गुजरात: सुरक्षा बलों के विवरण का इस्तेमाल कर जम्मू-कश्मीर के लोगों के फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वाले एक गिरोह का गुजरात में भंडाफोड़ किया गया है. इस मामले में नौसेना के सेवानिवृत्त अधिकारी और एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि सेना की दक्षिणी कमान के खुफिया प्रकोष्ठ से मिली जानकारी के आधार पर फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ किया गया जो अहमदाबाद में गत चार साल से सक्रिय था. क्राइम ब्रांच ने इस बात की जांच शुरू कर दी है कि कहीं इन युवकों के बनाए ड्राइविंग लाइसेंस का इस्तेमाल कर कोई आतंकी गतिविधि तो नहीं की गई है.
अहमदाबाद सिटी क्राइम ब्रांच के पुलिस उपायुक्त को पुणे की मिलिट्री इंटेलिजेंस से सूचना मिली कि अहमदाबाद और गांधीनगर आरटीओ एजेंट के रूप में काम करने वाले कुछ एजेंट जम्मू-कश्मीर के व्यक्तियों के संपर्क में थे. वे आरटीओ कार्यालय में सुरक्षा बलों के झूठे सबूतों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में रहने वाले निवासियों के आधार प्रमाण प्राप्त करके फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बना रहे हैं.
जांच में यह बात सामने आई है कि इस मामले में गिरफ्तार दोनों आरटीओ एजेंट अब तक 2000 से ज्यादा फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनवा चुके हैं. वे प्रति लाइसेंस 8 से 20 हजार रुपए चार्ज करते थे. दोनों आरोपी अपना भुगतान ऑनलाइन प्राप्त करते थे. प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आया है कि आरोपियों ने फर्जी लाइसेंस जारी कर 50 लाख से एक करोड़ रुपये तक की राशि हासिल की है.
अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों के पास से 284 ड्राइविंग लाइसेंस, 97 सर्विस मोटर ड्राइविंग लाइसेंस बुक्स, रबर की नौ फर्जी मुहर, तीन लैपटॉप, चार मोबाइल फोन, 37 अनापत्ति प्रमाणपत्र, नौ सेवारत प्रमाणपत्र, 27 'स्पीड पोस्ट' स्टीकर और डिजिटल पेन जब्त किये गये. उन्होंने बताया कि मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है और विस्तृत जांच जारी है. उन्होंने बताया कि जल्द ही मामले में और लोगों को गिरफ्तार किया जा सकता है. गौरतलब है कि इससे पहले 2017 में जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़े शस्त्र लाइसेंस घोटाले का पता चला था जिसकी जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने की है.
इस संबंध में अहमदाबाद सिटी क्राइम ब्रांच के डीसीपी चैतन्य मंडलिक ने बताया कि इस बात की जानकारी मिलते ही दोनों एजेंटों को गिरफ्तार कर लिया गया है. आरोपी द्वारा पेश किए गए लाइसेंस का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में रक्षा चौकियों के आसपास आसानी से घुसने के लिए किया जा सकता है. हालांकि, यह एक बहुत ही गंभीर मामला है और अपराध शाखा इस अपराध में शामिल 20 अन्य लोगों के साथ आरोपी को पकड़ने की कोशिश कर रही है. क्राइम ब्रांच की एक टीम को जम्मू-कश्मीर भेजा गया है और गांधीनगर सहित अन्य जगहों पर आरोपियों की मदद करने वालों को पकड़ने के लिए अभियान शुरू किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि सेना के दक्षिणी कमान के सैन्य खुफिया प्रकोष्ठ ने ड्राइविंग लाइसेंस घोटाले का भंडाफोड़ किया, जिसके बाद 1991 से 2012 तक नौसेना में कार्यरत रहे संतोष सिंह और गांधीनगर में कार्यरत आटीओ एजेंट धवल रावत को गिरफ्तार किया गया, जो सुरक्षाबलों के फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर जम्मू-कश्मीर के व्यक्तियों को ड्राइविंग लाइसेंस मुहैया कराता था.
उन्होंने बताया कि शुक्रवार को पकड़े गए आरोपियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने 1000 से अधिक ड्राइविंग लाइसेंस अपने आकाओं को उपलब्ध कराए हैं. उन्होंने बताया कि वे उरी में रहने वाले इश्फाक, वसीम और नासिर मीर के कहने पर काम करते थे. उन्होंने बताया कि आरोपियों ने खुलासा किया कि इस साल ही उन्होंने 50 लाख रुपये की कमाई की है.