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आंध्र-प्रदेश : 321 करोड़ रुपये के फाइबरनेट घोटाले में प्राथमिकी दर्ज - FIR filed in Rs 321 cr FiberNet case

आंध्र-प्रदेश अपराध शाखा विभाग ने फाइबरनेट घोटाले में जांच की जिम्मेदारी संभालने के दो महीने बाद कथित अनियमितताओं पर मामला दर्ज किया है.

फाइबरनेट घोटाले में प्राथमिकी दर्ज
फाइबरनेट घोटाले में प्राथमिकी दर्ज
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Published : Sep 11, 2021, 10:45 PM IST

अमरावती : आंध्र-प्रदेश अपराध शाखा विभाग (सीआईडी) ने मामले की जांच की जिम्मेदारी संभालने के दो महीने बाद एपी स्टेट फाइबरनेट लिमिटेड (एपीएसएफएल) में कथित अनियमितताओं पर एक प्राथमिकी दर्ज की है.

बता दें कि ₹321 करोड़ का घोटाला बताया जा रहा है फाइबरनेट परियोजना का उद्देश्य भारत सरकार की भारत नेट परियोजना के तहत राज्य में सभी घरों को इंटरनेट और टेलीफोन सेवाएं उपलब्ध कराना है.

केंद्र सरकार ने नेशनल ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क के तहत फाइबरनेट परियोजना के लिए शुरूआत में ₹3,840 करोड़ की वित्तीय सहायता मुहैया कराई थी जिसकी प्राथमिकी नौ सितंबर को दर्ज की गई थी.जिसकी प्रति सार्वजनिक की गई और मामले में सीआईडी ने 16 व्यक्तियों और दो कंपनियों को नामजद आरोपी बनाया है.

इसे भी पढ़ें-झारखंड विधानसभा में 'नमाज' कक्ष पर टिप्पणी करने से आरएसएस ने किया परहेज

एपीएसएफएल अध्यक्ष पी गौतम रेड्डी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत का हवाला देते हुए सीआईडी ने कहा कि ई-शासन प्राधिकरण संचालन परिषद के तत्कालीन सदस्य वेमुरी हरिकृष्ण प्रसाद ने कंपनी को अवैध रूप से ₹321 करोड़ की निविदा दिलाने के लिए टेरा सॉफ्टवेयर लिमिटेड के साथ सांठगांठ की थी. प्राथमिकी में कहा गया है कि हालांकि निविदा पाने के लिए कंपनी के पास आवश्यक योग्यताएं नहीं थी.

सीआईडी ने प्रसाद के अलावा आंध्र प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन के तत्कालीन प्रबंध निदेशक के. एस. राव, टेरा सॉफ्टवेयर के अध्यक्ष एसएसआर कोटेश्वर राव, प्रबंध निदेशक टी गोपी चंद और छह अन्य निदेशकों को भी मामले में आरोपी बनाया है. साथ ही हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशंस लि. नाम की कंपनी के छह निदेशकों को भी अनाम सरकारी अधिकारियों एवं अन्य के साथ आरोपी बनाया गया है.आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत एक मामला दर्ज किया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

अमरावती : आंध्र-प्रदेश अपराध शाखा विभाग (सीआईडी) ने मामले की जांच की जिम्मेदारी संभालने के दो महीने बाद एपी स्टेट फाइबरनेट लिमिटेड (एपीएसएफएल) में कथित अनियमितताओं पर एक प्राथमिकी दर्ज की है.

बता दें कि ₹321 करोड़ का घोटाला बताया जा रहा है फाइबरनेट परियोजना का उद्देश्य भारत सरकार की भारत नेट परियोजना के तहत राज्य में सभी घरों को इंटरनेट और टेलीफोन सेवाएं उपलब्ध कराना है.

केंद्र सरकार ने नेशनल ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क के तहत फाइबरनेट परियोजना के लिए शुरूआत में ₹3,840 करोड़ की वित्तीय सहायता मुहैया कराई थी जिसकी प्राथमिकी नौ सितंबर को दर्ज की गई थी.जिसकी प्रति सार्वजनिक की गई और मामले में सीआईडी ने 16 व्यक्तियों और दो कंपनियों को नामजद आरोपी बनाया है.

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एपीएसएफएल अध्यक्ष पी गौतम रेड्डी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत का हवाला देते हुए सीआईडी ने कहा कि ई-शासन प्राधिकरण संचालन परिषद के तत्कालीन सदस्य वेमुरी हरिकृष्ण प्रसाद ने कंपनी को अवैध रूप से ₹321 करोड़ की निविदा दिलाने के लिए टेरा सॉफ्टवेयर लिमिटेड के साथ सांठगांठ की थी. प्राथमिकी में कहा गया है कि हालांकि निविदा पाने के लिए कंपनी के पास आवश्यक योग्यताएं नहीं थी.

सीआईडी ने प्रसाद के अलावा आंध्र प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन के तत्कालीन प्रबंध निदेशक के. एस. राव, टेरा सॉफ्टवेयर के अध्यक्ष एसएसआर कोटेश्वर राव, प्रबंध निदेशक टी गोपी चंद और छह अन्य निदेशकों को भी मामले में आरोपी बनाया है. साथ ही हिमाचल फ्यूचरिस्टिक कम्युनिकेशंस लि. नाम की कंपनी के छह निदेशकों को भी अनाम सरकारी अधिकारियों एवं अन्य के साथ आरोपी बनाया गया है.आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत एक मामला दर्ज किया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

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