ETV Bharat / bharat

अनुच्छेद 370 संविधान में एक अस्थायी प्रावधान था: अमित शाह - अनुच्छेद 370 संविधान में एक अस्थायी प्रावधान था

गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने कहा कि जम्मू - कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला और अब निरस्त किया जा चुका अनुच्छेद 370 शुरू से ही एक अस्थायी प्रावधान था. उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने इसे समझदारी से वहां रखा था. उक्त बातें शाह ने केंद्र और राज्यों के अफसरों के प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर कहीं.

Union Home Minister Amit Shah
गृह मंत्री अमित शाह
author img

By

Published : May 15, 2023, 8:03 PM IST

Updated : May 15, 2023, 10:49 PM IST

नई दिल्ली : गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने सोमवार को कहा कि जम्मू - कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला और अब निरस्त किया जा चुका अनुच्छेद 370 शुरू से ही एक अस्थायी प्रावधान था और संविधान निर्माताओं ने इसे समझदारी से वहां रखा था. विधायी मसौदा तैयार करने को लेकर संसद, राज्य विधानसभाओं, विभिन्न मंत्रालयों और वैधानिक निकायों के केंद्र और राज्यों के अधिकारियों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए शाह ने यह भी कहा कि अगर किसी कानून का मसौदा अच्छी तरह से तैयार किया जाता है, तो 'किसी भी अदालत को किसी भी कानून का कोई स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता नहीं है.'

उन्होंने कहा, 'अगर मसौदा सरल और स्पष्ट होगा तो लोगों को कानून के बारे में शिक्षित करना आसान हो जाएगा और कार्यपालिका द्वारा गलती करने की संभावना उतनी ही कम हो जाएगी.' उन्होंने कहा कि मसौदे में यदि कमी रहेगी, तो इसकी व्याख्या करते समय इसमें अतिक्रमण की संभावना रहेगी और यदि यह परिपूर्ण और स्पष्ट है तो इसकी व्याख्या भी स्पष्ट हो जाएगी. केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि पूरा देश चाहता था कि संविधान का यह प्रावधान अस्तित्व में नहीं रहना चाहिए.

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि जब इस अनुच्छेद को तैयार किया गया था, तो अनुक्रमणिका में इसका अनुच्छेद 370 का अस्थायी प्रावधान के रूप में उल्लेख किया गया था। शाह ने कहा कि यहां तक कि संविधान सभा की बहस के रिकॉर्ड से भी अनुच्छेद पर बहस गायब थी और वे मुद्रित नहीं थे. शाह ने कहा कि यह अच्छी तरह से कल्पना की जा सकती है कि जिसने भी इसका मसौदा तैयार किया था और जो लोग संविधान सभा का हिस्सा थे, उन्होंने इसे कितनी समझदारी से रखा और कैसे बहुत सोचने के बाद अस्थायी शब्द डाला होगा.

उन्होंने कहा, 'संविधान का कोई अनुच्छेद अस्थायी नहीं हो सकता, उसमें संशोधन किया जा सकता है. यदि आप आज भी इसे पढ़ते हैं 'पुराना संविधान' तो यह स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 370 के अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखा गया है.' उन्होंने कहा, 'अनुच्छेद 370 अब अस्तित्व में नहीं है. इसे अब निरस्त कर दिया गया है. लेकिन कृपया इसे पढ़ें. अनुक्रमणिका में इसका उल्लेख अनुच्छेद 370 का अस्थायी प्रावधान के रूप में किया गया था. अगर यह अस्थायी शब्द नहीं लिखा गया होता तो क्या होता. मुझे बताइए कि क्या संविधान का कोई प्रावधान अस्थायी हो सकता है.'

