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Up Assembly Election 2022 : ओवैसी ने लगाया धर्म पर दांव तो अपनी सीट बचाने के लिए मुस्लिम नेता अलाप रहे ये राग

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओबैसी उत्तर प्रदेश के लगातार दौरे कर रहे हैं. पश्चिम में पकड़ मजबूत करने के लिए ओवैसी लगातार जनसभाएं कर रहे हैं.

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Published : Nov 25, 2021, 9:35 PM IST

मेरठ : यूपी में इन दिनों सियासी पारा चढ़ा हुआ है. अगले साल के शुरुआती महीनों में ही चुनावी शंखनाद होने वाला है, जिसे लेकर अब सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है. वहीं, कुछ राजनीतिक दल और नेता इस चुनाव को यूपी में अपनी सियासी पैठ बनाने के अवसर और एक प्रयोगशाला के तौर पर भी देख रहे हैं. इसी बीच AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी सक्रिय हैं.

उनके इस चुनाव में सक्रिय होने पर पहले तो सपा-बसपा और भाजपा जैसी मजबूत पार्टियों ने उन्हें हल्के में लिया और अब उन पर लगातार निशाना साधकर बयानबाजी भी की जा रही है.

उधर, इस 'सियासी कीचड़ उछाल होली' के बीच ओवैसी ने भी लगातार प्रदेश के विभिन्न जिलों के दौरे और बड़ी संख्या में कद्दावर नेताओं को अपने साथ लेकर विधानसभा चुनाव 2022 में अपनी सियासी ताकत का अहसास कराना शुरू कर दिया है. इस दौरान वे बार-बार मंच से बीजेपी को उखाड़ फेंकने समेत NRC और CAA जैसे मुद्दों को उछालकर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा और आक्रामकता का परिचय देते रहे हैं. उनकी इस उपस्थिति पर विभिन्न दलों के नेता अब उन्हें घेरने में जुट गए हैं.

जानें क्या कहते हैं सियासी समीकरण

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यूसुफ कुरैशी ने कहा कि वो बस ये कहना चाहते हैं कि ओवैसी तेलंगाना से यूपी आ रहे हैं. वो मुस्लिमों के एक होने की बात करते हैं. ऐसे में कम से कम ये तो बताएं कि उन्होंने तेलंगाना के मुस्लिमों के लिए अब तक क्या किया है.

कहा कि यूपी का मुसलमान समझ चुका है कि उनकी मंशा क्या है. पिछले वर्षों में जिन-जिन राज्यों में इन्होंने अपनी पार्टी को चुनाव में उतारा, वहां क्या हुआ ये किसी से छुपा नहीं है. वरिष्ठ नेता यूसुफ कुरैसी ने कहा कि प्रदेश में अगर प्रियंका किसी पीड़ित परिवार के पास जाना चाहती हैं तो उन्हें रोका जाता है. लेकिन ओबैसी को कहीं भी जाने की, कहीं भी जनसभा करने की पूरी छूट मिल रही है. कहा कि इस बारे में अगर जांच हो तो सब पता चल जाएगा. कहा कि ओवैसी की यूपी में जो सियासी गतिविधियां हैं, उनके पीछे एक मकसद है जिसे सभी जानते हैं.

यह भी पढ़ें : Jewar Airport का शिलान्यास कर बोले पीएम मोदी, पहले की सरकारों ने यूपी को अभाव-अंधकार में रखा

मेरठ जिले में समाजवादी पार्टी से एकमात्र विधायक रफ़ीक़ अंसारी AIMIM चीफ के उत्तर प्रदेश में सक्रिय होने पर कहते हैं कि पहले ओवैसी आंध्रा-तेलंगाना में तो मजबूत हो जाते. वहां अपनी सरकार बनाते फिर यहां आने की बात करते तो ठीक भी लगता. रफ़ीक़ अंसारी कहते हैं कि सभी जानते हैं कि ओवैसी ने किस तरह बिहार, महाराष्ट्र में सेक्युलर पार्टियों को नुकसान पहुंचाया है. ये जिस तरह से यूपी में आकर राजनीति कर रहे हैं, इससे इनका कोई भला होने वाला नहीं है.

