नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने उस याचिका पर सुनवाई के लिए बुधवार को सहमति जताई जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गों और सड़कों के निर्माण में आवश्यक सेवाओं के निर्माण का अनिवार्य प्रावधान करने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया गया है.
इसके पीछे वजह ये भी है ताकि बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं के लिए दोबारा खुदाई करने से बचा जा सके.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यिन की पीठ ने केंद्र, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और अन्य को नोटिस जारी किया तथा चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
ओडिशा निवासी हरिप्रिया की याचिका
ओडिशा निवासी हरिप्रिया पटेल ने अपनी याचिका में कहा है कि वह बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं की निर्माण योजना में राजमार्गों के किनारे आवश्यक सेवाएं या कॉरिडोर आवश्यक रूप से उपलब्ध कराने में संबंधित अधिकारियों की विफलता न्यायालय के संज्ञान में ला रही हैं.
उन्होंने कहा कि इस तरह की सुविधाओं के लिए विभिन्न विशेषज्ञ इकाइयों ने सिफारिश की हैं तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 22 नवंबर 2016 को जारी दिशा-निर्देशों एवं राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति 2018 में इस तरह की सेवाओं के लिए विशेष प्रावधान किया गया है.
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याचिका में कहा गया है कि प्रावधानों का अनुपालन न किए जाने से दूरसंचार कंपनियों तथा अन्य एजेंसियों जैसी सेवाओं द्वारा संबंधित कार्य के लिए बाद में की जानेवाली खुदाई से अनावश्यक खर्च होता है.