नई दिल्ली: आर्मी चीफ एमएम नरवणे (Army Chief Gen MM Naravane) ने चीन और पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर कहा कि भारत अभी भविष्य के संघर्षों की कुछ झलकियां (ट्रेलर) देख रहा है और उसके विरोधी अपने रणनीतिक लक्ष्यों को हासिल करने के प्रयास लगातार जारी रखेंगे. जनरल नरवणे ने एक संगोष्ठी को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि भारत अलग तरह की, कठिन तथा बहु-स्तरीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है और उत्तरी सीमा पर घटनाक्रम ने पूरी तरह से तैयार और सक्षम बलों की जरूरत को रेखांकित किया है.
चीन और पाकिस्तान का नाम लिए बिना सेना प्रमुख ने कहा कि परमाणु-सक्षम पड़ोसियों के साथ सीमा विवाद साथ ही राज्य प्रायोजित छद्म युद्ध ने सुरक्षा तंत्र एवं संसाधनों के समक्ष चुनौतियां बढ़ा दी हैं. उन्होंने कहा, हम अभी भविष्य के संघर्षों की झलकियां देख रहे हैं. सूचना के क्षेत्र, नेटवर्क और साइबर स्पेस में भी हमें इसके सबूत दिखाई दे रहे हैं. विवादित सीमाओं पर भी ये सब दिखाई दे रहा है.
सेना प्रमुख ने कहा, इन झलकियों के आधार पर हमें भविष्य के लिए तैयार होना होगा. यदि आप आस पास देखेंगे, तो आपको आज की वास्तविकता का एहसास होगा. सेना प्रमुख ने कहा कि उत्तरी सीमा पर ताजा घटनाक्रम देश की संप्रभुता एवं अखंडता को बनाए रखने के लिए आधुनिक तकनीक वाले साजो-सामान से लैस सक्षम बलों की जरूरत को रेखांकित करते हैं.
प्राचीन स्टेटक्राफ्ट पॉलिसी पर चल रही स्टडी : जनरल नरवणे
आर्मी चीफ नरवणे ने कहा कि एलएसी पर स्टैंडऑफ(standoff on LAC) दिखाता है कि हमारे बूट ऑन ग्राउंड हैं और हम अपनी अंखडता और संप्रुभता की रक्षा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हमें 'आत्मनिर्भर-आर्मी' तैयार करनी है. जो सिर्फ लड़ाई के दौरान स्वदेशी हथियारों से लैस हो बल्कि उसकी रणनीति भी स्वदेशी हो. इसके लिए भारतीय सेना देश की प्राचीन स्टेटक्राफ्ट पॉलिसी पर स्टडी कर रही है. इसमें चाणक्य की 'अर्थशास्त्र' शामिल है, जो बताती है कि राजतंत्र के लिए 'हार्ड पावर' क्यों जरूरी है. उन्होंने कहा कि मैं सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) के उस बयान को दोहराता हूं कि 'भविष्य में होने वाले युद्ध स्वदेशी हथियारों से ही जीते जाएंगे.'
भारतीय सेना और सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर स्टडीज के दो दिवसीय वर्चुअल सम्मेलन के दौरान आर्मी चीफ ने ये बात कही. इस सम्मेलन का थीम है - 'फ्यूचर वॉर्स एंड काउंटर मेजर्स'.