विधायक रफ़ीक़ अंसारी कहते हैं कि वो मुसलमानों को एक होने की बात करते हैं, अब मुसलमान पढ़े-लिखे हैं. वो अपना अच्छा बुरा जानते हैं. उनके बहकावे में कोई आने वाला नहीं है. यूपी में हिन्दू-मुस्लिम मिलकर इस बार समाजवादी पार्टी की सरकार बनाएंगे.

सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शाहिद मंजूर मेरठ की किठौर विधानसभा से 2017 में चुनाव हार गए थे. पार्टी के वेस्टर्न यूपी के कद्दावर नेताओं में शुमार हैं. पिछले महीने ओवैसी की किठौर में जनसभा थी. वहां तो कई बार मंच से बोला गया कि शाहिद AIMIM में आ जाएं. इस बारे में पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर का कहना है कि वे समाजवादी हैं और हमेशा रहेंगे. ओवैसी दवाब की राजनीति कर रहे हैं लेकिन मुसलमान समझदार हैं. वो सब जानते हैं.

राजनीतिक विश्लेषक हरिशंकर जोशी कहते हैं कि ओवैसी भले ही कितनी भी सक्रियता दिखा लें, लेकिन अगर वो अकेले चुनाव लड़ेंगे तो कुछ नहीं कर सकते. हालांकि वो मानते हैं कि अगर ओवैसी का गठबंधन किसी ऐसे दल से हो जाए जो कि यूपी में अपना जनाधार रखती हो.

उस स्थिति में मुस्लिम विचार उनके बारे में कर सकता है. इसी लिए ओवैसी अलग-अलग नेताओं से मुलाकात भी हाल फिलहाल किया भी. लेकिन अभी तक तो कुछ बात बनती नजर नहीं आ रही है. हरिशंकर जोशी का कहना है कि जिन सीटों पर जीत का मार्जिन कम रहता है, ऐसी सीटों पर बेशक ओवैसी अपना प्रत्याशी उतारकर किसी का खेल बिगाड़ सकते हैं. कहा कि ये पब्लिक है, सब मूल्यांकन कर लेती है.

वो कहते हैं कि ऐसी कोई सीट यूपी में नहीं है जहां अकेले ओवैसी अपना प्रत्याशी जीता लें. हालांकि AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली कहते हैं कि उन्हें भाजपा की B टीम बताकर बदनाम किया जाता है. पर इससे उन पर कोई फर्ख नहीं पड़ता. कभी बीएसपी संस्थापक कांशीराम पर भी ऐसे आरोप लगा करते थे.

पढ़ेंः 2024 में मोदी से मुकाबले के लिए कांग्रेस में सेंध क्यों लगा रहीं हैं ममता बनर्जी ?

मेरठ : यूपी में इन दिनों सियासी पारा चढ़ा हुआ है. अगले साल के शुरुआती महीनों में ही चुनावी शंखनाद होने वाला है, जिसे लेकर अब सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है. वहीं, कुछ राजनीतिक दल और नेता इस चुनाव को यूपी में अपनी सियासी पैठ बनाने के अवसर और एक प्रयोगशाला के तौर पर भी देख रहे हैं. इसी बीच AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी सक्रिय हैं.

उनके इस चुनाव में सक्रिय होने पर पहले तो सपा-बसपा और भाजपा जैसी मजबूत पार्टियों ने उन्हें हल्के में लिया और अब उन पर लगातार निशाना साधकर बयानबाजी भी की जा रही है.

उधर, इस 'सियासी कीचड़ उछाल होली' के बीच ओवैसी ने भी लगातार प्रदेश के विभिन्न जिलों के दौरे और बड़ी संख्या में कद्दावर नेताओं को अपने साथ लेकर विधानसभा चुनाव 2022 में अपनी सियासी ताकत का अहसास कराना शुरू कर दिया है. इस दौरान वे बार-बार मंच से बीजेपी को उखाड़ फेंकने समेत NRC और CAA जैसे मुद्दों को उछालकर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा और आक्रामकता का परिचय देते रहे हैं. उनकी इस उपस्थिति पर विभिन्न दलों के नेता अब उन्हें घेरने में जुट गए हैं.

जानें क्या कहते हैं सियासी समीकरण

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यूसुफ कुरैशी ने कहा कि वो बस ये कहना चाहते हैं कि ओवैसी तेलंगाना से यूपी आ रहे हैं. वो मुस्लिमों के एक होने की बात करते हैं. ऐसे में कम से कम ये तो बताएं कि उन्होंने तेलंगाना के मुस्लिमों के लिए अब तक क्या किया है.

