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असम सरकार पर अधिकारों के उल्लंघन का आरोप, NHRC में शिकायत - NHRC में शिकायत

असम की दो महीने पुरानी सरकार पर अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगा है. राज्य में मुठभेड़ की बढ़ती घटनाओं को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में शिकायत की गई है. सरकार पर 'मुठभेड़ की होड़' (an encounter spree) का आरोप लगाया गया है.

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा
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Published : Jul 12, 2021, 5:27 PM IST

गुवाहाटी : मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में दो महीने पहले बनी भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगे हैं. असम के रहने वाले एक शख्स जो दिल्ली में वकालत भी करते हैं, ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में शिकायत दर्ज कराई है. आरोप लगाया है कि 10 मई, 2021 को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली सरकार में 'मुठभेड़ की होड़' (an encounter spree) हैं.

अधिवक्ता आरिफ जवादर ने कहा, 'जब से राज्य में नई सरकार ने सत्ता संभाली है, फर्जी मुठभेड़ (encounter) हुई हैं. कथित तौर पर अपराधियों को गोली मारी जा रही है. इस तरह की मुठभेड़ों का कारण यह बताया गया है कि अपराधियों ने पिस्तौल छीनकर पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश की थी. इसकी शिकायत शनिवार को एनएचआरसी में दर्ज कराई गई.'
10 मुठभेड़ का किया जिक्र, दो के नाम भी बताए

रिपोर्टों के अनुसार एक जून से राज्य में हिरासत में आरोपियों या छापे के दौरान 20 से अधिक ऐसी मुठभेड़ों की सूचना मिली है, जिसमें कम से कम पांच मामलों में आरोपी की मौत हो गई है. जवादर ने मुठभेड़ों के 10 ऐसे मामलों को भी सूचीबद्ध किया जहां कथित अपराधियों को मार गिराया गया या घायल कर दिया गया. उनका नाम लेते हुए, जवादर ने कहा कि कथित अपराधियों में बुबू कोंवर शामिल है जो हत्या सहित कई अपराधों के लिए वांछित था और रेलवे सुरक्षा विशेष बल के बर्खास्त उप-निरीक्षक कंवलदीप सिंह सिद्धू एक व्यापारी का अपहरण करने के लिए वांछित थे. इन दोनों को 23 मई और 3 जुलाई को मार गिराया गया.

जवादर ने शिकायत में कहा है कि 'मुठभेड़ में मारे गए या जख्मी हुए सभी व्यक्ति आतंकवादी नहीं हैं और न ही सभी को पिस्तौल चलानी आती है. ऐसे में इस बात की उम्मीद बहुत कम है कि उन्होंने भारी हथियारों से लैस पुलिस से पिस्तौल छीनने का प्रयास किया हो. यह भी विश्वास नहीं किया जा सकता है कि सभी कथित अपराधी प्रशिक्षित पुलिस अधिकारी से पिस्तौल छीन सकते हैं.'

हिमंत ने दिया था पैर पर गोली मारने वाला बयान
गौरतलब है कि 11 जुलाई को नगांव में तीन ऐसी घटनाएं हुई, जब पुलिस ने दो अलग-अलग घटनाओं में दो कथित अपराधियों पर गोलियां चलाईं और एक ड्रग पेडलर और एक अन्य व्यक्ति को मार डाला.

वकील ने पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारी के साथ एक सम्मेलन में असम के मुख्यमंत्री के हालिया बयानों के साथ मुठभेड़ों में वृद्धि को आगे जोड़ा, जहां उन्होंने कहा था कि पुलिस को कथित अपराधियों को पैरों पर गोली मारनी चाहिए जिसकी कानून में इजाजत है. जवादर ने कहा, 'मुख्यमंत्री के इस तरह के बयान के बाद अब पुलिस बेखौफ फर्जी मुठभेड़ कर रही है.'

विपक्ष ने भी जताई है चिंता

असम में विपक्षी नेताओं ने भी पिछले दो महीनों में हुई मुठभेड़ों पर चिंता व्यक्त की. उनका कहना है कि कानून लागू करने वालों को इस तरह खुश करने का खामियाजा राज्य को भुगतना पड़ेगा.

कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने पहले कहा था कि मुख्यमंत्री और सरकार को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट और गुवाहाटी उच्च न्यायालय दोनों ने फैसला सुनाया है कि अपराधी कितने भी खतरनाक क्यों न हों, उन्हें जिंदा पकड़ा जाना चाहिए. जवादर ने यह दलील दी कि असम पुलिस की कार्रवाई कथित अपराधियों के अधिकारों को निष्पक्ष सुनवाई से वंचित कर रही है, इस संबंध में एनएचआरसी के तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.

