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हजारीबाग के बाबू राम नारायण भी थे संविधान निर्माण समिति के सदस्य, जानें क्या थी भूमिका - हजारीबाग के बाबू राम नारायण सिंह

पूरा देश 26 जनवरी को 72वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. देश में संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था. हजारीबाग के रहने वाले छोटानागपुर केसरी बाबू राम नारायण सिंह ने भी संविधान निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी. पढ़ें खास रिपोर्ट

छोटानागपुर केसरी
छोटानागपुर केसरी
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Published : Jan 25, 2021, 10:00 PM IST

हजारीबाग : झारखंड का जिला हजारीबाग समृद्ध इतिहास के लिए पूरे देश भर में जाना जाता है. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आजादी के दीवानों के लिए यह तीर्थ स्थल से कम नहीं था, जहां महात्मा गांधी से लेकर सुभाष चंद्र बोस तक ने आकर अंग्रेजों के खिलाफ हुंकार भरी थी. वहीं, हजारीबाग की दो विभूतियों ने संविधान निर्माण में भी अहम भूमिका निभाई थी.

संविधान निर्माण करने में कई लोगों की अहम भूमिका रही, जिसमें हजारीबाग की दो शख्सियत छोटानागपुर केसरी बाबू राम नारायण सिंह और केबी सहाय का योगदान अविस्मरणीय है. आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर इन दोनों वीर सपूतों को ईटीवी भारत नमन करता है.

हजारीबाग में पढ़े-लिखे दोनों सपूतों ने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई में भी अहम भूमिका निभाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब चुनावी कार्यक्रम में हजारीबाग के बरही पहुंचे थे तो उन्होंने खुले मंच से छोटानागपुर केसरी बाबू राम नारायण सिंह को नमन किया था.

संविधान निर्माण में भूमिका

खास रिपोर्ट

बाबू राम नारायण सिंह 1921 से लेकर 1944 तक 10 साल, अलग-अलग समय में जेल में रहे. बाबू राम नारायण 1927 से लेकर 1946 तक केंद्रीय विधानसभा के सदस्य के रूप में अपने विचारों से राष्ट्रवाद की धारा प्रवाहित करते रहे. संविधान सभा की प्रथम कार्यवाही 9 दिसंबर 1946 को शुरू हुई थी. संविधान सभा में उन्होंने सदस्य के रूप में रामनारायण बाबू पंचायती राज, शक्तियों का विकेंद्रीकरण, मंत्री और सदस्यों का अधिकतम वेतन 500 करने की वकालत की थी.

संविधान सभा में ही बाबू राम नारायण ने कहा था कि देश के प्रधानमंत्री को प्रधानसेवक कहा जाए और नौकरशाह लोक सेवक के रूप में जाने जाएं. ऐसा इसलिए कि राजतंत्र की आत्मा कहीं लोकतंत्र में प्रवेश न कर जाए, इस बात का उन्हें डर था.

मंत्रिमंडल को सेवक मंडल के रूप में अपनाया जाए. आज स्वर्गीय राम नारायण सिंह के परिजन खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. उनका कहना है कि 'हमारे दादा ने जो सपना देखा था, जो बातें कहीं थीं, आज के समय में चरितार्थ हो रहा है, जो उनके दूरदर्शी होने का परिचायक है'.

हजारीबाग के पहले सांसद

हजारीबाग से वह पहले सांसद बने, लेकिन उन्होंने चुनाव किसी पार्टी के बैनर तले न लड़ कर निर्दलीय लड़ा और इस बात को बताया कि व्यक्ति विशेष होता है, पार्टी विशेष नहीं होती. आज बाबू राम नारायण सिंह के लिखे दस्तावेज का अंश संविधान में इस बात का परिचायक है कि छोटे से घर में जन्म लेने वाले की सोच इतनी बड़ी थी कि उनके सामने महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू जैसे नेता नतमस्तक थे.

