41 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.