पढ़ें- सीएम बोले- अपराधियों पर गोली चलाना पैटर्न हो, एजेपी बोली- आका को बचाना चाहते हैं आप

गुवाहाटी : मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व में दो महीने पहले बनी भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगे हैं. असम के रहने वाले एक शख्स जो दिल्ली में वकालत भी करते हैं, ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में शिकायत दर्ज कराई है. आरोप लगाया है कि 10 मई, 2021 को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के नेतृत्व वाली सरकार में 'मुठभेड़ की होड़' (an encounter spree) हैं.

अधिवक्ता आरिफ जवादर ने कहा, 'जब से राज्य में नई सरकार ने सत्ता संभाली है, फर्जी मुठभेड़ (encounter) हुई हैं. कथित तौर पर अपराधियों को गोली मारी जा रही है. इस तरह की मुठभेड़ों का कारण यह बताया गया है कि अपराधियों ने पिस्तौल छीनकर पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश की थी. इसकी शिकायत शनिवार को एनएचआरसी में दर्ज कराई गई.'
10 मुठभेड़ का किया जिक्र, दो के नाम भी बताए

रिपोर्टों के अनुसार एक जून से राज्य में हिरासत में आरोपियों या छापे के दौरान 20 से अधिक ऐसी मुठभेड़ों की सूचना मिली है, जिसमें कम से कम पांच मामलों में आरोपी की मौत हो गई है. जवादर ने मुठभेड़ों के 10 ऐसे मामलों को भी सूचीबद्ध किया जहां कथित अपराधियों को मार गिराया गया या घायल कर दिया गया. उनका नाम लेते हुए, जवादर ने कहा कि कथित अपराधियों में बुबू कोंवर शामिल है जो हत्या सहित कई अपराधों के लिए वांछित था और रेलवे सुरक्षा विशेष बल के बर्खास्त उप-निरीक्षक कंवलदीप सिंह सिद्धू एक व्यापारी का अपहरण करने के लिए वांछित थे. इन दोनों को 23 मई और 3 जुलाई को मार गिराया गया.

जवादर ने शिकायत में कहा है कि 'मुठभेड़ में मारे गए या जख्मी हुए सभी व्यक्ति आतंकवादी नहीं हैं और न ही सभी को पिस्तौल चलानी आती है. ऐसे में इस बात की उम्मीद बहुत कम है कि उन्होंने भारी हथियारों से लैस पुलिस से पिस्तौल छीनने का प्रयास किया हो. यह भी विश्वास नहीं किया जा सकता है कि सभी कथित अपराधी प्रशिक्षित पुलिस अधिकारी से पिस्तौल छीन सकते हैं.'

हिमंत ने दिया था पैर पर गोली मारने वाला बयान
गौरतलब है कि 11 जुलाई को नगांव में तीन ऐसी घटनाएं हुई, जब पुलिस ने दो अलग-अलग घटनाओं में दो कथित अपराधियों पर गोलियां चलाईं और एक ड्रग पेडलर और एक अन्य व्यक्ति को मार डाला.

वकील ने पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारी के साथ एक सम्मेलन में असम के मुख्यमंत्री के हालिया बयानों के साथ मुठभेड़ों में वृद्धि को आगे जोड़ा, जहां उन्होंने कहा था कि पुलिस को कथित अपराधियों को पैरों पर गोली मारनी चाहिए जिसकी कानून में इजाजत है. जवादर ने कहा, 'मुख्यमंत्री के इस तरह के बयान के बाद अब पुलिस बेखौफ फर्जी मुठभेड़ कर रही है.'

विपक्ष ने भी जताई है चिंता

असम में विपक्षी नेताओं ने भी पिछले दो महीनों में हुई मुठभेड़ों पर चिंता व्यक्त की. उनका कहना है कि कानून लागू करने वालों को इस तरह खुश करने का खामियाजा राज्य को भुगतना पड़ेगा.

कांग्रेस अध्यक्ष रिपुन बोरा ने पहले कहा था कि मुख्यमंत्री और सरकार को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट और गुवाहाटी उच्च न्यायालय दोनों ने फैसला सुनाया है कि अपराधी कितने भी खतरनाक क्यों न हों, उन्हें जिंदा पकड़ा जाना चाहिए. जवादर ने यह दलील दी कि असम पुलिस की कार्रवाई कथित अपराधियों के अधिकारों को निष्पक्ष सुनवाई से वंचित कर रही है, इस संबंध में एनएचआरसी के तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है.

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