मधुबनीः बिहार के मधुबनी जिले से नेशनल हाईवे NH 227 (Bad Condition Of National Highway NH 227 In Madhubani) की बदहाली को दिखाता हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस हाईवे को देखकर आप ये पता ही नहीं लगा पाएंगे कि सड़क में गड्ढा है या गड्ढे में सड़क है. ये हाल उस बिहार का है, जहां सड़क और पुल-पुलिया पर लाखों-करोड़ों खर्च किए जाने के दावे किए जाते हैं. बरसात के दिनों में ये सड़क किसी नरक से कम नहीं होती.
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दिन-ब-दिन खस्ताहाल होती गई सड़कः मधुबनी के बासोपट्टी का ये नेशनल हाईवे नंबर 227 है. जिस पर तकरीबन सौ से अधिक गड्ढे हैं. ये सड़क 80-90 के दशक में काफी ठीक थी. साल 2001 में इसे राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा दिया गया लेकिन इसके रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. पिछले 20 साल में कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन एनएच 227 इतने सालों में दिन ब दिन खस्ताहाल होती चली गई. आज हाईवे सड़क नहीं बल्कि दूर से कोई तालाब नजर आता है. बरसात के दिनों में मुसाफिरों की मुश्किलें इतनी बढ़ जाती हैं कि कोई इस रास्ते पर चलना नहीं चाहता, लेकिन नेशनल हाईवे होने के कारण हर छोटी-बड़ी गाडियों को इसी रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये वाहन किस तरह इस हाईवे को पार करते होंगे.
स्थानीय लोग बताते हैं कि इस सड़क पर रोजाना वीवीआईपी से लेकर आम लोग तक जाम में फंसे रहते हैं. सबकी गाड़ियां पानी भरे गड्ढे में फंस जाती हैं. लोग बताते हैं कि सुरक्षा को लेकर भी हाईवे पर कोई खास बंदोबस्त नहीं किए गए हैं. एनएच 227 L नाम से पहचानी जाने वाली यह सड़क नेशनल हाईवे का दर्जा रखती है. जो बिहार में पहला स्टेट हाईवे कहलाती है.
"इस हाईवे से कई मंत्री और विधायक अक्सर गुजरते हैं. जिला के डीएम भी यहां से गुजरते हैं. लेकिन किसी को सड़क की बदहाली नहीं दिखाई देती. 7 साल से ये सड़क ऐसी ही स्थिति में है. नेशनल हाईवे पर चलते हैं तो ऐसा लगता है कि हम किसी जंगल या नदी में चल रहे है. क्योंकि हर 20 फीट पर एक गड्डा है. आलम यह है कि आधे घंटे का सफर पूर करने में दो घंटा का समय लग जाता है"- स्थानीय
वहीं, स्थानीय बीजेपी विधायक अरुण शंकर प्रसाद ने बताया कि उन्होंने इस हमने हाईवे के हालत को लेकर सदन में तीन बार अलग-अलग सत्रों में सवाल उठाया, लेकिन NH विभाग अफसरों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा.
"मेटेरियल का रेट बढ़ गया है. कई दिनों से विभाग ने पेमेंट नहीं किया है, ना तो सामान आ पा रहा है और ना ही मजदूरों को पैसा दिया गया है. जिसके कारण यह सड़क अधूरी छूटी हुई है" - ठेकेदार रवींद्र कुमार
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बताया जाता है कि 20 किलोमीटर ये सड़क कलुआही से बासोपट्टी होते हुए उमगांव तक जाती है. इस सड़क पर अगर आप अपनी नजर उठाकर देखें तो जहां तक आपकी नजर जाएगी, उससे आगे तक इस सड़क में गड्ढे ही नजर आएंगे. बताया जाता है कि इसके निर्माण में 25 करोड़ रुपये खर्च भी किए गए हैं लेकिन करोड़ों खर्च करने के बाद भी सड़क की तस्वीर क्यों नहीं बदली, ये तो राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ही बता पाएगा. 2015 के बाद से यह सड़क पूरी तरह से खराब है. इसे बनाने के लिए अब तक तीन बार टेंडर जारी हो चुके हैं लेकिन सभी ठेकेदार सिर्फ सड़क बनाने की खानापूर्ति करके भाग गए.