देहरादून : उत्तर प्रदेश के समय से उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी का बड़ा चेहरा सांसद अजय भट्ट उत्तराखंड में ब्राह्मण मूल से आने वाले एक कद्दावर नेता हैं. अजय भट्ट उत्तराखंड बनने पर अंतरिम सरकार में मंत्री रहे थे और उनके पास स्वास्थ्य, आबकारी और आपदा प्रबंधन जैसे बड़े विभागों की जिम्मेदारी रही. अब उनके केंद्रीय मंत्रिमंडल में रक्षा और पर्यटन मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया है, जिसके बाद राज्य के लिए ये बड़ी खुशखबरी है.
अजय भट्ट बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वकील हैं. अभी वो नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट से लोकसभा सदस्य हैं. अजय भट्ट को बीजेपी का शांत रहने वाला और सुलझा हुआ राजनेता माना जाता है. राजनीति में आने से पहले अजय भट्ट वकालत करते थे. अजय भट्ट की पत्नी भी वकील हैं. उनके चार बच्चों में से दो वकील हैं. अजय भट्ट की एक बेटी दिल्ली हाई कोर्ट में तो उनका इकलौता बेटा देहरादून में प्रैक्टिस करता है.
आज राजनीति की ऊंचाई पर पहुंचे अजय भट्ट का शुरुआती जीवन संघर्षों भरा रहा. जब छोटे थे तभी पिता का साया सिर से उठ गया था. पढ़ाई जारी रखने के लिए अजय भट्ट ने चाय की दुकान लगाई तो चूड़ी-बिंदी भी बेची. बड़े भाई के सहयोग और उनके कठिन परिश्रम से पढ़ाई जारी रही. कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल से एलएलबी करने के बाद अजय भट्ट की लाइफ थोड़ा पटरी पर लौटी. कानून की पढ़ाई करने के बाद अजय भट्ट ने अल्मोड़ा में वकालत शुरू की. 1984 से 1996 तक उन्होंने वकालत की. इसी दौरान उनकी मुलाकात पुष्पा भट्ट से हुई. पुष्पा भी वकालत करती थीं. दोनों जीवन साथी बन गए.
1996 का साल अजय भट्ट के जीवन का निर्णायक साल था. ये वही साल था जब अजय भट्ट पूरी तरह राजनीति में उतर आए. तत्कालीन उत्तर प्रदेश में वो बीजेपी के टिकट पर रानीखेत विधासभा सीट से विधायक बने. उत्तराखंड बनने के बाद अंतरिम सरकार का कार्यकाल खत्म होने पर 2002 में विधानसभा चुनाव में अजय भट्ट ने जीत हासिल की. 2012 में भी अजय भट्ट रानीखेत विधानसभा सीट से जीते. 2017 में जब बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला तो अजय भट्ट चुनाव हार गए. नहीं तो उन्हें ही अगला मुख्यमंत्री माना जा रहा था. इसकी भरपाई अजय भट्ट ने 2019 के लोकसभा चुनाव में नैनीताल-उधमसिंह नगर सीट से जीत हासिल कर पूरी कर ली.
बताया जाता है कि उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन की शुरुआत करने वाले अजय भट्ट ही थे. स्वास्थ्य मंत्री रहते उनका एक किस्सा बेहद प्रचलित है. स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए उन्होंने मसूरी में एक अस्पताल का दौरा किया था. अजय भट्ट ने अस्पताल में मरीजों के बिस्तर को बुरी हालात में पाया. उन्होंने उसी समय सारे बेड अस्पताल से बाहर निकाल कर वहीं पर आग लगवा दी थी. उन्होंने कहा था कि इन बेड पर अगर मरीज लेटेंगे तो उनकी हालत सुधरेगी नहीं, बल्कि और बिगड़ जाएगी.
अजय भट्ट के साथ संयोग कुछ इस तरह से होता रहा कि जब-जब वह विधायकी जीते, तब-तब प्रदेश में सरकार विपक्षी दल की बनी. इस दौरान अजय भट्ट कई बार नेता प्रतिपक्ष भी रहे तो वहीं उत्तराखंड में प्रदेश संगठन की कमान भी उन्होंने लंबे समय तक संभाले रखी.
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अजय भट्ट नैनीताल से सांसद हैं. उन्हें सांसद का टिकट तब मिला था जब कोश्यारी ने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था. नैनीताल से सांसदी का चुनाव लड़ने पर उन्होंने कांग्रेस के कद्दावर नेता हरीश रावत को हराया था. इससे उनका सियासी कद और ज्यादा बढ़ गया था. आज मोदी कैबिनेट में अगर अजय भट्ट स्थान पाते हैं तो उनका सियासी कद और बढ़ जाएगा.
अजय भट्ट ने राजनैतिक जीवन की शुरुआत ही बीजेपी से की थी. हर मुश्किल घड़ी में अजय भट्ट पार्टी के साथ खड़े रहे. उत्तराखंड में बीजेपी को खड़ा करने में जितना योगदान भगत सिंह कोश्यारी का रहा, उससे कम अजय भट्ट का भी नहीं रहा. इसलिए पार्टी ने समय-समय पर उन्हें प्रदेश में बड़ी जिम्मेदारियां दीं. यहां तक कि विधायक का चुनाव हारने के बावजूद उन्हें सांसदी का चुनाव लड़ाया गया.
अजय भट्ट ने चुनाव जीतकर पार्टी के भरोसे को कायम रखा. अब उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिलता है तो ये पार्टी के प्रति उनकी वफादारी और अपने हाईकमान के प्रति विश्वास का फल भी होगा.
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