आगरा : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग ने आगरा में एक पहल की गई है. जिसमें कक्षा छह से 10वीं तक के छात्र-छात्राओं को विरासत सहेजने और उनके काल की जांच करने की जानकारी दी जाएगी. एएसआई की ओर से सिकंदरा मकबरा, ताजमहल और फतेहपुर सीकरी में समर कैंप लगाया जाएगा. एक दिवसीय समर कैंप में अलग-अलग स्मारक में छात्र छात्राओं को अलग-अलग जानकारी दी जाएगी. जिसमें स्मारकों को सहेजने के साथ ही उन्हें निर्माण स्थान पर कारीगर क्या क्या चिन्ह छोड़ते थे ? जिससे स्मारक बनाए जाने के काल की जानकारी होती है. इसके साथ ही ताजमहल पर छात्र-छात्राओं को यहां की पच्चीकारी करने के बारे में बताया जाएगा. समर कैंप में छात्र-छात्राओं को थ्योरिटिकल से ज्यादा प्रैक्टिकल के आधार पर समझाया जाएगा.
बता दें, आगरा प्राचीन शहर है और यहां आदिकाल की गुफाएं हैं. जिनमें आदिमानव के चिन्ह भी हैं. आगरा मुगलों की राजधानी भी रहा है. यहां पर मुगलों ने महल, किले और भवन बनवाए हैं. जिन्हें सहेजने का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई की ओर से किया जा रहा है. इसलिए एएसआई की ओर से सिकंदरा मकबरा, ताजमहल और फतेहपुर सीकरी में छात्र-छात्राओं को स्मारक में किए गए कार्य, संरक्षण, डिजाइन से उसके कालखंड के बारे में जानकारी देने की पहल की गई है.
ताजमहल का इनले वर्क बेहद खास
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद डाॅ. राजकुमार पटेल ने बताया कि ताजमहल में जैसे इनले वर्क है जो सबको अपनी ओर आकर्षित कर करता है. इनले यानी पच्चीकारी का स्मारक को सजाने में क्या अर्थ है. वर्तमान माॅर्डन आर्ट है. इनले वर्क से कैसे लोग जीविकोपार्जन कर रहे हैं. यह उन्हें बताना है. इसके साथ ही फतेहर सीकरी में स्टूडेंट को एएसआई की ओर से ऑर्कलोजिकल इन्वेटीगेशन कैसे करते हैं. इसकी क्या तकनीक है ? क्या मैथड है ? पुराने जमाने में मिटटी के बर्तन कैसे बनते थे ? जिनके आधार पर ही उनका काल बताया जा सकता है. यही सब चीजें बच्चों को समर कैंप में बताई और सिखाई जाएंगी.