नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि वह तालिबान के अंतरिम मंत्रिमंडल के गठन से काफी निराश है और वह अफगानिस्तान के घटनाक्रम को लेकर अपने करीबी साझेदारों और सहयोगियों के संपर्क में है.
भारत में ऑस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फारेल ने कहा कि शनिवार को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच होने वाली मंत्रिस्तरीय वार्ता के दौरान अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा होने की संभावना है. ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मारिस पायने और रक्षा मंत्री पीटर डुटोन अपने भारतीय समकक्षों के साथ वार्ता के लिए 10 से 12 सितंबर तक भारत दौरे पर रहेंगे.
फारेल ने संवाददाताओं से कहा कि ऑस्ट्रेलिया भारत के साथ संबंधों को और आगे ले जाना चाहता है. उन्होंने तालिबान द्वारा गठित अंतरिम सरकार में महिलाओं और पिछली सरकार के सदस्यों के अलावा हजारा समुदाय के साथ-साथ अन्य अल्पसंख्यकों के किसी भी प्रतिनिधित्व को शामिल नहीं किए जाने का उल्लेख किया। उच्चायुक्त ने हक्कानी नेटवर्क के सदस्यों को शामिल करने का भी उल्लेख किया जो संयुक्त राष्ट्र की आतंवादियों की सूची में शामिल थे.
इसके अलावा, ऑस्ट्रेलियाई उच्चायुक्त ने कहा कि शनिवार को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच उद्घाटन टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता में अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा होने की संभावना है।
इससे पहले अफगानिस्तान की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए रूसी व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सेना के अफगानिस्तान से पूरी तरह बाहर निकल जाने के बाद वहां नया संकट पैदा हुआ. और यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसका क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
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13वें ब्रिक्स सम्मेलन को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान अपने पड़ोसियों देशों के लिए खतरा न बने. अफगानिस्तान से न तो नशीली दवाओं की तस्करी हो और न ही आने वाले समय में अफगानिस्तान आतंकवाद का गढ़ बने.
अफगानिस्तान मुद्दे पर अमेरिकी और जर्मनी ने बैठक बुलाई थी. बैठक में भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शामिल हुए. इस दौरान जयशंकर ने कहा कि तालिबान को किए वायदे पूरे करने चाहिए और किसी भी आतंकी गुट द्वारा अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल करे कबूल नहीं किया जाएगा. जयशंकर ने कहा कि संकट के समय अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उत्तरदायी और एकजुट रहना चाहिए.