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'शो' शुरू होने से पहले ही पर्दा गिर गया...

रजनीकांत ने सबको चौंका दिया. अपनी पार्टी की घोषणा करने से दो दिन पहले सुपरस्टार ने राजनीति से ही तौबा कर ली. उन्होंने तीन पृष्ठों का पत्र जारी कर अपने फैंस से माफी मांगी है. रजनीकांत ने कहा कि राजनीति के लिए मैं आप लोगों की बलि नहीं चढ़ा सकता हूं. मेरा स्वास्थ्य अच्छा नहीं है. उन्होंने कहा कि यह मुझे ही पता है कि मैं कितने भारी मन से यह फैसला ले रहा हूं. उनके इस फैसले से द्रविड़ पार्टियों ने राहत की सांस ली है. पढ़िए एक विश्लेषण ईटीवी भारत के चेन्नई ब्यूरो प्रमुख एमसी राजन का.

रजनीकांत की फाइल फोटो
रजनीकांत की फाइल फोटो
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Published : Dec 29, 2020, 10:55 PM IST

चेन्नई : शो शुरू होने से पहले ही पर्दा गिर गया. सुपरस्टार रजनीकांत ने राजनीति में कदम नहीं रखने का फैसला किया. अधिकांश विश्लेषकों ने उनके फैसले की सराहना की है. द्रविड़ पार्टियों ने भी 'राहत की सांस' ली. लेकिन भाजपा और उनके करीबियों के लिए यह किसी 'तुषारापात' से कम नहीं रहा. रजनी के राजनीति में आने के फैसले से उन्हें बहुत उम्मीद थी.

सारी योजनाओं पर पानी फिरा
अन्नाथी फिल्म की शूटिंग के दौरान जबसे उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, ये कयास लगाए जा रहे थे कि कहीं राजनीति में आने का उनका फैसला लटक न जाए. वे अपने फैसले को टालते रहे. एक वक्त तो उन्होंने घोषणा कर दी थी कि नए साल पूर्व संध्या पर राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर देंगे. सूत्र ये भी बताते हैं कि 17 जनवरी को मुदरै में विशाल कॉन्फ्रेंस कराने की योजना भी बन गई थी. 17 जनवरी को ही एआईएडीएमके संस्थापक एमजीआर की जयंती मनाई जाती है. फिल्म जगत से वे पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. लेकिन रजनीकांत ने जैसे ही ना कह दी, सारी योजनाओं पर पानी फिर गया.

यह भी पढ़ें: रजनीकांत का यू-टर्न, राजनीति से की तौबा

भाजपा पर कोई असर नहीं
इस फैसले से भाजपा निराश नहीं, तो दुखी तो जरूर होगी. भाजपा के राज्य अध्यक्ष एल मुरुगन ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णा ने रजनीकांत के निर्णय पर निराशा जताई. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर यह हतोत्साहित करने वाल फैसला है. लेकिन ये उनका निर्णय है, इसलिए इसे स्वीकार करना ही होगा. भाजपा चाहती है कि राजनीति में निष्ठावान लोग आगे आएं. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इससे भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

यह भी पढ़ें: रजनीकांत से लोगों की बहुत उम्मीदें, फैसले का स्वागत : बड़े भाई सत्यनारायण

सोशल मीडिया पर कई मीम्स भी बने
डीएमके, नाम तमीलर, कांग्रेस और वाम पार्टियों ने भाजपा को खूब कोसा. इन पार्टियों ने कहा कि भाजपा ने रजनीकांत पर राजनीति में आने का दबाव बनाया था. विश्लेषकों का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह के तमिलनाडु दौरे के 15 दिनों के अंदर ही रजनीकांत ने अपने पोएस गार्डेन स्थित आवास ने पार्टी बनाने की घोषणा कर दी थी. लिहाजा, कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे. सोशल मीडिया पर कई मीम्स भी बनाए जा रहे थे, जहां रजनीकांत को भाजपा के हाथों की कठपुतली की तरह दिखाया जा रहा था.

यह भी पढ़ें: सुपरस्टार रजनीकांत के प्रशंसकों का दावा-एमजीआर की तरह जीतेंगे थलाइवर

फैसले से सबको हैरानी
राजनीतिक विश्लेषक आझी सेंथिलनाथन कहते हैं कि भाजपा के पास तमिलनाडु में कोई लोकप्रिय चेहरा नहीं है. भाजपा राष्ट्रवाद का मुद्दा उठा रही थी. लेकिन उसे एक सीमा के बाद कोई सफलता नहीं मिली. इसलिए पार्टी अपना आधार बढ़ाने के लिए रजनीकांत के नाम का इस्तेमाल कर रही थी. भाजपा की दूसरी पंक्ति के नेता मुखर होकर सामने आ रहे थे. लेकिन अब एक्टर के फैसले ने सबको हैरान कर दिया.

यह भी पढ़ें: रजनीकांत के राजनीतिक करियर पर एक नजर...

एआईएडीएमके के वोट शेयर पर रजनी का प्रभाव
वैसे, रजनीकांत की राजनीतिक लोकप्रियता का सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा रहा था. ऐसा माना जा रहा था कि रजनीकांत एआईएडीएमके के वोट शेयर में सेंध मार सकते थे. इसकी वजह - दोनों का समान सामाजिक आधार था. उम्मीद जताई जा रही थी कि राज्य में सरकार के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी का भी फायदा रजनीकांत को मिल सकता था. अन्यथा सरकार के खिलाफ सारा वोट डीएमके को ही मिलता.

डीएमके और एआईएडीएमके को राहत
अब जबकि रजनीकांत ने राजनीति में न आने का ऐलान कर दिया है, डीएमके और एआईएडीएमके, दोनों ने राहत की सांस ली है. हां, भाजपा फिर से निराश जरूर होगी. क्योंकि रजनीकांत फैक्टर की वजह से भाजपा एआईएडीएमके पर दबाव बनाने में कामयाब होती जा रही थी. भाजपा के कुछ समर्थकों ने तो भाजपा को रजनीकांत की पार्टी के साथ गठबंधन बनाने की सलाह भी दे दी थी. उनका कहना था कि भाजपा, रजनीकांत की पार्टी और एआईएडीएमके का गठबंधन बनाया जा सकता है. उन्होंने पीएमके, डीएमडीके, टीटीवी दिनाकरण तक को भी गठबंधन में जगह देने की वकालत कर दी थी.

यह भी पढ़ें: जानिए किसने रजनीकांत को राजनीति में प्रवेश नहीं करने की दी सलाह

भाजपा का स्वपन रखा रह गया
रजनीकांत को हमेशा ही दक्षिणपंथी राजनीति के साथ जोड़कर देखा जाता रहा है. लेकिन भाजपा के हाथ से अब रजनीकांत नाम का ट्रंप कार्ड चला गया. एआईएडीएमके अब भाजपा पर अपनी शर्त थोप सकती है. पार्टी ने भाजपा के साथ सरकार साझा करने के विचार को भी ज्यादा तवज्जो नहीं दी. मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के डॉ सी लक्ष्मणन का कहना है कि रजनीकांत की पीठ पर सवार होकर तमिलनाडु में राजनीतिक एंट्री करने का भाजपा का स्वपन रखा रह गया, या कहें तो एक तरीके से बैकफायर कर गया.

चेन्नई : शो शुरू होने से पहले ही पर्दा गिर गया. सुपरस्टार रजनीकांत ने राजनीति में कदम नहीं रखने का फैसला किया. अधिकांश विश्लेषकों ने उनके फैसले की सराहना की है. द्रविड़ पार्टियों ने भी 'राहत की सांस' ली. लेकिन भाजपा और उनके करीबियों के लिए यह किसी 'तुषारापात' से कम नहीं रहा. रजनी के राजनीति में आने के फैसले से उन्हें बहुत उम्मीद थी.

सारी योजनाओं पर पानी फिरा
अन्नाथी फिल्म की शूटिंग के दौरान जबसे उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, ये कयास लगाए जा रहे थे कि कहीं राजनीति में आने का उनका फैसला लटक न जाए. वे अपने फैसले को टालते रहे. एक वक्त तो उन्होंने घोषणा कर दी थी कि नए साल पूर्व संध्या पर राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर देंगे. सूत्र ये भी बताते हैं कि 17 जनवरी को मुदरै में विशाल कॉन्फ्रेंस कराने की योजना भी बन गई थी. 17 जनवरी को ही एआईएडीएमके संस्थापक एमजीआर की जयंती मनाई जाती है. फिल्म जगत से वे पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. लेकिन रजनीकांत ने जैसे ही ना कह दी, सारी योजनाओं पर पानी फिर गया.