कहा कि यूपी का मुसलमान समझ चुका है कि उनकी मंशा क्या है. पिछले वर्षों में जिन-जिन राज्यों में इन्होंने अपनी पार्टी को चुनाव में उतारा, वहां क्या हुआ ये किसी से छुपा नहीं है. वरिष्ठ नेता यूसुफ कुरैसी ने कहा कि प्रदेश में अगर प्रियंका किसी पीड़ित परिवार के पास जाना चाहती हैं तो उन्हें रोका जाता है. लेकिन ओबैसी को कहीं भी जाने की, कहीं भी जनसभा करने की पूरी छूट मिल रही है. कहा कि इस बारे में अगर जांच हो तो सब पता चल जाएगा. कहा कि ओवैसी की यूपी में जो सियासी गतिविधियां हैं, उनके पीछे एक मकसद है जिसे सभी जानते हैं.

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मेरठ जिले में समाजवादी पार्टी से एकमात्र विधायक रफ़ीक़ अंसारी AIMIM चीफ के उत्तर प्रदेश में सक्रिय होने पर कहते हैं कि पहले ओवैसी आंध्रा-तेलंगाना में तो मजबूत हो जाते. वहां अपनी सरकार बनाते फिर यहां आने की बात करते तो ठीक भी लगता. रफ़ीक़ अंसारी कहते हैं कि सभी जानते हैं कि ओवैसी ने किस तरह बिहार, महाराष्ट्र में सेक्युलर पार्टियों को नुकसान पहुंचाया है. ये जिस तरह से यूपी में आकर राजनीति कर रहे हैं, इससे इनका कोई भला होने वाला नहीं है.

विधायक रफ़ीक़ अंसारी कहते हैं कि वो मुसलमानों को एक होने की बात करते हैं, अब मुसलमान पढ़े-लिखे हैं. वो अपना अच्छा बुरा जानते हैं. उनके बहकावे में कोई आने वाला नहीं है. यूपी में हिन्दू-मुस्लिम मिलकर इस बार समाजवादी पार्टी की सरकार बनाएंगे.

सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे शाहिद मंजूर मेरठ की किठौर विधानसभा से 2017 में चुनाव हार गए थे. पार्टी के वेस्टर्न यूपी के कद्दावर नेताओं में शुमार हैं. पिछले महीने ओवैसी की किठौर में जनसभा थी. वहां तो कई बार मंच से बोला गया कि शाहिद AIMIM में आ जाएं. इस बारे में पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर का कहना है कि वे समाजवादी हैं और हमेशा रहेंगे. ओवैसी दवाब की राजनीति कर रहे हैं लेकिन मुसलमान समझदार हैं. वो सब जानते हैं.

राजनीतिक विश्लेषक हरिशंकर जोशी कहते हैं कि ओवैसी भले ही कितनी भी सक्रियता दिखा लें, लेकिन अगर वो अकेले चुनाव लड़ेंगे तो कुछ नहीं कर सकते. हालांकि वो मानते हैं कि अगर ओवैसी का गठबंधन किसी ऐसे दल से हो जाए जो कि यूपी में अपना जनाधार रखती हो.

उस स्थिति में मुस्लिम विचार उनके बारे में कर सकता है. इसी लिए ओवैसी अलग-अलग नेताओं से मुलाकात भी हाल फिलहाल किया भी. लेकिन अभी तक तो कुछ बात बनती नजर नहीं आ रही है. हरिशंकर जोशी का कहना है कि जिन सीटों पर जीत का मार्जिन कम रहता है, ऐसी सीटों पर बेशक ओवैसी अपना प्रत्याशी उतारकर किसी का खेल बिगाड़ सकते हैं. कहा कि ये पब्लिक है, सब मूल्यांकन कर लेती है.

वो कहते हैं कि ऐसी कोई सीट यूपी में नहीं है जहां अकेले ओवैसी अपना प्रत्याशी जीता लें. हालांकि AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली कहते हैं कि उन्हें भाजपा की B टीम बताकर बदनाम किया जाता है. पर इससे उन पर कोई फर्ख नहीं पड़ता. कभी बीएसपी संस्थापक कांशीराम पर भी ऐसे आरोप लगा करते थे.

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