वर्तमान चतरा जिले के तेतरिया गांव में 19 दिसंबर 1885 को बाबू राम नारायण का जन्म हुआ. 1952 में सांसद बनने का उन्हें गौरव भी प्राप्त हुआ. आजादी की लड़ाई में उन्होंने अपना अहम योगदान दिया. भारतीय संविधान के निर्माण के बाद हस्ताक्षर और संविधान सभा सदस्य के बीच उनकी तस्वीर आज उनकी अहमियत और दूरदर्शिता को बताती है.

हजारीबाग के शिक्षाविद और छोटानागपुर केसरी बाबू राम नारायण सिंह के साथ समय बिताने वाले प्रोफेसर शिवदयाल सिंह बताते हैं कि वह एक नेक दिल इंसान थे. सांसद बनने के बाद भी उन्हें अक्सर सड़क किनारे कुर्सी लगाकर लोगों से बात करते, समस्या सुलझाते हुए लोगों ने देखा है.

हजारीबाग के लोगों को बेहद खुशी है कि जिले की विभूति बाबू राम नारायण सिंह संविधान सभा के सदस्य थे. उनके बताए हुए शब्द आज चरितार्थ हो रहे हैं. 'प्रधानसेवक' शब्द का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हमेशा जिक्र करते हैं. यह उनके ही शब्द थे. ऐसे में कहा जा सकता है कि 70 साल के बाद अगर उनके विचार दिख रहे हैं तो यह उनकी दूरदर्शिता है.

पढ़ें-राष्ट्रीय बाल पुरस्कार : पीएम मोदी ने शेयर की विजेताओं की गाथा, तस्वीरों में देखें

बाबू राम नारायण का घर है संग्रहालय

राम नारायण सिंह के वंशज आज उनके लिखे हुए कागज को दस्तावेज समझते हैं. उनके घर में संविधान सभा की पुस्तक और अन्य दस्तावेज इस बात को बताते हैं कि यह घर कोई आम नहीं बल्कि संग्रहालय है.

प्रोफेसर प्रमोद सिंह का कहना है कि संविधान मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए कुरान, क्रिश्चियन के लिए बाइबिल और हिंदू के लिए गीता है. यह हमारे धर्मनिरपेक्ष होने का गवाह है. ऐसे में संविधान अगर पढ़ा जाए तो हमें पता चलेगा कि हम पहले भारतीय हैं इसके बाद हमारा धर्म और जाति है.

हजारीबाग : झारखंड का जिला हजारीबाग समृद्ध इतिहास के लिए पूरे देश भर में जाना जाता है. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आजादी के दीवानों के लिए यह तीर्थ स्थल से कम नहीं था, जहां महात्मा गांधी से लेकर सुभाष चंद्र बोस तक ने आकर अंग्रेजों के खिलाफ हुंकार भरी थी. वहीं, हजारीबाग की दो विभूतियों ने संविधान निर्माण में भी अहम भूमिका निभाई थी.

संविधान निर्माण करने में कई लोगों की अहम भूमिका रही, जिसमें हजारीबाग की दो शख्सियत छोटानागपुर केसरी बाबू राम नारायण सिंह और केबी सहाय का योगदान अविस्मरणीय है. आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर इन दोनों वीर सपूतों को ईटीवी भारत नमन करता है.

हजारीबाग में पढ़े-लिखे दोनों सपूतों ने अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई में भी अहम भूमिका निभाई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब चुनावी कार्यक्रम में हजारीबाग के बरही पहुंचे थे तो उन्होंने खुले मंच से छोटानागपुर केसरी बाबू राम नारायण सिंह को नमन किया था.

संविधान निर्माण में भूमिका

खास रिपोर्ट

बाबू राम नारायण सिंह 1921 से लेकर 1944 तक 10 साल, अलग-अलग समय में जेल में रहे. बाबू राम नारायण 1927 से लेकर 1946 तक केंद्रीय विधानसभा के सदस्य के रूप में अपने विचारों से राष्ट्रवाद की धारा प्रवाहित करते रहे. संविधान सभा की प्रथम कार्यवाही 9 दिसंबर 1946 को शुरू हुई थी. संविधान सभा में उन्होंने सदस्य के रूप में रामनारायण बाबू पंचायती राज, शक्तियों का विकेंद्रीकरण, मंत्री और सदस्यों का अधिकतम वेतन 500 करने की वकालत की थी.

