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सेब किसानों की सरकार से एमएसपी और खरीद गारंटी देने की मांग

भारतीय सेब किसान सभा ने सेब के लिए एमएसपी के साथ ही सरकारी एजेंसियों के माध्यम से उपज खरीदी की गारंटी की मांग की है. उक्त जानकारी मीडिया से बातचीत में हिमाचल के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य सोहन सिंह ठाकुर ने दी. पढ़िए पूरी खबर...

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Published : Jul 25, 2022, 10:17 PM IST

Updated : Jul 25, 2022, 10:41 PM IST

नई दिल्ली : सेब लागत दो गुनी होने के अलावा कम उत्पादकता और उपज की कीमत को लेकर भारतीय सेब किसान सभा ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर सेब के लिए एमएसपी की मांग की है. साथ ही सभा ने सरकारी एजेंसियों के माध्यम से उपज की खरीदी की गारंटी की मांग की है. इस संबंध में मीडिया से बात करते हुए सभा के पदाधिकारी ने कहा कि कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सेब किसानों को कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है.

बता दें कि सभा का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय कृषि मंत्री से मिलने के लिए इन दिनों दिल्ली में है. पदाधिकारी ने सरकार को मांगों के चार्टर सहित अपना ज्ञापन सौंपने के लिए मंत्री की नियुक्ति के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि सेब की खेती से कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में लगभग 9 लाख परिवारों को आजीविका मिलती है.

देखें वीडियो

वहीं भारत में लगभग 24 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है, जिसमें से जम्मू-कश्मीर कुल उत्पादन का 77 फीसदी योगदान देता है. भारत दुनिया में सेब का छठा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. लेकिन सेब किसानों के पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हुई इनपुट लागत और कम सरकारी सहयोग सहित कई मुद्दे की वजह से इसका उत्पादन प्रभावित हुआ है. जहां पिछले दो वर्षों में उर्वरकों, कीटनाशकों और स्प्रे मशीनों और उपकरणों जैसे अन्य उपकरणों की लागत दोगुनी हो गई है. वहीं कृषि श्रमिकों को भी पर्याप्त भुगतान नहीं मिल रहा है जिस कारण वे अन्य क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं.

इस संबंध में हिमाचल के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य सोहन सिंह ठाकुर ने कहा कि आयात और भंडारण सुविधाओं सहित अन्य कई मुद्दे हैं जिनकी वजह से हमें समस्याओं का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लाभकारी मूल्य का मुद्दा भी सेब उत्पादकों की परेशानी को बढ़ा देता है. विभिन्न श्रेणियों में किसानों द्वारा प्राप्त औसत मूल्य ए ग्रेड के लिए 45 रुपये प्रति किलोग्राम, बी ग्रेड के लिए 20 रुपये और सी ग्रेड के लिए 8 रुपये प्रति किलोग्राम के अनुसार अनुमानित है. औसतन किसानों को रु. 24 प्रति किलो के हिसाब से चूंकि 18 लाख मीट्रिक टन विपणन योग्य उत्पाद है. इस तरह किसानों को मिलने वाली आय 4300 करोड़ है. उन्होंने कहा कि इसके विपरीत सेब के लिए उपभोक्ता मूल्य ग्रेड के अनुसार 30 रुपये से 300 रुपये तक भिन्न होता है. अगर हम खुदरा बाजार में औसत वस्तु मूल्य के रूप में 80 रुपये मानते हैं तो उपभोक्ता बाजार में लगभग 14,400 करोड़ रुपये हमारे सेब का मूल्य है.

उन्होंने कहा कि जिन किसानों को श्रम शुल्क सहित उत्पादन की लागत वहन करनी पड़ती है, उन्हें इस मूल्य श्रृंखला का 30 फीसदी से कम मिलता है. औसत वैश्विक उत्पादकता 60 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है जबकि भारत में प्रति एकड़ केवल 10 मीट्रिक टन है. उन्होंने कहा कि किसान मांग कर रहे हैं कि नवीनतम किस्म के बीजों के साथ तकनीकी और वैज्ञानिक सहायता से भारत में उत्पादकता 40 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो सकती है, लेकिन इसके लिए सरकार को पहल करनी होगी और सेब किसानों के लिए कुछ विशेष पैकेज पेश करने होंगे.

भारतीय सेब किसान सभा ने मांग की है कि इस क्षेत्र में किसानों की स्थिति में सुधार के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (सी2+50%) पर कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद सुनिश्चित की जानी चाहिए. उन्होंने बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्री को प्रस्तुत किए जाने वाले 11 सूत्रीय चार्टर में अन्य प्रमुख मांगें हैं. इनमें इनपुट पर सब्सिडी बहाल करना, उत्पादकता बढ़ाने के लिए सहायता, सेब के बागों में मनरेगा श्रमिकों को शामिल करना, आयात नीति, उत्पादक सहकारी समितियों का निर्माण, बीमा कवरेज और ऋणग्रस्तता से मुक्ति आदि शामिल है.

