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आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने जगन मोहन सरकार से पूछा, अमरावती के विकास के लिए क्या किया ? - आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने मांगी स्टेटस रिपोर्ट

किसानों की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के बाद आंध्रप्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से राजधानी अमरावती को बसाने के लिए किए गए काम की स्टेटस रिपोर्ट तलब की है. अमरावती के किसानों ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी जगन मोहन सरकार अमरावती में इन्फ्रास्ट्रक्टर डिवेलप नहीं कर रही है. उन्हें सरकार के कदम को कोर्ट की अवमानना बताया है.

Andhra Pradesh high court
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Published : May 5, 2022, 5:58 PM IST

अमरावती : आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट (Andhra Pradesh high court) ने गुरुवार को राज्य सरकार से अमरावती में किए गए कंस्ट्रक्शन वर्क की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. राज्य सरकार के खिलाफ अमरावती के कुछ किसानों की ओर से दायर याचिकाओं सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार से कार्यों की प्रगति पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को बताया कि हाई कोर्ट ने 3 मार्च अमरावती राजधानी शहर के मास्टर प्लान को छह महीने में पूरा करने का आदेश दिया था, मगर राज्य सरकार आदेशों को लागू नहीं कर रही है.

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि अदालत के आदेश के महीनों बाद भी लैंड पूलिंग योजना के तहत दिए गए विकसित भूखंडों के लिए इलेक्ट्रिसिटी, ड्रेनेज, रोड और पेयजल जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गईं. उन्होंने आरोप लगाया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने सीआरडीए अधिनियम की धारा 61 के तहत टाउन प्लानिंग स्कीम को जानबूझकर लागू नहीं किया, जो अदालत की अवमानना के अलावा और कुछ नहीं है. सीनियर एडवोकेट राजेंद्र प्रसाद ने कुछ मंत्रियों के बयानों को भी अदालत में रखा और आरोप लगाया कि सरकार का अदालत के आदेशों का पालन करने का कोई इरादा नहीं है.

मामले की सुनवाई करते हुए तीन जजों की बेंच ने साफ किया कोर्ट मीडिया में दिए गए बयानों पर ध्यान नहीं देगा बल्कि सरकार की ओर से बताए गए तथ्यों पर गौर करेगी. अदालत ने इस मामले की सुनवाई 12 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी और राज्य सरकार से विकास कार्यों की स्टेटस रिपोर्ट और हलफनामा दायर करने का आदेश दिया. बता दें कि आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने 3 मार्च को अमरावती के किसानों की 75 याचिकाओं पर याचिकाओं पर फैसला सुनाया था. तब कोर्ट ने आंध्र प्रदेश की सरकार को तीन महीने के भीतर सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ विकसित भूखंड किसानों को सौंपने का आदेश दिया था.

पढ़ें : आजादी रैली मामला: जिग्नेश मेवानी सहित नौ अन्य को तीन महीने जेल की सजा

अमरावती : आंध्रप्रदेश हाईकोर्ट (Andhra Pradesh high court) ने गुरुवार को राज्य सरकार से अमरावती में किए गए कंस्ट्रक्शन वर्क की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है. राज्य सरकार के खिलाफ अमरावती के कुछ किसानों की ओर से दायर याचिकाओं सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार से कार्यों की प्रगति पर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को बताया कि हाई कोर्ट ने 3 मार्च अमरावती राजधानी शहर के मास्टर प्लान को छह महीने में पूरा करने का आदेश दिया था, मगर राज्य सरकार आदेशों को लागू नहीं कर रही है.

याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि अदालत के आदेश के महीनों बाद भी लैंड पूलिंग योजना के तहत दिए गए विकसित भूखंडों के लिए इलेक्ट्रिसिटी, ड्रेनेज, रोड और पेयजल जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गईं. उन्होंने आरोप लगाया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकार ने सीआरडीए अधिनियम की धारा 61 के तहत टाउन प्लानिंग स्कीम को जानबूझकर लागू नहीं किया, जो अदालत की अवमानना के अलावा और कुछ नहीं है. सीनियर एडवोकेट राजेंद्र प्रसाद ने कुछ मंत्रियों के बयानों को भी अदालत में रखा और आरोप लगाया कि सरकार का अदालत के आदेशों का पालन करने का कोई इरादा नहीं है.

मामले की सुनवाई करते हुए तीन जजों की बेंच ने साफ किया कोर्ट मीडिया में दिए गए बयानों पर ध्यान नहीं देगा बल्कि सरकार की ओर से बताए गए तथ्यों पर गौर करेगी. अदालत ने इस मामले की सुनवाई 12 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी और राज्य सरकार से विकास कार्यों की स्टेटस रिपोर्ट और हलफनामा दायर करने का आदेश दिया. बता दें कि आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने 3 मार्च को अमरावती के किसानों की 75 याचिकाओं पर याचिकाओं पर फैसला सुनाया था. तब कोर्ट ने आंध्र प्रदेश की सरकार को तीन महीने के भीतर सभी बुनियादी सुविधाओं के साथ विकसित भूखंड किसानों को सौंपने का आदेश दिया था.

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