भिंड। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्मदिन सुशासन दिवस के रूप में मनाया जाता है, अटलजी से जुड़े किस्सों की बात करें तो अटलजी का भिंड जिले से भी नाता रहा है. (Atal Bihari Vajpayee) आज भले ही अटल जी इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनसे जुड़ी बातें और यादें उनके चाहने वालों के लिए ना भुला देने वाली है. बहुत कम लोग हैं, जिन्हे पता है कि पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी का बचपन भिंड जिले में गुजरा है. भिंड शहर में रहकर उन्होंने स्कूल की पढ़ाई की, वहीं कुछ समय गोहद में बिताया. इस दौरान उनकी दोस्ती दोनों ही इलाको में मिसाल बनी.
मकान मालिक ने कभी नहीं लिया किराया: अटल जी 8 वर्ष की उम्र में भिंड रहने आये थे, अपनी प्रारंभिक शिक्षा के लिए वे शहर की गर्ल्स स्कूल वाली गली में रत्नाकर मिश्रा घर किराए पर लेकर रहे. यहां उनकी दोस्ती उनके मकान मालिक के बेटे छोटे लाल मिश्रा से हुई. छोटे लाल के पोते राहुल मिश्रा ने बताया कि, "मैं हमेशा अटल बिहारी जी को याद करता हूं. वे यहां(भिंड) दो बार रहने आए, लेकिन हमने उनसे कभी किराया नहीं मांगा. वे उस समय गली में अर्बन एस्टेट बालक स्कूल में पढ़ते थे, जो आज शासकीय कन्या शाला है."
घर को म्यूजियम बनाना चाहता है परिवार: अटल बिहारी वाजपेयी एक होनहार छात्र थे, प्रारंभिक स्कूली शिक्षा के बाद आगे पढ़ने के लिए वे ग्वालियर चले गए. जिसके बाद कभी उनका भिंड में परिवार से मिलना नहीं हुआ. जिस घर में वे रहे आज वह खंडहर हो चुका है, लेकिन राहुल मिश्रा का परिवार मिलकर उसका जीर्णोद्धार कराकर अटल जी की याद में संग्रहालय बनाने पर विचार कर रहा है. (Vajpayee relationship with Bhind)
गोहद को भी बनाया था आसरा, पहलवानी भी की: भिंड शहर के अलावा अटल जी ने गोहद में भी अपना आसरा बनाया था, वे अपने परिवार के साथ गोहद के पुराने बस स्टैंड इलाके में रहा करते थे. उस वक्त गोहद में शिक्षा के लिए स्टेट टाइम का सिंधिया घराने से जुड़ा एकमात्र स्कूल था, जिसमें उन्होंने अपनी स्कूलिंग की थी. आज अटल जी की तरह उनके सहपाठी भी इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं, लेकिन उनसे जुड़े लोग बताते है कि, अटलजी बचपन में गोहद में रहे थे, उन्होंने यहां पढ़ाई और पहलवानी भी की थी. (Atal Bihari Vajpayee relation with Gohad)
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दोस्त ने पहनाया था रुपयों और बताशों का हार: अटल जी को लेकर एक और किस्सा भी जानने लायक है. स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि, राजनेता बनने के बाद एक बार अटलजी गोहद आये थे, बस स्टैंड पर उनकी सभा भी हुई थी. उसके बाद वे बाजार में आये तो उस समय एक गनी बादशाह नाम के बताशा बेचने वाले शख्स की दुकान से गुजरे तो गनी बादशाह ने दुकान के पूरे बताशे और गल्ले में रखे सभी रुपयों का हार पहनाकर उनका स्वागत किया था. वे काफी मिलनसार थे.
इस बात को हंसा कर टाल गए थे अटल जी: अटल जी को जानने वाले बीजेपी के बुजुर्ग नेता किशोरी लाल बांदिल ने बताया कि, "ग्वालियर में मेरी मुलाकात अटलजी से होती रहती थी. एक बार महल में राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जन्मदिन पर भोज रखा गया था, वहां अटलजी समेत संगठन के और भी नेता मौजूद थे. उस वक्त संतोषी भी उस सभा का हिस्सा थे. राजमाता सिंधिया ने सभी नेताओं की मौजूदगी में कहा कि वे 60 साल की हो गयी हैं और पार्टी में आगे काम नहीं करना चाहतीं है, अब राजनीति से रिटायरमेंट लेना चाहती हैं. राजमाता की ये बात सुनकर सभी चकित रह गए. आखिर में अटलजी ने उठकर अपने मजाकिया लहजे में कहा कि 'साठा सो पाठा' "यानी 60 साल की उम्र में तो आदमी शुरुआत करता है और आप छोड़ने की बात कर रही हैं, अब तो शुरुआत करेंगी आप. अटलजी का लहज़ा ऐसा था कि माहौल खुशनुमा हो गया और राजमाता सिंधिया के साथ सभी हंसने लग गए." (Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary)
गोहद से दोस्तों को बुलाया था शपथ ग्रहण समारोह में: अटलजी की सादगी और दोस्ती की मिसाल पेश करता एक किस्सा यह भी है कि जब उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तब अपने शपथ ग्रहण समारोह में गोहद से अपने दो खास दोस्त द्वारिका प्रसाद सोनी जो न सिर्फ उनके सहपाठी थे, बल्कि साथ में दोनों ने पहलवानी भी की थी. वहीं दूसरे बताशे वाले गनी बादशाह को भी विशेष रूप से बुलाया था, लेकिन किस्मत का खेल कि आज यह तीनों ही दोस्त इस दुनिया में नहीं रहे. (Former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee)