नई दिल्ली : राज्यसभा से जब कांग्रेस के नेता गुलामनबी आजाद रिटायर हो रहे थे, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके फेयरवेल भाषण देते देते भावुक हो गए थे और तभी से अटकलों का बाजार गर्म था, कि आजाद जल्दी ही बीजेपी के खेमे में आ सकते हैं. अब जाकर इन अटकलबाजियों पर पूर्ण विराम लग गया है. हालांकि गुलामनबी आजाद ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लिहाजा बातें जारी हैं. लेकिन सूत्रों की माने तो वो जल्द ही अपनी पार्टी बनाने वाले हैं, जिसे बीजेपी समर्थन दे सकती है.
जिस तेवर में उन्होंने कश्मीर की जनता का आह्वान करते हुए कहा कि वो कश्मीर उनके पास आ रहे हैं, उसे देखते हुए खा जा सकता है कि कश्मीर में अब जल्द ही राजनीतिक हलचल बढ़ सकती है. हो सकता है कि गुजरात और हिमाचल के चुनाव के साथ-साथ कश्मीर में भी सरकार चुनाव करवाने की घोषणा कर दे और 2024 से पहले वहां एक चुनी हुई सरकार स्थापित हो जाए ताकि गुपकार अलाइंस के बार-बार उठाने वाले मुद्दे और सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने का मुद्दा कुछ हद तक दबाया जा सके,.
आजाद ने पांच पन्ने की अपने इस्तीफे की चिट्ठी सोनिया गांधी के नाम लिखी है, जिसमे उन्होंने सोनिया गांधी की तो बड़ाई की है, लेकिन राहुल गांधी से नाखुश नजर आए हैं. उन्होंने लिखा है, 'पार्टी के सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को किनारे कर दिया गया है, और अब अनुभवहीन चाटुकारों की मंडली पार्टी चला रही है.' साथ ही उन्होंने यूपीए वन और यूपीए टू की सोनिया गांधी द्वारा चलाई गई सरकार की भी तारीफ की है.
इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने जब बीजेपी के जम्मू कश्मीर प्रभारी तरुण चुग से बात की तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो गया है, और एक-एक कर सभी नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं, उन्होंने कहा कि ये उनकी पार्टी का अंदरूनी मामला है, लेकिन जिस तरह से सूखे पेड़ से पत्ते टूट-टूटकर गिरते हैं वैसे ही कांग्रेस के एक एक नेता साथ छोड़कर जा रहे हैं.
वहीं जम्मू कश्मीर के बीजेपी अध्यक्ष रवींद्र रैना ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कांग्रेस पर ये आरोप लगाया, कि गुलामनबी आजाद को कांग्रेस ने प्रताड़ित किया है, उनको अपमानित किया गया है और उन्हें मजबूर किया गया है कि वो त्यागपत्र दें. लेकिन ये कांग्रेस की डूबती नैया में आखरी कील है, रैना ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ नेहरू गांधी खानदान की रिमोट से चलती है, उनको समर्थन देने की बात पर रविंद्र रैना का कहना है कि ये उनका फैसला है, बीजेपी अकेले चुनाव में जाएगी और सरकार बनाएगी, जहांतक चुनाव कराने का सवाल है ये चुनाव आयोग का क्षेत्राधिकार है.
बहरहाल बीजेपी भले ही इसे कांग्रेस का मुद्दा बता रही मगर आजाद के इस्तीफे ने जम्मू कश्मीर की राजनीति में हलचल जरूर ला दी है और ये भी कयास लगाए जा रहे कि जल्द ही वहां सरकार चुनाव भी करा सकती है.
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