हैदराबाद : यूपी विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन के समीकरण साधे जा रहे हैं. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर गठबंधन के सियासी खेल में ऐसी खिचड़ी पका रहे हैं, जिसकी रेसिपी रोज बदल जाती है. बीजेपी को घनघोर दुश्मन बताने वाले राजभर के सुर भी अचानक बदल जाते हैं.
बुधवार को ओमप्रकाश राजभर ने अखिलेश यादव से मुलाकात की और गठबंधन का एकतरफा ऐलान कर दिया. साथ ही, यह भी स्पष्ट कर दिया कि समाजवादी पार्टी भले ही उन्हें एक भी सीट न दे, फिर भी वह अखिलेश के साथ ही चुनाव लड़ेंगे. पांच दिन पहले उन्होंने बीजेपी से गठबंधन की संभावनाओं पर हामी भर दी थी. साथ ही, यह बयान दे डाला था कि एआईएआईएम को छोड़कर भागीदारी संकल्प मोर्चा के सभी दल बीजेपी के साथ जाने को तैयार हैं.
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वंचितों, शोषितों, पिछड़ों, दलितों, महिलाओं, किसानों, नौजवानों, हर कमजोर वर्ग की लड़ाई समाजवादी पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी मिलकर लड़ेंगे।
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सपा और सुभासपा आए साथ,
यूपी में भाजपा साफ! pic.twitter.com/mdwUOiVi0I
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इससे पहले अगस्त में राजभर ने ओमप्रकाश राजभर ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह समेत कई नेताओं के साथ मुलाकात की थी. वह कई बार प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव से मुलाकात कर चुके हैं. चर्चा यह थी कि शिवपाल भी उनके मोर्चे का हिस्सा बन सकते हैं. मगर फिलहाल अखिलेश यादव से गठबंधन की घोषणा कर मोर्च में शिवपाल की एंट्री बंद कर दी है.
5 सीएम और 20 डिप्टी सीएम के फार्मूले का क्या होगा
2020 में ओमप्रकाश राजभर ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ( एआईएआईएम) से गठबंधन का ऐलान किया था. राजभर और असदुद्दीन ओवैसी ने भागीदारी संकल्प मोर्च का ऐलान कर दिया. राजभर ने ताबड़तोड़ अन्य छोटे दलों के साथ बैठक की और मोर्च में 20 छोटे दलों को शामिल करने का दावा किया. साथ ही उन्होंने पांच साल में पांच मुख्यमंत्री और 20 उपमुख्यमंत्रियों का फॉर्मूले का भी ऐलान कर दिया.
एक महीने पहले उन्होंने बिहार में NDA की सहयोगी वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) को भागीदारी मोर्चे में शामिल होने का न्योता दे दिया. फिलहाल घोषणाओं के हिसाब से इस मोर्चे में दलित नेता चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, जन अधिकार पार्टी, अपना दल (कमेरावादी), राष्ट्र उदय पार्टी, जनता क्रांति पार्टी, भारत माता पार्टी और भारतीय वंचित समाज पार्टी शामिल हैं.
3 फीसदी वोटों का मोलभाव कर रहे हैं राजभर
भले ही भागीदारी संकल्प मोर्च में कई दल शामिल हैं मगर ओमप्रकाश राजभर अपनी बिरादरी के कुल 3 प्रतिशत वोटों के सहारे जोड़-घटाव कर रहे हैं. पूर्वांचल की करीब 100 सीटों पर राजभर बिरादरी का प्रतिशत 18-20 प्रतिशत है. पूर्वांचल की कुछ सीटों में 25- 35 प्रतिशत राजभर वोटर हैं. पूर्वांचल के मऊ गाज़ीपुर , बलिया, देवरिया, जौनपुर, वाराणसी और चंदौली के अलावा महाराजगंज, श्रावस्ती, अंबेडकरनगर एवं बहराइच भी राजभर बिरादरी के वोटरों की तादाद अच्छी है.
कहीं ओवैसी का प्लान चौपट न हो जाए
असदुद्दीन ओवैसी ने ओमप्रकाश राजभर और चंद्रशेखर आजाद से समझौता कर अपने आजमाए फार्मूले को दोहराने की कोशिश की थी. वह दलित, मुस्लिम और ओबीसी के वोट के सहारे उत्तरप्रदेश में दाखिल होना चाहते हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में भी उनकी पार्टी ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उन्हें एक भी सीट नहीं मिली थी. पूरे प्रदेश में AIMIM को 0.2 फीसदी यानी कुल 205,232 वोट मिले थे. मगर ओमप्रकाश राजभर के बदलते तेवर से ओवैसी के प्लान को पलीता लग सकता है.
हालांकि असदुद्दीन ओवैसी ने बदलते समीकरणों के बीच यह साफ कर दिया है कि वह कांग्रेस और बीजेपी के साथ कोई गठबंधन नहीं कर सकते है. बाकी दलों से गठबंधन में वह राजभर के साथ हैं. फिलहाल सुभासपा प्रमुख राजभर ने 27 अक्टूबर को पत्ते खोलने का ऐलान किया है.
क्या समाजवादी पार्टी को होगा फायदा
विजय रथ यात्रा से उत्साहित अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी के 100 से अधिक सीट जीतने की उम्मीद जगी है. पार्टी को मिले इनपुट के हिसाब से अगर पूर्वांचल में वह थोड़ी ताकत बढ़ा लेते हैं तो सीटों की तादाद सरकार बनाने के मुहाने तक पहुंच सकती है. इसी गणित के आधार पर अचानक किसी से गठबंधन न करने का ऐलान कर चुके अखिलेश यादव ने राजभर को गठबंधन का न्यौता दे दिया. अब यह वोटों में कितना तब्दील हो पाता है, बाद में ही पता चलेगा. फिलहाल सवाल यह है कि ओमप्रकाश राजभर से वह सीटों को लेकर समझौते को अंतिम रूप दे पाएंगे या नहीं.
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