नई दिल्ली: सीबीआई ने बालासोर रेल दुर्घटना मामले में रेलवे के तीन अधिकारियों के खिलाफ शनिवार को आरोप-पत्र दाखिल किया. अधिकारियों के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या और सबूत नष्ट करने के आरोप लगाए गए हैं. रिपोर्टों के अनुसार आरोप पत्र में तीन रेलवे कर्मचारियों के शामिल हैं. अधिकारियों में वरिष्ठ अनुभाग अभियंता अरुण कुमार मोहंता, अनुभाग अभियंता मोहम्मद अमीर खान और तकनीशियन पप्पू कुमार शामिल हैं.
उन्हें पहले आईपीसी की धारा 304 और 201 के तहत गिरफ्तार किया गया था. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बहनागा ट्रेन दुर्घटना में आरोप पत्र दायर किया, जिसमें 294 यात्रियों की मौत हो गई थी जबकि 1,200 से अधिक घायल हो गए थे. 2 जून को कोरोमंडल एक्सप्रेस ने ओडिशा के बालासोर के बहनागा बाजार स्टेशन पर लूप लाइन पर खड़ी एक मालगाड़ी को टक्कर मार दी. उसी समय डाउन लाइन पर गुजर रही बेंगलुरु-हावड़ा एक्सप्रेस कोरोमंडल एक्सप्रेस के पटरी से उतरे डिब्बों की चपेट में आ गई, जिससे सैकड़ों यात्रियों की मौत हो गई. इससे पहले दक्षिण पूर्वी सर्कल के रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की जांच रिपोर्ट में कहा गया था कि ओडिशा के बालासोर के बहनागा स्टेशन पर घातक ट्रेन दुर्घटना नॉर्थ सिग्नल गूमटी में पूर्व में किए गए सिग्नलिंग-सर्किट-परिवर्तन में खामियों के कारण हुई थी.
भुवनेश्वर में विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष दाखिल अपने आरोप पत्र में जांच एजेंसी ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304 भाग-दो (गैर-इरादतन हत्या), धारा 201 (साक्ष्य का विलोपन), धारा 34 तथा रेलवे अधिनियम की धारा 153 (जानबूझकर की गई चूक से रेलयात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालना) के तहत आरोप लगाये हैं.
सीबीआई ने आरोप लगाया कि आरोपी पर घटनास्थल बाहानगा बाजार रेलवे स्टेशन के सिग्नल और दूरसंचार संपत्तियों के कुशल रखरखाव की सीधी जिम्मेदारी थी. अधिकारियों के अनुसार, सीबीआई ने आरोप लगाया है कि बाहानगा बाजार स्टेशन के पास लेवल क्रॉसिंग गेट नंबर 94 पर मरम्मत कार्य महंत द्वारा एलसी गेट नंबर 79 के सर्किट आरेख का उपयोग करके किया गया था. उन्होंने कहा कि आरोपी का कर्तव्य यह सुनिश्चित करना था कि मौजूदा सिग्नल और ‘इंटरलॉकिंग इंस्टॉलेशन’ का परीक्षण, मरम्मत और बदलाव स्वीकृत योजना और निर्देशों के अनुसार हो, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया.
केंद्रीय जांच एजेंसी ने ओडिशा पुलिस से जांच अपने हाथ में ले ली थी. एक उच्च-स्तरीय रेलवे जांच में दुर्घटना का मुख्य कारण गलत सिग्नलिंग पाया गया था और सिग्नलिंग तथा दूरसंचार विभाग में कई स्तरों पर चूक को भी चिह्नित किया गया था, लेकिन संकेत दिया गया था कि यदि पिछले चेतावनी संकेतों की जानकारी दी जाती तो त्रासदी को टाला जा सकता था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि फील्ड पर्यवेक्षकों की एक टीम ने वायरिंग आरेख को संशोधित किया, लेकिन इसे दोहराने में विफल रही. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 16 मई, 2022 को दक्षिण पूर्व रेलवे के खड़गपुर डिवीजन के बांकरनयाबाज़ स्टेशन पर गलत वायरिंग और केबल की खराबी के कारण इसी तरह की घटना हुई थी. इसमें कहा गया है, 'अगर इस घटना के बाद गलत वायरिंग के मुद्दे को हल करने के लिए सुधारात्मक उपाय किये गये होते, तो बाहानगा बाजार में दुर्घटना नहीं होती.'
(एक्सट्रा इनपुट एजेंसी)