ETV Bharat / bharat

Ajit Pawar Does Sharad Pawar : कभी शरद पवार ने भी की थी ऐसी ही बगावत

author img

By

Published : Jul 2, 2023, 7:05 PM IST

Updated : Jul 2, 2023, 7:32 PM IST

शरद पवार ने खुद कांग्रेस से बगावत कर अपनी अलग पार्टी बनाई थी. कभी उन्होंने इंदिरा गांधी के खिलाफ भी विद्रोह की आवाज उठाई थी. और जब इंदिरा सत्ता में लौटीं, तो उन्होंने शरद पवार की सरकार बर्खास्त कर दी थी.

Sharad pawar
शरद पवार

नई दिल्ली : महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने कभी जिस तरह की राजनीतिक 'बगावत' की थी, आज वैसा ही कुछ उनके साथ हो गया. उनकी पार्टी के अधिकांश विधायक अजित पवार के साथ चले गए. कम के कम अजित पवार तो ऐसा ही दावा कर रहे हैं. शरद पवार ने 1978 में इंदिरा गांधी के खिलाफ बगावत की थी.

तब पवार ने कांग्रेस के बंसतराव पाटिल की सरकार गिरा दी थी. उसके बाद पवार ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी. राजनीति में शरद पवार का यह पहला 'विद्रोही' कदम था. यह साल था 1978 का. उस समय शरद पवार ने जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. वह मात्र 38 साल की उम्र में महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे. जाहिर है, 1980 में जब इंदिरा गांधी फिर से केंद्र में सत्ता में लौटीं, उन्होंने महाराष्ट्र में शरद पवार की सरकार बर्खास्त कर दी.

सरकार गिरने के तीन साल बाद शरद पवार ने कांग्रेस पार्टी सोशलिस्ट का गठन किया. शरद पवार तब बारामती से सांसद थे. 1985 के विधानसभा चुनाव में वह फिर से राज्य की राजनीति में वापस लौट गए. वह विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता बन गए.

1987 में शरद पवार और राजीव गांधी करीब आए और पवार को कांग्रेस में फिर से शामिल कर लिया गया. कांग्रेस ने 1988 में उन्हें सीएम बना दिया. उन्हें शंकर राव चव्हाण की जगह सीएम बनाया गया था. चव्हाण को केंद्र में मंत्री बना दिया गया. 1990 में शरद पवार ने 12 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से तीसरी बार सरकार बनाई.

1991 में राजीव गांधी की हत्या हो गई थी. उसके बाद कांग्रेस की कमान किसे सौंपी जाए, इस पर चर्चा की जा रही थी. उस समय शरद पवार का नाम सबसे आगे चल रहा था. दो अन्य नाम थे पीवी नरसिंह राव और नारायण दत्त तिवारी का. ऐसा लग रहा था कि शरद पवार पीएम बन सकते हैं. उस समय की मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि एनडी तिवारी गांधी परिवार की पसंद थे. पर, तिवार चुनाव हार गए थे. इसलिए शरद पवार की उम्मीदें बढ़ गई थीं.

लेकिन बाजी नरसिंह राव के हाथ लगी. नरसिंह राव पीएम बन गए. शरद पवार मन मसोसकर रह गए. ऐसा माना गया था कि नरसिंह राव को गांधी परिवार अपने हिसाब से चला सकता है. पवार को रक्षा मंत्री बनाया गया था.

1993 में शरद पवार फिर से महाराष्ट्र के चौथी बार सीएम बने. उस समय कांग्रेस पार्टी ने मुंबई दंगे की वजह से सुधारराव नाइक को सीएम पद से हटा दिया गया था.

1996 में कांग्रेस सरकार हार गई. 1998 में मध्यावधि चुनाव हुआ. शरद पवार प्रतिपक्ष के नेता बन गए. अगले साथ फिर से लोकसभा चुनाव हुआ. इस समय जब पीएम बनने की बात हुई, तो सोनिया गांधी का नाम आगे आने लगा.

इस समय शरद पवार ने अपने दो वरिष्ठ सहयोगियों के साथ बगावत कर दी. उनके साथ थे तारिक अनवर और पीएम संगमा. तीनों ने सोनिया गांधी के मूल का सवाल उठा दिया. सोनिया गांधी के खिलाफ बोलने पर तीनों ही नेताओं को पार्टी से निकाल दिया गया. इसी साल पवार ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का गठन किया. और तब से पवार अपनी पार्टी को आगे बढ़ाते रहे हैं. हालांकि, पवार ने 1999 में ही फिर से कांग्रेस का साथ देने का भरोसा दिया. यही वजह थी कि 2004 में जब यूपीए की सरकार बनी, तो वह उस मंत्रिमंडल में शामिल हुए. वह कृषि मंत्री बने थे.

शरद पवार - का जन्म पुणे के बारामती से हुआ. उनके पिता कॉपरेटिव सोसाइटी में थे. उनकी मां स्थानीय नेता थीं. उनकी शादी प्रतिभा पवार से हुई. प्रतिभा पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी सदाशिव शिंदे की बेटी हैं. 1958 में शरद पवार कांग्रेस की युवा ईकाई के नेता बने थे.

