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नागरिकता कानून की सुनवाई के दौरान SG ने SC से कहा- असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं था

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 12, 2023, 4:49 PM IST

Updated : Dec 12, 2023, 4:58 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में असम में अवैध प्रवासियों से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 17 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है. पढ़ें सुमित सक्सेना की रिपोर्ट... Citizenship Act Section 6A, Supreme Court, Section 6A Of Citizenship Act, constitution bench

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नई दिल्ली : सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं था. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने असम के म्यांमार का हिस्सा होने का गलत संदर्भ देते हुए कहा कि उन्होंने इतिहास की गलत किताब पढ़ी है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ असम में अवैध प्रवासियों से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 17 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.

नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए को असम समझौते के अंतर्गत आने वाले लोगों की नागरिकता से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में जोड़ा गया था. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि मुझे नहीं लगता कि धारा 6ए की वैधता तय करने का इसका कोई उद्देश्य हो सकता है. लेकिन, मेरे विद्वान वरिष्ठ मित्र (वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल) ने कुछ इतिहास का हवाला दिया था. ऐसा लगता है कि उन्होंने इतिहास की गलत किताब पढ़ ली है. असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं था.

मेहता ने जोर देकर कहा कि असम कभी इसका हिस्सा नहीं था, क्योंकि म्यांमार में अब सबसे अधिक आप्रवासन है और इसलिए यह कहना कि यह (असम) हमेशा इसका हिस्सा था (सही नहीं)... अपनी दलीलों का बचाव करते हुए सिब्बल ने कहा कि आज असम क्या है… अंग्रेजों ने इस पर कब्जा कर लिया. यह (इतिहास की किताब के) अध्याय में है और स्पष्ट रूप से असम सरकार की वेबसाइट भी यही बात कहती है…”

मेहता ने कहा कि मैं उस मुद्दे पर शामिल नहीं होना चाहता और यह मेरे दोस्त की पढ़ी गई एक गलत किताब है. सिब्बल ने कहा कि असम सरकार की वेबसाइट बिल्कुल यही कहती है, और कहा कि हमें इसमें नहीं पड़ना चाहिए... मेहता ने कहा कि मैं इसे यहीं छोड़ दूंगा और सिब्बल को शर्मिंदा नहीं करना चाहता. मेहता ने कहा कि म्यांमार से घुसपैठ का मुद्दा आपके आधिपत्य के समक्ष अलग से लंबित है और अन्य मुद्दे भी लंबित हैं. इसलिए, यह धारा 6ए की वैधता तक ही सीमित है. सीजेआई ने कहा कि आइए हम खुद को धारा 6ए की वैधता तक सीमित रखें और कार्यवाही के साथ आगे बढ़ें. सुनवाई दोपहर के सत्र में जारी रहेगी.

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नई दिल्ली : सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं था. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने असम के म्यांमार का हिस्सा होने का गलत संदर्भ देते हुए कहा कि उन्होंने इतिहास की गलत किताब पढ़ी है. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ असम में अवैध प्रवासियों से संबंधित नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 17 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.

नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए को असम समझौते के अंतर्गत आने वाले लोगों की नागरिकता से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में जोड़ा गया था. केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे मेहता ने पीठ के समक्ष कहा कि मुझे नहीं लगता कि धारा 6ए की वैधता तय करने का इसका कोई उद्देश्य हो सकता है. लेकिन, मेरे विद्वान वरिष्ठ मित्र (वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल) ने कुछ इतिहास का हवाला दिया था. ऐसा लगता है कि उन्होंने इतिहास की गलत किताब पढ़ ली है. असम कभी भी म्यांमार का हिस्सा नहीं था.

मेहता ने जोर देकर कहा कि असम कभी इसका हिस्सा नहीं था, क्योंकि म्यांमार में अब सबसे अधिक आप्रवासन है और इसलिए यह कहना कि यह (असम) हमेशा इसका हिस्सा था (सही नहीं)... अपनी दलीलों का बचाव करते हुए सिब्बल ने कहा कि आज असम क्या है… अंग्रेजों ने इस पर कब्जा कर लिया. यह (इतिहास की किताब के) अध्याय में है और स्पष्ट रूप से असम सरकार की वेबसाइट भी यही बात कहती है…”

मेहता ने कहा कि मैं उस मुद्दे पर शामिल नहीं होना चाहता और यह मेरे दोस्त की पढ़ी गई एक गलत किताब है. सिब्बल ने कहा कि असम सरकार की वेबसाइट बिल्कुल यही कहती है, और कहा कि हमें इसमें नहीं पड़ना चाहिए... मेहता ने कहा कि मैं इसे यहीं छोड़ दूंगा और सिब्बल को शर्मिंदा नहीं करना चाहता. मेहता ने कहा कि म्यांमार से घुसपैठ का मुद्दा आपके आधिपत्य के समक्ष अलग से लंबित है और अन्य मुद्दे भी लंबित हैं. इसलिए, यह धारा 6ए की वैधता तक ही सीमित है. सीजेआई ने कहा कि आइए हम खुद को धारा 6ए की वैधता तक सीमित रखें और कार्यवाही के साथ आगे बढ़ें. सुनवाई दोपहर के सत्र में जारी रहेगी.

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Last Updated : Dec 12, 2023, 4:58 PM IST
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