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असम में महागठबंधन पर कांग्रेस का बड़ा बयान, कहा- इन पार्टियाें के रवैये ने बढ़ा दी है परेशानी

असम में बहुदलीय महागठबंधन में दरार से 2024 के आम चुनाव से पहले इस तरह के गठबंधन के गठन की संभावना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है. इस विषय पर पेश है ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की खास रिपाेर्ट..

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Published : Sep 7, 2021, 7:38 PM IST

Updated : Sep 7, 2021, 9:22 PM IST

नई दिल्ली : असम में बहुप्रचारित महागठबंधन बुरे दाैर से गुजर रहा है क्योंकि कांग्रेस ने ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) से नाता तोड़ने का फैसला किया है.

हालांकि असम में महागठबंधन के सहयोगी में से एक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) को लगता है कि समान विचारधारा वाली पार्टियों का एक मजबूत गठबंधन बनाने के लिए सभी समान विचारधारा वाले दलों को अपने मतभेदों को अलग रखना चाहिए.

एक विशेष साक्षात्कार में ईटीवी भारत से बात करते हुए, सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम (Binoy Viswam) ने कहा कि भारत जैसे देश में इतनी विविधताओं के साथ निश्चित रूप से उतार-चढ़ाव हो सकता है.

विश्वम ने कहा कि सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों को एक साथ आना चाहिए और भाजपा के खिलाफ लड़ना चाहिए. इस साल की शुरुआत में राज्य विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने भाजपा से लड़ने के लिए एक महागठबंधन बनाने की पहल की थी. इसके तहत सीपीआई, सीपीआई (एम), सीपीआई (एमएल) सहित 10 समान विचारधारा वाले दल एआईयूडीएफ, बीपीएफ और राजद महागठबंधन में आ गए.

सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम का बयान
गठबंधन काे केवल 50 सीटें मिलीं जो कि 126 सदस्यीय असम विधानसभा की सरकार बनाने के लिए आवश्यक संख्या से बहुत कम थी. कांग्रेस को 29, एआईयूडीएफ को 16, बीपीएफ को 4 और सीपीएम को 1 सीट मिली थी. दूसरी ओर भाजपा और उसके सहयोगियों ने 75 सीटें जीती और दूसरी बार सत्ता में लौटी.

चुनाव परिणाम पर लगातार दोषारोपण और विराेध के बाद कांग्रेस ने अंततः बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाले एआईयूडीएफ के साथ अपने संबंधों को तोड़ने का फैसला किया है. कांग्रेस ने हाग्रामा महिला के नेतृत्व वाले बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के साथ संबंध तोड़ने का भी फैसला किया. यह घटनाक्रम असम के छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव से पहले हुआ.

यह भी पढ़ें- खरीद-फरोख्त से 'डरी' कांग्रेस, एआईयूडीएफ प्रत्याशियों काे जयपुर शिफ्ट किया

असम में कांग्रेस द्वारा हाल ही में पारित एक प्रस्ताव में कहा गया है कि महाजोट गठबंधन सहयोगी एआईयूडीएफ के भाजपा के साथ संबंध में व्यवहार और रवैये ने पार्टी सदस्यों को चकित कर दिया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि एआईयूडीएफ नेतृत्व और वरिष्ठ सदस्यों द्वारा भाजपा और सीएम की लगातार प्रशंसा ने कांग्रेस पार्टी के प्रति जनता की धारणा को प्रभावित किया है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए, असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने कहा कि पार्टी ऐसे लोगों के साथ आगे नहीं बढ़ सकती जो भाजपा की प्रशंसा करते हैं. बोरा ने कहा कि हमने असम में छह विधानसभा क्षेत्रों में आगामी उपचुनाव में अकेले जाने का फैसला किया है.

नई दिल्ली : असम में बहुप्रचारित महागठबंधन बुरे दाैर से गुजर रहा है क्योंकि कांग्रेस ने ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) से नाता तोड़ने का फैसला किया है.

हालांकि असम में महागठबंधन के सहयोगी में से एक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) को लगता है कि समान विचारधारा वाली पार्टियों का एक मजबूत गठबंधन बनाने के लिए सभी समान विचारधारा वाले दलों को अपने मतभेदों को अलग रखना चाहिए.

एक विशेष साक्षात्कार में ईटीवी भारत से बात करते हुए, सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम (Binoy Viswam) ने कहा कि भारत जैसे देश में इतनी विविधताओं के साथ निश्चित रूप से उतार-चढ़ाव हो सकता है.

विश्वम ने कहा कि सभी धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों को एक साथ आना चाहिए और भाजपा के खिलाफ लड़ना चाहिए. इस साल की शुरुआत में राज्य विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने भाजपा से लड़ने के लिए एक महागठबंधन बनाने की पहल की थी. इसके तहत सीपीआई, सीपीआई (एम), सीपीआई (एमएल) सहित 10 समान विचारधारा वाले दल एआईयूडीएफ, बीपीएफ और राजद महागठबंधन में आ गए.

सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम का बयान
गठबंधन काे केवल 50 सीटें मिलीं जो कि 126 सदस्यीय असम विधानसभा की सरकार बनाने के लिए आवश्यक संख्या से बहुत कम थी. कांग्रेस को 29, एआईयूडीएफ को 16, बीपीएफ को 4 और सीपीएम को 1 सीट मिली थी. दूसरी ओर भाजपा और उसके सहयोगियों ने 75 सीटें जीती और दूसरी बार सत्ता में लौटी.

चुनाव परिणाम पर लगातार दोषारोपण और विराेध के बाद कांग्रेस ने अंततः बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाले एआईयूडीएफ के साथ अपने संबंधों को तोड़ने का फैसला किया है. कांग्रेस ने हाग्रामा महिला के नेतृत्व वाले बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के साथ संबंध तोड़ने का भी फैसला किया. यह घटनाक्रम असम के छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव से पहले हुआ.

यह भी पढ़ें- खरीद-फरोख्त से 'डरी' कांग्रेस, एआईयूडीएफ प्रत्याशियों काे जयपुर शिफ्ट किया

असम में कांग्रेस द्वारा हाल ही में पारित एक प्रस्ताव में कहा गया है कि महाजोट गठबंधन सहयोगी एआईयूडीएफ के भाजपा के साथ संबंध में व्यवहार और रवैये ने पार्टी सदस्यों को चकित कर दिया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि एआईयूडीएफ नेतृत्व और वरिष्ठ सदस्यों द्वारा भाजपा और सीएम की लगातार प्रशंसा ने कांग्रेस पार्टी के प्रति जनता की धारणा को प्रभावित किया है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए, असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के अध्यक्ष भूपेन बोरा ने कहा कि पार्टी ऐसे लोगों के साथ आगे नहीं बढ़ सकती जो भाजपा की प्रशंसा करते हैं. बोरा ने कहा कि हमने असम में छह विधानसभा क्षेत्रों में आगामी उपचुनाव में अकेले जाने का फैसला किया है.

Last Updated : Sep 7, 2021, 9:22 PM IST
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