नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) ने गृह सचिव अजय कुमार भल्ला (Home Secretary Ajay Kumar Bhalla) से त्रिपुरा में 32,000 ब्रू शरणार्थियों के पुनर्वास प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा करने को कहा है (ensure early resettlement of Bru refugees). इसी क्रम में गृह मंत्रालय ने पुनर्वास प्रक्रिया की समीक्षा के लिए बुधवार को नॉर्थ ब्लॉक में संबंधित हितधारकों के साथ बैठक बुलाई है.
त्रिपुरा में ब्रू परिवारों के पुनर्वास के लिए जनवरी 2020 में केंद्र सरकार, त्रिपुरा और मिजोरम की राज्य सरकार के साथ-साथ ब्रू प्रतिनिधियों के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. मिजोरम में दो दशक से अधिक समय की जातीय हिंसा के बाद 32,000 ब्रू शरणार्थी समझौते के बाद त्रिपुरा में बसने वाले हैं. ब्रू विस्थापित युवा संघ (बीडीवाईए) के अध्यक्ष हर्बर्ट रियांग ने कहा, 'समझौते के अनुसार पुनर्वास के लिए स्थान की पहचान समझौते पर हस्ताक्षर करने के 60 दिनों के भीतर पूरी हो जानी चाहिए थी. अस्थायी राहत शिविरों को 180 दिनों के भीतर बंद कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन एक वर्ष से ज्यादा बीत गया है पुनर्वास प्रक्रिया लंबित है.'
उन्होंने त्रिपुरा सरकार पर पुनर्वास प्रक्रिया में ढुलमुल रवैये का आरोप लगाया. रियांग ने दावा किया कि राज्य के कंचनपुर अनुमंडल के अंतर्गत केवल एक स्थान पर पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू की गई है. बीडीवाईए अध्यक्ष ने कहा, गचीरामपारा, आनंदबाजार, मनु-चैलेंगटा, नंदीरामपारा और बिक्रमजयपारा रिजर्व फॉरेस्ट सहित अन्य प्रस्तावित स्थलों में पुनर्वास प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हुई है.
समझौते की शर्तों के अनुसार प्रत्येक ब्रू परिवार को फिक्स्ड डिपॉजिट के साथ 40 से 30 फीट का प्लॉट मिलेगा. इसके अलावा 2 साल के लिए 5000 रुपये प्रति माह की नकद सहायता और मुफ्त राशन भी दिया जाएगा. समझौते के तहत 1,50,000 रुपये की गृह निर्माण सहायता मिलेगी. अब तक 6959 परिवारों में से 2021 परिवारों को बसाया जा चुका है.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 387 परिवारों को 4 लाख रुपये की एफडी जारी की गई है. 460 परिवारों को 5,000 रुपये की मासिक नकद सहायता जारी की गई है. ब्रू पुनर्वास के लिए त्रिपुरा सरकार के अनुरोध पर गृह मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2020-21 में 140 करोड़ रुपये और वित्तीय वर्ष 2021-22 में 77.91 करोड़ रुपये जारी किए हैं.गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नए स्थान के लिए लंबित वन मंजूरी, स्थानीय समूहों और ब्रू प्रवासियों के बीच विवाद और राज्य सरकार द्वारा पहचाने गए कुछ स्थानों पर जाने के लिए ब्रू प्रवासियों की अनिच्छा के साथ-साथ कोरोना महामारी का भी पुनर्वास प्रक्रिया पर असर पड़ा है.
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