शाह के देश के गृह मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के कुछ महीने बाद पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया गया था और पूर्ववर्ती जम्मू एवं कश्मीर राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था. गृह मंत्री ने कहा कि एक कानून को कैबिनेट या संसद की राजनीतिक इच्छा को प्रतिबिंबित करना चाहिए. उन्होंने कहा, 'एक कानून निर्विवाद हो जाता है, अगर वह सरल और स्पष्ट हो. इसे (कानून) इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए कि अदालत को कोई स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं पड़े. जब किसी अदालत को किसी कानून पर कोई स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता नहीं है तो वह आपके लिए एक पदक है. हमारा उद्देश्य यथासंभव सरल और स्पष्ट कानून का मसौदा तैयार करना होना चाहिए.'

मंत्री ने कहा कि जब कोई कानून अस्पष्टता के साथ बनाया जाता है, तो यह समस्याएं पैदा करता है. उन्होंने कहा कि 'अगर एक कानून को सरल और स्पष्ट बनाया जाता है, तो न्यायपालिका को हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अस्पष्टता हस्तक्षेप की गुंजाइश छोड़ती है.' उन्होंने कहा कि विधायिका की भावना के अनुरूप मसौदा तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण काम है, क्योंकि सरल अनुवाद पर्याप्त नहीं है और इसके लिए उचित स्पष्टीकरण होना चाहिए.

गृह मंत्री ने कहा कि संसद और राज्य विधानसभाओं के विधायी विंग में काम करने वालों के मसौदा तैयार करने के कौशल में सुधार किया जाना चाहिए, क्योंकि दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है. प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने के लिए संसद के अधिकारियों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि क्षमता निर्माण बहुत आवश्यक है और यह एक सतत प्रक्रिया होनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'हमें इस बदलती दुनिया में उचित कार्रवाई करनी होगी और आज की जरूरतों के अनुसार कानून बनाने होंगे. अगर हमारे पास उस तरह का खुलापन नहीं है, तो हम अप्रासंगिक हो जाएंगे.' गृह मंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने कानूनों में बहुत सारे बदलाव किए हैं. उन्होंने कहा, 'हमने करीब 2,000 अप्रासंगिक कानूनों को खत्म कर दिया है. साथ ही, हमने नए कानून बनाने में भी संकोच नहीं किया है.'

ये भी पढ़ें - West Bengal News: भारत, बांग्लादेश के संबंध गहरे, हमारे द्विपक्षीय संबंधों को कोई कमजोर नहीं कर सकता: अमित शाह

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने सोमवार को कहा कि जम्मू - कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला और अब निरस्त किया जा चुका अनुच्छेद 370 शुरू से ही एक अस्थायी प्रावधान था और संविधान निर्माताओं ने इसे समझदारी से वहां रखा था. विधायी मसौदा तैयार करने को लेकर संसद, राज्य विधानसभाओं, विभिन्न मंत्रालयों और वैधानिक निकायों के केंद्र और राज्यों के अधिकारियों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए शाह ने यह भी कहा कि अगर किसी कानून का मसौदा अच्छी तरह से तैयार किया जाता है, तो 'किसी भी अदालत को किसी भी कानून का कोई स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता नहीं है.'

उन्होंने कहा, 'अगर मसौदा सरल और स्पष्ट होगा तो लोगों को कानून के बारे में शिक्षित करना आसान हो जाएगा और कार्यपालिका द्वारा गलती करने की संभावना उतनी ही कम हो जाएगी.' उन्होंने कहा कि मसौदे में यदि कमी रहेगी, तो इसकी व्याख्या करते समय इसमें अतिक्रमण की संभावना रहेगी और यदि यह परिपूर्ण और स्पष्ट है तो इसकी व्याख्या भी स्पष्ट हो जाएगी. केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि पूरा देश चाहता था कि संविधान का यह प्रावधान अस्तित्व में नहीं रहना चाहिए.

उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि जब इस अनुच्छेद को तैयार किया गया था, तो अनुक्रमणिका में इसका अनुच्छेद 370 का अस्थायी प्रावधान के रूप में उल्लेख किया गया था। शाह ने कहा कि यहां तक कि संविधान सभा की बहस के रिकॉर्ड से भी अनुच्छेद पर बहस गायब थी और वे मुद्रित नहीं थे. शाह ने कहा कि यह अच्छी तरह से कल्पना की जा सकती है कि जिसने भी इसका मसौदा तैयार किया था और जो लोग संविधान सभा का हिस्सा थे, उन्होंने इसे कितनी समझदारी से रखा और कैसे बहुत सोचने के बाद अस्थायी शब्द डाला होगा.

उन्होंने कहा, 'संविधान का कोई अनुच्छेद अस्थायी नहीं हो सकता, उसमें संशोधन किया जा सकता है. यदि आप आज भी इसे पढ़ते हैं 'पुराना संविधान' तो यह स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 370 के अस्थायी प्रावधान के रूप में लिखा गया है.' उन्होंने कहा, 'अनुच्छेद 370 अब अस्तित्व में नहीं है. इसे अब निरस्त कर दिया गया है. लेकिन कृपया इसे पढ़ें. अनुक्रमणिका में इसका उल्लेख अनुच्छेद 370 का अस्थायी प्रावधान के रूप में किया गया था. अगर यह अस्थायी शब्द नहीं लिखा गया होता तो क्या होता. मुझे बताइए कि क्या संविधान का कोई प्रावधान अस्थायी हो सकता है.'

शाह के देश के गृह मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के कुछ महीने बाद पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया गया था और पूर्ववर्ती जम्मू एवं कश्मीर राज्य को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था. गृह मंत्री ने कहा कि एक कानून को कैबिनेट या संसद की राजनीतिक इच्छा को प्रतिबिंबित करना चाहिए. उन्होंने कहा, 'एक कानून निर्विवाद हो जाता है, अगर वह सरल और स्पष्ट हो. इसे (कानून) इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए कि अदालत को कोई स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं पड़े. जब किसी अदालत को किसी कानून पर कोई स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता नहीं है तो वह आपके लिए एक पदक है. हमारा उद्देश्य यथासंभव सरल और स्पष्ट कानून का मसौदा तैयार करना होना चाहिए.'

मंत्री ने कहा कि जब कोई कानून अस्पष्टता के साथ बनाया जाता है, तो यह समस्याएं पैदा करता है. उन्होंने कहा कि 'अगर एक कानून को सरल और स्पष्ट बनाया जाता है, तो न्यायपालिका को हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अस्पष्टता हस्तक्षेप की गुंजाइश छोड़ती है.' उन्होंने कहा कि विधायिका की भावना के अनुरूप मसौदा तैयार करना बहुत महत्वपूर्ण काम है, क्योंकि सरल अनुवाद पर्याप्त नहीं है और इसके लिए उचित स्पष्टीकरण होना चाहिए.

गृह मंत्री ने कहा कि संसद और राज्य विधानसभाओं के विधायी विंग में काम करने वालों के मसौदा तैयार करने के कौशल में सुधार किया जाना चाहिए, क्योंकि दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है. प्रशिक्षण सत्र आयोजित करने के लिए संसद के अधिकारियों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि क्षमता निर्माण बहुत आवश्यक है और यह एक सतत प्रक्रिया होनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'हमें इस बदलती दुनिया में उचित कार्रवाई करनी होगी और आज की जरूरतों के अनुसार कानून बनाने होंगे. अगर हमारे पास उस तरह का खुलापन नहीं है, तो हम अप्रासंगिक हो जाएंगे.' गृह मंत्री ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने कानूनों में बहुत सारे बदलाव किए हैं. उन्होंने कहा, 'हमने करीब 2,000 अप्रासंगिक कानूनों को खत्म कर दिया है. साथ ही, हमने नए कानून बनाने में भी संकोच नहीं किया है.'

ये भी पढ़ें - West Bengal News: भारत, बांग्लादेश के संबंध गहरे, हमारे द्विपक्षीय संबंधों को कोई कमजोर नहीं कर सकता: अमित शाह

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated : May 15, 2023, 10:49 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.