ये भी पढ़ें - संयुक्त किसान मोर्चा में दो-फाड़, 21 नेताओं पर धोखा देने का आरोप, नया SKM घोषित

नई दिल्ली : सेब लागत दो गुनी होने के अलावा कम उत्पादकता और उपज की कीमत को लेकर भारतीय सेब किसान सभा ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर सेब के लिए एमएसपी की मांग की है. साथ ही सभा ने सरकारी एजेंसियों के माध्यम से उपज की खरीदी की गारंटी की मांग की है. इस संबंध में मीडिया से बात करते हुए सभा के पदाधिकारी ने कहा कि कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में सेब किसानों को कठिन समय का सामना करना पड़ रहा है.

बता दें कि सभा का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय कृषि मंत्री से मिलने के लिए इन दिनों दिल्ली में है. पदाधिकारी ने सरकार को मांगों के चार्टर सहित अपना ज्ञापन सौंपने के लिए मंत्री की नियुक्ति के लिए कहा है. उन्होंने कहा कि सेब की खेती से कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में लगभग 9 लाख परिवारों को आजीविका मिलती है.

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वहीं भारत में लगभग 24 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है, जिसमें से जम्मू-कश्मीर कुल उत्पादन का 77 फीसदी योगदान देता है. भारत दुनिया में सेब का छठा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. लेकिन सेब किसानों के पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हुई इनपुट लागत और कम सरकारी सहयोग सहित कई मुद्दे की वजह से इसका उत्पादन प्रभावित हुआ है. जहां पिछले दो वर्षों में उर्वरकों, कीटनाशकों और स्प्रे मशीनों और उपकरणों जैसे अन्य उपकरणों की लागत दोगुनी हो गई है. वहीं कृषि श्रमिकों को भी पर्याप्त भुगतान नहीं मिल रहा है जिस कारण वे अन्य क्षेत्रों की ओर पलायन कर रहे हैं.

इस संबंध में हिमाचल के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य सोहन सिंह ठाकुर ने कहा कि आयात और भंडारण सुविधाओं सहित अन्य कई मुद्दे हैं जिनकी वजह से हमें समस्याओं का सामना कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि लाभकारी मूल्य का मुद्दा भी सेब उत्पादकों की परेशानी को बढ़ा देता है. विभिन्न श्रेणियों में किसानों द्वारा प्राप्त औसत मूल्य ए ग्रेड के लिए 45 रुपये प्रति किलोग्राम, बी ग्रेड के लिए 20 रुपये और सी ग्रेड के लिए 8 रुपये प्रति किलोग्राम के अनुसार अनुमानित है. औसतन किसानों को रु. 24 प्रति किलो के हिसाब से चूंकि 18 लाख मीट्रिक टन विपणन योग्य उत्पाद है. इस तरह किसानों को मिलने वाली आय 4300 करोड़ है. उन्होंने कहा कि इसके विपरीत सेब के लिए उपभोक्ता मूल्य ग्रेड के अनुसार 30 रुपये से 300 रुपये तक भिन्न होता है. अगर हम खुदरा बाजार में औसत वस्तु मूल्य के रूप में 80 रुपये मानते हैं तो उपभोक्ता बाजार में लगभग 14,400 करोड़ रुपये हमारे सेब का मूल्य है.

उन्होंने कहा कि जिन किसानों को श्रम शुल्क सहित उत्पादन की लागत वहन करनी पड़ती है, उन्हें इस मूल्य श्रृंखला का 30 फीसदी से कम मिलता है. औसत वैश्विक उत्पादकता 60 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है जबकि भारत में प्रति एकड़ केवल 10 मीट्रिक टन है. उन्होंने कहा कि किसान मांग कर रहे हैं कि नवीनतम किस्म के बीजों के साथ तकनीकी और वैज्ञानिक सहायता से भारत में उत्पादकता 40 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो सकती है, लेकिन इसके लिए सरकार को पहल करनी होगी और सेब किसानों के लिए कुछ विशेष पैकेज पेश करने होंगे.

भारतीय सेब किसान सभा ने मांग की है कि इस क्षेत्र में किसानों की स्थिति में सुधार के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (सी2+50%) पर कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद सुनिश्चित की जानी चाहिए. उन्होंने बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्री को प्रस्तुत किए जाने वाले 11 सूत्रीय चार्टर में अन्य प्रमुख मांगें हैं. इनमें इनपुट पर सब्सिडी बहाल करना, उत्पादकता बढ़ाने के लिए सहायता, सेब के बागों में मनरेगा श्रमिकों को शामिल करना, आयात नीति, उत्पादक सहकारी समितियों का निर्माण, बीमा कवरेज और ऋणग्रस्तता से मुक्ति आदि शामिल है.

ये भी पढ़ें - संयुक्त किसान मोर्चा में दो-फाड़, 21 नेताओं पर धोखा देने का आरोप, नया SKM घोषित

Last Updated : Jul 25, 2022, 10:41 PM IST
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