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भाजपा पर कोई असर नहीं
इस फैसले से भाजपा निराश नहीं, तो दुखी तो जरूर होगी. भाजपा के राज्य अध्यक्ष एल मुरुगन ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री पोन राधाकृष्णा ने रजनीकांत के निर्णय पर निराशा जताई. उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर यह हतोत्साहित करने वाल फैसला है. लेकिन ये उनका निर्णय है, इसलिए इसे स्वीकार करना ही होगा. भाजपा चाहती है कि राजनीति में निष्ठावान लोग आगे आएं. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि इससे भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

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सोशल मीडिया पर कई मीम्स भी बने
डीएमके, नाम तमीलर, कांग्रेस और वाम पार्टियों ने भाजपा को खूब कोसा. इन पार्टियों ने कहा कि भाजपा ने रजनीकांत पर राजनीति में आने का दबाव बनाया था. विश्लेषकों का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह के तमिलनाडु दौरे के 15 दिनों के अंदर ही रजनीकांत ने अपने पोएस गार्डेन स्थित आवास ने पार्टी बनाने की घोषणा कर दी थी. लिहाजा, कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे. सोशल मीडिया पर कई मीम्स भी बनाए जा रहे थे, जहां रजनीकांत को भाजपा के हाथों की कठपुतली की तरह दिखाया जा रहा था.

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फैसले से सबको हैरानी
राजनीतिक विश्लेषक आझी सेंथिलनाथन कहते हैं कि भाजपा के पास तमिलनाडु में कोई लोकप्रिय चेहरा नहीं है. भाजपा राष्ट्रवाद का मुद्दा उठा रही थी. लेकिन उसे एक सीमा के बाद कोई सफलता नहीं मिली. इसलिए पार्टी अपना आधार बढ़ाने के लिए रजनीकांत के नाम का इस्तेमाल कर रही थी. भाजपा की दूसरी पंक्ति के नेता मुखर होकर सामने आ रहे थे. लेकिन अब एक्टर के फैसले ने सबको हैरान कर दिया.

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एआईएडीएमके के वोट शेयर पर रजनी का प्रभाव
वैसे, रजनीकांत की राजनीतिक लोकप्रियता का सिर्फ अंदाजा ही लगाया जा रहा था. ऐसा माना जा रहा था कि रजनीकांत एआईएडीएमके के वोट शेयर में सेंध मार सकते थे. इसकी वजह - दोनों का समान सामाजिक आधार था. उम्मीद जताई जा रही थी कि राज्य में सरकार के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी का भी फायदा रजनीकांत को मिल सकता था. अन्यथा सरकार के खिलाफ सारा वोट डीएमके को ही मिलता.

डीएमके और एआईएडीएमके को राहत
अब जबकि रजनीकांत ने राजनीति में न आने का ऐलान कर दिया है, डीएमके और एआईएडीएमके, दोनों ने राहत की सांस ली है. हां, भाजपा फिर से निराश जरूर होगी. क्योंकि रजनीकांत फैक्टर की वजह से भाजपा एआईएडीएमके पर दबाव बनाने में कामयाब होती जा रही थी. भाजपा के कुछ समर्थकों ने तो भाजपा को रजनीकांत की पार्टी के साथ गठबंधन बनाने की सलाह भी दे दी थी. उनका कहना था कि भाजपा, रजनीकांत की पार्टी और एआईएडीएमके का गठबंधन बनाया जा सकता है. उन्होंने पीएमके, डीएमडीके, टीटीवी दिनाकरण तक को भी गठबंधन में जगह देने की वकालत कर दी थी.

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भाजपा का स्वपन रखा रह गया
रजनीकांत को हमेशा ही दक्षिणपंथी राजनीति के साथ जोड़कर देखा जाता रहा है. लेकिन भाजपा के हाथ से अब रजनीकांत नाम का ट्रंप कार्ड चला गया. एआईएडीएमके अब भाजपा पर अपनी शर्त थोप सकती है. पार्टी ने भाजपा के साथ सरकार साझा करने के विचार को भी ज्यादा तवज्जो नहीं दी. मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के डॉ सी लक्ष्मणन का कहना है कि रजनीकांत की पीठ पर सवार होकर तमिलनाडु में राजनीतिक एंट्री करने का भाजपा का स्वपन रखा रह गया, या कहें तो एक तरीके से बैकफायर कर गया.

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