संविधान सभा में ही बाबू राम नारायण ने कहा था कि देश के प्रधानमंत्री को प्रधानसेवक कहा जाए और नौकरशाह लोक सेवक के रूप में जाने जाएं. ऐसा इसलिए कि राजतंत्र की आत्मा कहीं लोकतंत्र में प्रवेश न कर जाए, इस बात का उन्हें डर था.

मंत्रिमंडल को सेवक मंडल के रूप में अपनाया जाए. आज स्वर्गीय राम नारायण सिंह के परिजन खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. उनका कहना है कि 'हमारे दादा ने जो सपना देखा था, जो बातें कहीं थीं, आज के समय में चरितार्थ हो रहा है, जो उनके दूरदर्शी होने का परिचायक है'.

हजारीबाग के पहले सांसद

हजारीबाग से वह पहले सांसद बने, लेकिन उन्होंने चुनाव किसी पार्टी के बैनर तले न लड़ कर निर्दलीय लड़ा और इस बात को बताया कि व्यक्ति विशेष होता है, पार्टी विशेष नहीं होती. आज बाबू राम नारायण सिंह के लिखे दस्तावेज का अंश संविधान में इस बात का परिचायक है कि छोटे से घर में जन्म लेने वाले की सोच इतनी बड़ी थी कि उनके सामने महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू जैसे नेता नतमस्तक थे.

वर्तमान चतरा जिले के तेतरिया गांव में 19 दिसंबर 1885 को बाबू राम नारायण का जन्म हुआ. 1952 में सांसद बनने का उन्हें गौरव भी प्राप्त हुआ. आजादी की लड़ाई में उन्होंने अपना अहम योगदान दिया. भारतीय संविधान के निर्माण के बाद हस्ताक्षर और संविधान सभा सदस्य के बीच उनकी तस्वीर आज उनकी अहमियत और दूरदर्शिता को बताती है.

हजारीबाग के शिक्षाविद और छोटानागपुर केसरी बाबू राम नारायण सिंह के साथ समय बिताने वाले प्रोफेसर शिवदयाल सिंह बताते हैं कि वह एक नेक दिल इंसान थे. सांसद बनने के बाद भी उन्हें अक्सर सड़क किनारे कुर्सी लगाकर लोगों से बात करते, समस्या सुलझाते हुए लोगों ने देखा है.

हजारीबाग के लोगों को बेहद खुशी है कि जिले की विभूति बाबू राम नारायण सिंह संविधान सभा के सदस्य थे. उनके बताए हुए शब्द आज चरितार्थ हो रहे हैं. 'प्रधानसेवक' शब्द का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हमेशा जिक्र करते हैं. यह उनके ही शब्द थे. ऐसे में कहा जा सकता है कि 70 साल के बाद अगर उनके विचार दिख रहे हैं तो यह उनकी दूरदर्शिता है.

पढ़ें-राष्ट्रीय बाल पुरस्कार : पीएम मोदी ने शेयर की विजेताओं की गाथा, तस्वीरों में देखें

बाबू राम नारायण का घर है संग्रहालय

राम नारायण सिंह के वंशज आज उनके लिखे हुए कागज को दस्तावेज समझते हैं. उनके घर में संविधान सभा की पुस्तक और अन्य दस्तावेज इस बात को बताते हैं कि यह घर कोई आम नहीं बल्कि संग्रहालय है.

प्रोफेसर प्रमोद सिंह का कहना है कि संविधान मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए कुरान, क्रिश्चियन के लिए बाइबिल और हिंदू के लिए गीता है. यह हमारे धर्मनिरपेक्ष होने का गवाह है. ऐसे में संविधान अगर पढ़ा जाए तो हमें पता चलेगा कि हम पहले भारतीय हैं इसके बाद हमारा धर्म और जाति है.

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