नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) विधेयक, 2022 का एकमात्र उद्देश्य कन्विक्शन रेट बेहतर बनाना है. शाह ने कहा, पुलिस और जांच एजेंसियों को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं देना केंद्र सरकार का दायित्व है. उन्होंने कहा कि इतनी शंकाएं क्यों की जा रही हैं, यह समझ से परे है. शाह ने आश्वस्त किया कि देश की आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए केंद्र सरकार कानूनों में सुधार कर रही है. उन्होंने गुजरात में बनाई गई फॉरेसिंक साइंस इंस्टीट्यूट का जिक्र कर कहा कि मोदी ने मुख्यमंंत्री रहते हुए अहम फैसले लिए, जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर हुई. उन्होंने कहा, पुलिस को थर्ड डिग्री का सहारा न लेना पड़े, इसलिए यह कानून बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बंदी शिनाख्त अधिनियम 1920 के स्थान पर दूसरा कानून बनाना समय की मांग है.
शाह ने कहा कि देश में समस्याओं की कमी नहीं है, लेकिन क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में सुधार के मकसद से कई चरणों में सुधार किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि जनवरी 2022 तक 16390 पुलिस स्टेशन में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (Crime and Criminal Tracking Network and Systems-सीसीटीएनएस) लागू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि प्राथमिकी इसी आधार पर दर्ज किया जा रहा है. शाह ने कहा, गृह मंत्रालय राज्यों को एडवाइजरी भेजती है. उन्होंने कहा कि पुलिस राज्य का विषय है, लेकिन केंद्र सरकार मदद करती है. शाह के जवाब के बाद विधेयक ध्वनिमत से लोक सभा से पारित हो गया.
कानून के पीछे SMART पुलिसिंग का लक्ष्य : अपने जवाब के दौरान शाह ने बताया कि विधेयक में डायरेक्टर ऑफ प्रॉसिक्यूशन का प्रस्ताव दिया गया है. उन्होंने कहा कि ई-एफआईआर जैसी व्यवस्था के कारण हालात बेहतर हुए हैं. उन्होंने कहा कि थानों में किस तरीके के अपराध ज्यादा रिपोर्ट हो रहे हैं, पुलिसकर्मियों को कैसी ट्रेनिंग चाहिए, इन पहलुओं पर भी सरकार काम कर रही है. क्रिमिनल प्रोसीजर आइडेंटिफिकेशन बिल 2022 पर चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि इस विधेयक का एकमात्र उद्देश्य SMART पुलिसिंग का लक्ष्य हासिल करना है.
बेहतर दोष सिद्धि दर हासिल करना है लक्ष्य : उन्होंने बताया पीएम मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर की पुलिस के सामने स्मार्ट पुलिसिंग का कॉन्सेप्ट रखा. इसका अर्थ बताते हुए शाह ने कहा, S (Strict but Sensitive- सख्त लेकिन संवेदनशील); M (Modern and Mobile- मॉडर्न और मोबाइल); A (Alert and Accountable- चौकन्ना और जवाबदेह); R (Reliable and Responsive- भरोसेमंद और प्रतिक्रियात्मक); T (Techno-savy and Trained- आधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस और प्रशिक्षित) पुलिस होने से बेहतर दोष सिद्धि दर हासिल की जा सकेगी.
इससे पहले क्रिमिनल प्रोसीजर आइडेंटिफिकेशन बिल 2022 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विष्णु दयाल राम ने कहा कि हमें इस विधेयक को राजनीति के चश्मे से ऊपर उठकर देखना चाहिए. 102 साल पुराने कानून में संशोधन किया गया है ताकि आधुनिक तकनीक के आधार पर अपराध के मामले में गिरफ्तार लोगों का विभिन्न प्रकार का ब्यौरा एकत्र करने की व्यवस्था हो. बता दें कि वीडी राम झारखंड में पुलिस महानिदेशक के रूप में सेवाएं दे चुके हैं.
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इससे पहले चर्चा के दौरान बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने कहा कि इस सदन ने डेटा की निजता एवं सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई है. डेटा संग्रह की व्यवस्था डेटा संरक्षण कानून आने के बाद होनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि चिंता इस बात को लेकर है कि अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई और लोगों की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की जरूरत होती है. इस विधेयक में इस संतुलन की कमी दिखाई देती है.