अम्बिकापुर : नगर निगम में स्वच्छता दीदियों ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में ऐसा काम करके दिखाया है कि इनके आगे मशीन भी फेल हैं. स्वच्छता दीदियों के माध्यम से प्लास्टिक वेस्ट को 63 केटेगरी में सेग्रीगेट किया जा रहा है. इसका फायदा यह हुआ कि प्लास्टिक कचरा महज 10 से 15 परसेंट ही बच रहा है. बाकी का करीब 85 फीसदी प्लास्टिक वेस्ट रिसाइक्लिंग प्रोसेस के जरिए दाना बनाकर प्लास्टिक निर्माण कंपनियों को महंगे दाम पर बेचा जा रहा है. कंपनियां इस प्लास्टिक दाने का दोबारा उपयोग प्लास्टिक के नए नए सामान बनाने में कर रही हैं.
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बिना मशीन ही छांट रहीं 63 कैटेगरी में प्लास्टिक वेस्ट: स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी ऋतेश सैनी बताते हैं कि "कोई भी मशीन इस लेवल का सेग्रीगेशन नहीं कर सकती है, जिस लेवल पर स्वच्छता दीदी खुद प्लास्टिक को अलग अलग कैटेगरी में बांटती हैं. मशीनों से प्लास्टिक छांटने पर 50 परसेंट के आसपास ही प्लास्टिक रीयूज हो पाती है. बाकी का 50 परसेंट प्लास्टिक रिफ्यूज हो जाता है. यही वजह है कि अम्बिकपुर में आने वाली प्लास्टिक का 85 परसेंट हम रीयूज करते हैं और महज 15 परसेंट ही रिफ्यूज होता है."
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