हैदराबाद : तेलंगाना में भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी और सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) प्रमुख के.चंद्रशेखर राव जैसे शीर्ष नेताओं के धुंआधार चुनाव प्रचार के बाद अब गुरुवार को 119 सदस्यीय राज्य विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. राज्य भर में 35,655 मतदान केंद्र बनाए गए हैं जहां कुल पंजीकृत 3.26 करोड़ मतदाता हैं.
आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि 106 निर्वाचन क्षेत्रों में सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक और 13 वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित निर्वाचन क्षेत्रों में सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक मतदान होगा. 2,290 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव, उनके मंत्री-बेटे के. टी. रामाराव, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी और भाजपा के लोकसभा सदस्य बी. संजय कुमार और डी अरविंद शामिल हैं. निर्वाचन आयोग द्वारा नौ अक्टूबर को चुनावों की तारीख घोषित किए जाने के बाद से ही राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू है.
तेलंगाना में सत्तारूढ़ बीआरएस ने सभी 119 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि भाजपा सीट बंटवारे के समझौते के अनुसार स्वयं 111 सीटों पर लड़ रही है और शेष आठ सीटें अभिनेता पवन कल्याण की अगुवाई वाली जन सेना के लिए छोड़ी है, कांग्रेस ने अपनी सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा)को एक सीट दी है और स्वयं शेष 118 सीट पर लड़ रही है. असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) ने हैदराबाद शहर के नौ निर्वाचन क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं.
बीआरएस 2014 में शुरू हुई अपनी जीत के सिलसिले को आगे भी कायम रखने को लेकर उत्सुक है जबकि कांग्रेस 2018 में और उससे चार साल पहले हारने के बाद सत्ता पर काबिज होने के लिए संघर्ष कर रही है. कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान ही तेलंगाना को अविभाजित आंध्र प्रदेश से अलग कर राज्य का दर्जा दिया गया था. इस दक्षिणी राज्य में पहली बार सत्ता में आने के लिए भाजपा भी कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
मुख्यमंत्री राव दो निर्वाचन क्षेत्रों गजवेल और कामारेड्डी में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. वह निवर्तमान विधान सभा में गजवेल का प्रतिनिधित्व करते हैं. कामारेड्डी और गजवेल में रोमांचक मुकाबले देखने को मिल रहा है. कांग्रेस ने कामारेड्डी में मुख्यमंत्री का मुकाबला करने के लिए अपने प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी को मैदान में उतारा है जबकि भाजपा उम्मीदवार वेंकट रमण रेड्डी भी मजबूत माने जा रहे हैं. गजवेल में भाजपा ने मुख्यमंत्री राव के खिलाफ अपने चुनाव अभियान अध्यक्ष एटाला राजेंद्र को मैदान में उतारा है. लोकसभा सदस्य रेवंत रेड्डी कोडंगल से भी चुनाव लड़ रहे हैं, जिसका उन्होंने पहले प्रतिनिधित्व किया था. भाजपा के राजेंद्र हुजुराबाद से दोबारा विधानसभा पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
अपने चुनाव प्रचार अभियान के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य की राजधानी हैदराबाद में एक विशाल रोड शो किया और इसके अलावा, कामारेड्डी, निर्मल, महेश्वरम और करीमनगर सहित राज्य में लगातार तीन दिनों तक कई जनसभाओं को संबोधित किया. उन्होंने 'भाजपा की बीसी आत्मा गौरव सभा' (पिछड़ा वर्ग स्वाभिमान बैठक) और मडिगा रिजर्वेशन पोराटा समिति (एमआरपीएस) द्वारा आयोजित एक सार्वजनिक बैठक में भी हिस्सा लिया था.
मोदी ने कहा था कि केंद्र जल्द ही एक समिति बनाएगा जो अनुसूचित जाति के वर्गीकरण की मडिगा जाति की मांग के संबंध में उसे (एक एससी समुदाय) सशक्त बनाने के लिए सभी संभावित तरीके अपनाएगी. मोदी के अलावा, भाजपा के कई वरिष्ठ नेता-केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा और तमिलनाडु भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने राज्य में पार्टी के लिए चुनाव प्रचार किया. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार किया.
अपने चुनावी घोषणापत्र के मुद्दों के अलावा, भाजपा ने अपने चुनाव अभियान के दौरान पिछड़ी जाति के नेता को मुख्यमंत्री बनाने और मडिगा समुदाय के लोगों के सशक्तिकरण और अयोध्या में भगवान राम मंदिर की मुफ्त यात्रा की व्यवस्था करने के अपने वादे को रेखांकित किया. भाजपा ने अपने अभियान के दौरान 'डबल इंजन सरकार' चुनने की आवश्यकता पर जोर दिया और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के ‘परिवार शासन’ और कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया.
बीआरएस के लिए, मुख्यमंत्री राव ने प्रचार अभियान के दौरान 96 जनसभाओं को संबोधित किया. बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष और के.चंद्रशेखर राव के बेटे के. टी. रामा राव ने भी पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में धुंआधार प्रचार किया. पार्टी का चुनाव अभियान पिछली कांग्रेस सरकार की विफलताओं और किसानों, महिलाओं तथा समाज के अन्य वर्गों के लिए चल रहे कल्याणकारी योजनाओं पर केंद्रित था. राव ने तेलंगाना राज्य का दर्जा हासिल करने के लिए अपने संघर्ष पर भी प्रकाश डाला.
कांग्रेस का चुनाव प्रचार विस्तृत रहा। सबसे पुरानी पार्टी के अभियान का नेतृत्व मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और रेवंत रेड्डी ने किया. कांग्रेस के प्रचार अभियान के केंद्र में बीआरएस सरकार का कथित भ्रष्टाचार और पार्टी की ओर से सत्ता में आने पर दी जाने वाली छह गांरटी रहा. बीआरएस, कांग्रेस और भाजपा के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने भी राज्य में चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी विकास राज ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के लिए 2.5 लाख से अधिक कर्मचारियों को ड्यूटी पर लगाया गया है। मतों की गिनती तीन दिसंबर को होगी. तेलंगाना में पहली बार दिव्यांगों और 80 वर्ष से अधिक उम्र के मतदाताओं को घर पर मतदान की सुविधा प्रदान की जाएगी. निर्वाचन आयोग ने आईटी कंपनियों सहित सभी निजी प्रतिष्ठानों को 30 नवंबर को छुट्टी घोषित करने का आदेश दिया है ताकि कर्मचारी अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें.
ये भी पढ़ें - राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म होते ही, INDIA गठबंधन पर ध्यान केंद्रित करेगी कांग्रेस पार्टी