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एयर इंडिया पेशाब मामला : अनियंत्रित व्यवहार पर दिशानिर्देश के लिए पीड़िता ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख - एयर इंडिया में पेशाब करने का मामला

फ्लाइट में लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं. जो काफी शर्मनाक है. देश की सर्वोच्च अदालत का रुख करते हुए पीड़िता ने कहा कि विमान में अधिक मात्रा में शराब परोसी जाती है.

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Etv Bharat एयर इंडिया पेशाब मामला
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Published : Mar 20, 2023, 1:43 PM IST

नई दिल्ली: एयर इंडिया में पेशाब करने के मामले में पीड़ित ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) और एयरलाइन कंपनियों को निर्देश देने की मांग की कि विमान में सवार यात्रियों के दुर्व्यवहार की घटनाओं से निपटने के लिए नियम बनाए जाएं. पीड़ित ने स्पष्ट जीरो-टोलरेंस की नीति पर जोर दिया और कहा कि ऐसे नियम हों जिसमें कानून प्रवर्तन को रिपोर्ट करना अनिवार्य हो, विफल होने पर सभी मामलों में एयरलाइनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से मीडिया को कार्यवाही पर रिपोटिर्ंग करने से रोकने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया.

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि फ्लाइट में अत्यधिक शराब परोसे जाने के बाद एक अनियंत्रित यात्री ने याचिकाकर्ता पर पेशाब करने के बाद, नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करने में विफल रहा है. याचिका में कहा गया है कि अनुमानों से भरी व्यापक राष्ट्रीय प्रेस रिपोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत पीड़ित के रूप में याचिकाकर्ता के अधिकार को गंभीर रूप से कम कर दिया है और निष्पक्ष रूप से अभियुक्तों के अधिकारों को भी प्रभावित किया है.

अधिवक्ता राहुल नारायण के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया, 'याचिकाकर्ता की एयर सेवा शिकायत के चयनात्मक रूप से लीक होने, प्राथमिकी और एक विशिष्ट कथा से मेल खाने के लिए चुनिंदा गवाहों के बयान मीडिया को जारी किए जाने के कारण स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकार भी काफी हद तक प्रभावित हुए हैं.' दलील में कहा गया है कि इस घटना के कारण याचिकाकर्ता 12 घंटे की लंबी उड़ान के दौरान सदमे और संकट में पड़ गई और चालक दल असहयोगी था.

दलील में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर अनियंत्रित यात्रियों के व्यवहार में तेजी से वृद्धि हुई है, क्योंकि इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) ने दिसंबर 2022 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें सरकारों से अनियंत्रित यात्रियों की पहचान करने और उन्हें संभालने के बारे में व्यावहारिक ²ष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया गया था. दलील में कहा गया है कि डीजीसीए की मई 2017 (सीएआर) की नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं को एक विमान में अनियंत्रित/हानिकारक व्यवहार माना जाने के लिए 'शराबी' या 'शराब' पर विचार करना चाहिए.

पढ़ें: Air India Flight Smoking Case: विमान में धूम्रपान के मामले में यात्री को अदालत ने भेजा जेल, जमानत राशि देने से इनकार

याचिका में तर्क दिया गया है कि अधिकारियों को यात्रियों और एयरलाइन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए भारतीय वाहकों की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर शराब नीति पर दिशानिर्देश तैयार करने चाहिए, जिसमें यात्रा की श्रेणी के आधार पर बिना किसी भेदभाव के शराब की मात्रा पर सीमा निर्धारित करना शामिल है. 26 नवंबर 2022 की घटना के लिए आरोपी शंकर मिश्रा को 6 जनवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली पुलिस ने बिजनेस क्लास में महिला पर पेशाब करने के मामले में मिश्रा के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और एयरक्राफ्ट एक्ट की धारा 23 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। आरोपी को बाद में जमानत मिल गई थी.

आईएएनएस

नई दिल्ली: एयर इंडिया में पेशाब करने के मामले में पीड़ित ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) और एयरलाइन कंपनियों को निर्देश देने की मांग की कि विमान में सवार यात्रियों के दुर्व्यवहार की घटनाओं से निपटने के लिए नियम बनाए जाएं. पीड़ित ने स्पष्ट जीरो-टोलरेंस की नीति पर जोर दिया और कहा कि ऐसे नियम हों जिसमें कानून प्रवर्तन को रिपोर्ट करना अनिवार्य हो, विफल होने पर सभी मामलों में एयरलाइनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से मीडिया को कार्यवाही पर रिपोटिर्ंग करने से रोकने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया.

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि फ्लाइट में अत्यधिक शराब परोसे जाने के बाद एक अनियंत्रित यात्री ने याचिकाकर्ता पर पेशाब करने के बाद, नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करने में विफल रहा है. याचिका में कहा गया है कि अनुमानों से भरी व्यापक राष्ट्रीय प्रेस रिपोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत पीड़ित के रूप में याचिकाकर्ता के अधिकार को गंभीर रूप से कम कर दिया है और निष्पक्ष रूप से अभियुक्तों के अधिकारों को भी प्रभावित किया है.

अधिवक्ता राहुल नारायण के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया, 'याचिकाकर्ता की एयर सेवा शिकायत के चयनात्मक रूप से लीक होने, प्राथमिकी और एक विशिष्ट कथा से मेल खाने के लिए चुनिंदा गवाहों के बयान मीडिया को जारी किए जाने के कारण स्वतंत्र और निष्पक्ष सुनवाई के उनके अधिकार भी काफी हद तक प्रभावित हुए हैं.' दलील में कहा गया है कि इस घटना के कारण याचिकाकर्ता 12 घंटे की लंबी उड़ान के दौरान सदमे और संकट में पड़ गई और चालक दल असहयोगी था.

दलील में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर अनियंत्रित यात्रियों के व्यवहार में तेजी से वृद्धि हुई है, क्योंकि इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) ने दिसंबर 2022 में एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें सरकारों से अनियंत्रित यात्रियों की पहचान करने और उन्हें संभालने के बारे में व्यावहारिक ²ष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया गया था. दलील में कहा गया है कि डीजीसीए की मई 2017 (सीएआर) की नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं को एक विमान में अनियंत्रित/हानिकारक व्यवहार माना जाने के लिए 'शराबी' या 'शराब' पर विचार करना चाहिए.

पढ़ें: Air India Flight Smoking Case: विमान में धूम्रपान के मामले में यात्री को अदालत ने भेजा जेल, जमानत राशि देने से इनकार

याचिका में तर्क दिया गया है कि अधिकारियों को यात्रियों और एयरलाइन कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए भारतीय वाहकों की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर शराब नीति पर दिशानिर्देश तैयार करने चाहिए, जिसमें यात्रा की श्रेणी के आधार पर बिना किसी भेदभाव के शराब की मात्रा पर सीमा निर्धारित करना शामिल है. 26 नवंबर 2022 की घटना के लिए आरोपी शंकर मिश्रा को 6 जनवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली पुलिस ने बिजनेस क्लास में महिला पर पेशाब करने के मामले में मिश्रा के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और एयरक्राफ्ट एक्ट की धारा 23 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। आरोपी को बाद में जमानत मिल गई थी.

आईएएनएस

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