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चंद्रबाबू नायडू की जमानत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची आंध्र प्रदेश सरकार - Supreme Court

आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू को आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के द्वारा जमानत दिए जाने के आदेश को चुनौती देते आंध्र प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. पढ़िए पूरी खबर... AP govt moves SC, former CM N Chandrababu Naidu, Andhra Pradesh High Court,Supreme Court

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 21, 2023, 5:10 PM IST

नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश सरकार ने कौशल विकास कार्यक्रम घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू को जमानत देने के आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. बता दें कि हाई कोर्ट ने 20 नवंबर 2023 को नायडू को जमानत दे दी. राज्य सरकार ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट ने नायडू को जमानत देते हुए मामले के तथ्यों की गहराई से जांच की है और ऐसे निष्कर्ष निकाले हैं जो न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत हैं बल्कि मुकदमे के दौरान निचली अदालत पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की भी संभावना है. शीर्ष अदालत के विभिन्न फैसलों का हवाला देते हुए राज्य सरकार ने कहा कि जमानत आदेशों में साक्ष्य के विस्तृत विवरण की प्रथा की बार-बार निंदा की गई है.

मामले में हाई कोर्ट के निष्कर्षों पर राज्य सरकार की याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने एक लघु परीक्षण करके और गुण-दोष के आधार पर निष्कर्ष देकर अपने अधिकार क्षेत्र को पार कर लिया है. यह अत्यंत सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया गया है कि इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. राज्य सरकार ने कहा कि आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति है और उसने सुनिश्चित किया है कि उसके दो प्रमुख सहयोगी (एक सरकारी कर्मचारी सहित) पहले ही देश से भाग चुके हैं और इसलिए वह स्पष्ट रूप से जांच में बाधा डाल रहा है और इसलिए उसे जमानत में छूट नहीं दी जानी चाहिए.

राज्य की याचिका में कहा गया है कि विषय वस्तु के संबंध में हाई कोर्ट का विकृत दृष्टिकोण और निष्कर्ष जमानत के फैसले के मूलभूत मापदंडों की कसौटी पर अपील के तहत आदेश को रद्द कर देता है. याचिका में तर्क दिया गया कि हाई कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकालने में भारी गलती की है, यह कोई सामग्री नहीं है कि बल्कि गलत तरीके राशि तेलुगु देशम पार्टी को दी गई थी और यह निष्कर्ष जमानत पर अस्थायी निर्णय के स्थापित मापदंडों की अवहेलना है. ईडी द्वारा अपराध के मनी लॉन्ड्रिंग पहलू की भी जांच की जा रही है.

याचिका में कहा गया है कि आगे के सभी पहलू एपीसीआईडी ​​और ईडी द्वारा चल रही जांच का विषय हैं. जांच को आगे बढ़ाना ईडी और एपीसीआईडी ​​का काम है. इसलिए हाई कोर्ट का यह निष्कर्ष कि कोई धन का लेन-देन नहीं है, स्पष्ट रूप से गलत और टिकाऊ नहीं है. हाई कोर्ट के आदेश की पृष्ठभूमि में नायडू 28 नवंबर को राजमुंदरी जेल जाने से बच जाएंगे, जो पहले से निर्धारित तारीख थी. हालांकि कोर्ट ने आदेश दिया है कि उन्हें 30 नवंबर को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) अदालत के सामने पेश होना होगा.

याचिकाकर्ता का धन साफ़ करने का झुकाव उसके या उसकी पार्टी के खाते में धन के स्थानांतरण के साक्ष्य के बिना अपराध में उसकी संलिप्तता का संकेत नहीं देता है. अदालत याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील से सहमत है कि याचिकाकर्ता को हर उप ठेकेदार की चोरी के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. न्यायमूर्ति टी. मल्लिकार्जुन राव ने अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया कोई संकेत नहीं है कि अधिकारियों ने याचिकाकर्ता को इस तरह के बारे में सूचित किया.

कौशल विकास घोटाले के सिलसिले में नायडू को शुरुआत में 9 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था और 31 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में रहे. अदालत ने उन्हें चिकित्सा उपचार के लिए अंतरिम जमानत दे दी. 28 नवंबर को जमानत की अवधि समाप्त होने के साथ नायडू को राजामहेंद्रवरम केंद्रीय कारागार के अधीक्षक के सामने आत्मसमर्पण करना होगा. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट दीपावली की छुट्टियों के बाद सीआईडी ​​एफआईआर को रद्द करने की नायडू की याचिका पर अपना फैसला सुनाने के लिए तैयार है.

