उत्तरकाशी (उत्तराखंड): उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में बीते 17 दिनों से फंसे 7 राज्यों के 41 मजदूरों को सकुशल निकाल लिया गया है. ये चमत्कार ही है कि 17 दिनों तक श्रमिकों ने जिंदगी की जंग को बखूबी लड़ा और जीता. इसमें देश-विदेश की सारी बड़ी मशीनरी और वैज्ञानिकों की मेहनत भी लगी. राज्य से लेकर केंद्र ने भी मजदूरों को जीवित बाहर लाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी. लेकिन इन 17 दिनों में बड़ी-बड़ी मशीनें जहां पहाड़ के टकराकर हारती दिखीं वहीं, रेस्क्यू के अंतिम कुछ घंटों में जांबाज सेना और उनका साथ रहे मजदूरों के हाथों और उनके हथौड़ों ने ही थे पहाड़ का सीना चीरने का काम किया.
भारतीय सेना की कोर ऑफ इंजीनियर्स के समूह 'मद्रास सैपर्स' की 12 और 9 मजदूरों की टुकड़ी ने रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान संभाली और मैन्युअल ड्रिलिंग करके फंसे हुए लोगों को निकाला जा सका. सेना की टीम ने मजदूरों संग रैट माइनिंग तकनीक से पहाड़ का सीना चीरने में लगभग 16 से 17 घंटे लगाए. इससे पहले लगभग 8 एक्शन प्लान पर काम करते हुए फंसे हुए मजदूर तक पहुंचने की कोशिश की जा रही थी. लेकिन विशेषज्ञों ने बताया कि मशीनों से काम करना खतरनाक होगा बल्कि आगे इसमें और भी परेशानी आ सकती है. ऐसे में दुनिया की अत्याधुनिक मशीनें, जो 41 मजदूरों को निकालने के लिए दिन-रात काम कर रही थीं, उन्हें काम से लगभग हटा लिया गया. क्योंकि कभी इन मशीनों के आगे लोहे के सरिए तो कभी कठोर पहाड़ बाधा बन रहे थे, इस वजह से एक से दो दिन रेस्क्यू को रोकना भी पड़ा था, और फिर मैन्युअली काम करने का फैसला लिया गया.
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जब रेसक्यू प्रोसेस शुरू किया गया था तब ये शायद किसी को पता नहीं था कि अंतिम बाधा हथौड़े और छैनी की एक-एक चोट से दूर होगी. रैट माइनिंग के एक्सपर्ट्स ने धीरे-धीरे विशालकाय पहाड़ का सीना चीर कर बता दिया कि कोशिश करने से कभी हार नहीं होती. बताया जा रहा है कि लगभग 9 मजदूर और सेना के 12 जवान छोटी-छोटी चोट से पहाड़ को कुतर रहे थे. ये वो जवान और मजदूर थे जिनको इस कार्य में महारथ हासिल है.
अपने काम के अंतिम घंटे में जैसे ही पाइप अंतिम छोर तक पहुंची, वैसे ही अंदर मौजूद सभी लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों ने भी इस बात का जश्न मनाया और भगवान का शुक्रिया अदा किया. अंदर की तस्वीर भले ही बाहर ना आई हो, लेकिन सूत्र बताते हैं कि अंदर मजदूर बेहद खुश थे और नृत्य कर रहे थे. बताया यह भी जा रहा था कि इस पाइप के माध्यम से इधर से उधर आवाज देने का सिलसिला भी शुरू हो गया था.
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फिलहाल सभी 41 मजदूरों को सुरंग से निकालकर एंबुलेंस के माध्यम से स्थानीय अस्थायी अस्पताल में भेजा गया है. वहां पर डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही है. 17 दिनों से अंधेरी काल कोठरी में बंद ये लोग जब बाहर आए तो न केवल उनके परिवार के लोग बल्कि पूरी देश और दुनिया ने राहत की सांस ली. 41 मजदूरों के फंसने के बाद से ही केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ दुनिया भर के एक्सपर्ट्स इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए थे.