देहरादून : श्री बदरीनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोत्चार और विधि-विधान से 8 मई को प्रातः 6:15 बजे ब्रह्म बेला पर खोल दिए जाएंगे. बद्रीनाथ धाम को देश के चार प्रमुख धामों में से एक माना जाता है. हिमालय पर्वत की श्रंखलाओं में बसे इस पौराणिक और भव्य मंदिर में भगवान श्रीहरी विराजमान है. हिमालय की चोटियों के बीच स्थित इस पावन धाम का सनातन संस्कृति में बहुत महत्व है, हर भक्त की इच्छा होती है कि जीवन में एक बार बद्रीनाथ धाम की यात्रा की जाए.
भगवान श्रीहरी का यह पवित्र और पावन धाम नर और नारायण नाम की दो पर्वत श्रंखलाओं के बीच स्थित है. श्रीहरी का प्राचीन मंदिर स्वच्छ और बर्फीले जल से प्रवाहमान अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है. बद्रीनाथ हिन्दुओं के चार धामों बद्रीनाथ, द्वारिका, जगन्नाथ और रामेश्वरम में से एक है. उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को मिलाकर उत्तराखंड के चार धाम या छोटे चार धाम कहा जाता है.
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बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का आठवां बैकुंठ माना जाता है. इस धाम में भगवान श्रीहरी छह माह तक योगनिद्रा में लीन रहते हैं और छह माह तक अपने द्वार पर आए भक्तों को दर्शन देते हैं.