ये भी पढ़ें - इनकम टैक्स असेसमेंट केस : गांधी परिवार और आप की याचिका पर 28 नवंबर को होगी सुनवाई

नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश सरकार ने कौशल विकास कार्यक्रम घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू को जमानत देने के आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. बता दें कि हाई कोर्ट ने 20 नवंबर 2023 को नायडू को जमानत दे दी. राज्य सरकार ने तर्क दिया कि हाई कोर्ट ने नायडू को जमानत देते हुए मामले के तथ्यों की गहराई से जांच की है और ऐसे निष्कर्ष निकाले हैं जो न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत हैं बल्कि मुकदमे के दौरान निचली अदालत पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की भी संभावना है. शीर्ष अदालत के विभिन्न फैसलों का हवाला देते हुए राज्य सरकार ने कहा कि जमानत आदेशों में साक्ष्य के विस्तृत विवरण की प्रथा की बार-बार निंदा की गई है.

मामले में हाई कोर्ट के निष्कर्षों पर राज्य सरकार की याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट ने एक लघु परीक्षण करके और गुण-दोष के आधार पर निष्कर्ष देकर अपने अधिकार क्षेत्र को पार कर लिया है. यह अत्यंत सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया गया है कि इसकी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. राज्य सरकार ने कहा कि आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति है और उसने सुनिश्चित किया है कि उसके दो प्रमुख सहयोगी (एक सरकारी कर्मचारी सहित) पहले ही देश से भाग चुके हैं और इसलिए वह स्पष्ट रूप से जांच में बाधा डाल रहा है और इसलिए उसे जमानत में छूट नहीं दी जानी चाहिए.

राज्य की याचिका में कहा गया है कि विषय वस्तु के संबंध में हाई कोर्ट का विकृत दृष्टिकोण और निष्कर्ष जमानत के फैसले के मूलभूत मापदंडों की कसौटी पर अपील के तहत आदेश को रद्द कर देता है. याचिका में तर्क दिया गया कि हाई कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकालने में भारी गलती की है, यह कोई सामग्री नहीं है कि बल्कि गलत तरीके राशि तेलुगु देशम पार्टी को दी गई थी और यह निष्कर्ष जमानत पर अस्थायी निर्णय के स्थापित मापदंडों की अवहेलना है. ईडी द्वारा अपराध के मनी लॉन्ड्रिंग पहलू की भी जांच की जा रही है.

याचिका में कहा गया है कि आगे के सभी पहलू एपीसीआईडी ​​और ईडी द्वारा चल रही जांच का विषय हैं. जांच को आगे बढ़ाना ईडी और एपीसीआईडी ​​का काम है. इसलिए हाई कोर्ट का यह निष्कर्ष कि कोई धन का लेन-देन नहीं है, स्पष्ट रूप से गलत और टिकाऊ नहीं है. हाई कोर्ट के आदेश की पृष्ठभूमि में नायडू 28 नवंबर को राजमुंदरी जेल जाने से बच जाएंगे, जो पहले से निर्धारित तारीख थी. हालांकि कोर्ट ने आदेश दिया है कि उन्हें 30 नवंबर को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) अदालत के सामने पेश होना होगा.

याचिकाकर्ता का धन साफ़ करने का झुकाव उसके या उसकी पार्टी के खाते में धन के स्थानांतरण के साक्ष्य के बिना अपराध में उसकी संलिप्तता का संकेत नहीं देता है. अदालत याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील से सहमत है कि याचिकाकर्ता को हर उप ठेकेदार की चोरी के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है. न्यायमूर्ति टी. मल्लिकार्जुन राव ने अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया कोई संकेत नहीं है कि अधिकारियों ने याचिकाकर्ता को इस तरह के बारे में सूचित किया.

कौशल विकास घोटाले के सिलसिले में नायडू को शुरुआत में 9 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था और 31 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में रहे. अदालत ने उन्हें चिकित्सा उपचार के लिए अंतरिम जमानत दे दी. 28 नवंबर को जमानत की अवधि समाप्त होने के साथ नायडू को राजामहेंद्रवरम केंद्रीय कारागार के अधीक्षक के सामने आत्मसमर्पण करना होगा. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट दीपावली की छुट्टियों के बाद सीआईडी ​​एफआईआर को रद्द करने की नायडू की याचिका पर अपना फैसला सुनाने के लिए तैयार है.

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