ये भी पढ़ें : Internal fighting NCP : शरद पवार को बड़ा झटका, समर्थक विधायकों के साथ अजित पवार एनडीए में शामिल

ये भी पढ़ें : Maharashtra Politics : बगावत पर बोले शरद पवार, 'ये लूट है, मैं फिर से पार्टी खड़ी करके दिखाऊंगा'

ये भी पढ़ें : महाराष्ट्र की सरकार हुई ट्रिपल इंजन, बुलेट ट्रेन की गति से भागने को तैयार- सीएम एकनाथ शिंदे

नई दिल्ली : महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शरद पवार ने कभी जिस तरह की राजनीतिक 'बगावत' की थी, आज वैसा ही कुछ उनके साथ हो गया. उनकी पार्टी के अधिकांश विधायक अजित पवार के साथ चले गए. कम के कम अजित पवार तो ऐसा ही दावा कर रहे हैं. शरद पवार ने 1978 में इंदिरा गांधी के खिलाफ बगावत की थी.

तब पवार ने कांग्रेस के बंसतराव पाटिल की सरकार गिरा दी थी. उसके बाद पवार ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी. राजनीति में शरद पवार का यह पहला 'विद्रोही' कदम था. यह साल था 1978 का. उस समय शरद पवार ने जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. वह मात्र 38 साल की उम्र में महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे. जाहिर है, 1980 में जब इंदिरा गांधी फिर से केंद्र में सत्ता में लौटीं, उन्होंने महाराष्ट्र में शरद पवार की सरकार बर्खास्त कर दी.

सरकार गिरने के तीन साल बाद शरद पवार ने कांग्रेस पार्टी सोशलिस्ट का गठन किया. शरद पवार तब बारामती से सांसद थे. 1985 के विधानसभा चुनाव में वह फिर से राज्य की राजनीति में वापस लौट गए. वह विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता बन गए.

1987 में शरद पवार और राजीव गांधी करीब आए और पवार को कांग्रेस में फिर से शामिल कर लिया गया. कांग्रेस ने 1988 में उन्हें सीएम बना दिया. उन्हें शंकर राव चव्हाण की जगह सीएम बनाया गया था. चव्हाण को केंद्र में मंत्री बना दिया गया. 1990 में शरद पवार ने 12 निर्दलीय विधायकों के समर्थन से तीसरी बार सरकार बनाई.

1991 में राजीव गांधी की हत्या हो गई थी. उसके बाद कांग्रेस की कमान किसे सौंपी जाए, इस पर चर्चा की जा रही थी. उस समय शरद पवार का नाम सबसे आगे चल रहा था. दो अन्य नाम थे पीवी नरसिंह राव और नारायण दत्त तिवारी का. ऐसा लग रहा था कि शरद पवार पीएम बन सकते हैं. उस समय की मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि एनडी तिवारी गांधी परिवार की पसंद थे. पर, तिवार चुनाव हार गए थे. इसलिए शरद पवार की उम्मीदें बढ़ गई थीं.

लेकिन बाजी नरसिंह राव के हाथ लगी. नरसिंह राव पीएम बन गए. शरद पवार मन मसोसकर रह गए. ऐसा माना गया था कि नरसिंह राव को गांधी परिवार अपने हिसाब से चला सकता है. पवार को रक्षा मंत्री बनाया गया था.

1993 में शरद पवार फिर से महाराष्ट्र के चौथी बार सीएम बने. उस समय कांग्रेस पार्टी ने मुंबई दंगे की वजह से सुधारराव नाइक को सीएम पद से हटा दिया गया था.

1996 में कांग्रेस सरकार हार गई. 1998 में मध्यावधि चुनाव हुआ. शरद पवार प्रतिपक्ष के नेता बन गए. अगले साथ फिर से लोकसभा चुनाव हुआ. इस समय जब पीएम बनने की बात हुई, तो सोनिया गांधी का नाम आगे आने लगा.

इस समय शरद पवार ने अपने दो वरिष्ठ सहयोगियों के साथ बगावत कर दी. उनके साथ थे तारिक अनवर और पीएम संगमा. तीनों ने सोनिया गांधी के मूल का सवाल उठा दिया. सोनिया गांधी के खिलाफ बोलने पर तीनों ही नेताओं को पार्टी से निकाल दिया गया. इसी साल पवार ने नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का गठन किया. और तब से पवार अपनी पार्टी को आगे बढ़ाते रहे हैं. हालांकि, पवार ने 1999 में ही फिर से कांग्रेस का साथ देने का भरोसा दिया. यही वजह थी कि 2004 में जब यूपीए की सरकार बनी, तो वह उस मंत्रिमंडल में शामिल हुए. वह कृषि मंत्री बने थे.

शरद पवार - का जन्म पुणे के बारामती से हुआ. उनके पिता कॉपरेटिव सोसाइटी में थे. उनकी मां स्थानीय नेता थीं. उनकी शादी प्रतिभा पवार से हुई. प्रतिभा पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी सदाशिव शिंदे की बेटी हैं. 1958 में शरद पवार कांग्रेस की युवा ईकाई के नेता बने थे.

ये भी पढ़ें : Internal fighting NCP : शरद पवार को बड़ा झटका, समर्थक विधायकों के साथ अजित पवार एनडीए में शामिल

ये भी पढ़ें : Maharashtra Politics : बगावत पर बोले शरद पवार, 'ये लूट है, मैं फिर से पार्टी खड़ी करके दिखाऊंगा'

ये भी पढ़ें : महाराष्ट्र की सरकार हुई ट्रिपल इंजन, बुलेट ट्रेन की गति से भागने को तैयार- सीएम एकनाथ शिंदे

Last Updated : Jul 2, 2023, 7:32 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.