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12 साल बाद बूंदी रियासत के 26वें पूर्व महाराजा बने वंशवर्धन सिंह

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Published : Apr 2, 2022, 8:47 PM IST

राजस्थान में हाड़ा वंश की सबसे पुरानी रियासत बूंदी के 26वें पूर्व महाराव राजा के तौर पर शनिवार को वंशवर्धन सिंह (Vanshvardhan Singh became former Maharaja of Bundi) को पाग धारण करवाई गई. इस दौरान राजसी परम्पराओं और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच वंशवर्धन सिंह का राजतिलक किया गया.

vanshvardhan singh became the 26th former maharaja of bundi
26वें पूर्व महाराजा बने वंशवर्धन सिंह

बूंदी. हाड़ा वंश की सबसे पुरानी रियासत बूंदी के 26वें पूर्व महाराव राजा के तौर पर वंशवर्धन सिंह (Vanshvardhan Singh became former Maharaja of Bundi) ने शनिवार को देशभर के कई ठिकानेदार राजपरिवारों की मौजूदगी में पाग धारण की. उन्हें बूंदी रियासत के भाणेज और पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह ने पाग धारण करवाई. विक्रम संवत नव संवत्सर के पावन अवसर पर राजसी परम्पराओं और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच वंशवर्धन सिंह का राजतिलक किया गया . इसके साथ ही 12 वर्ष से रिक्त बूंदी पूर्व राज परिवार के मुखिया तौर पर अब वंशवर्धनसिंह पहचाने जाएंगे.

यूं चला ताजपोशी का कार्यक्रमः सुबह माताजी का चौकी मोती महल में स्नान-अभिषेक के बाद वंशवर्धन सिंह ने आशापुरा माता मंदिर, रंगनाथजी मंदिर और मोती महल में सतियों की पूजा अर्चना की. सुबह दस बजे से गणमान्य लोग और आमंत्रित राजपरिवार, ठिकानेदार और पारीवारिक सदस्यों के साथ विशिष्टजनों का आगमन शुरू हुआ . देखते ही देखते मोती महल प्रांगण श्वेत वस्त्र और केसरिया साफे वाले लोगों से भर गया.

अलवर के पूर्व महाराजा ने धारण करवाई पाग
अलवर के पूर्व महाराजा ने धारण करवाई पाग

ढोल नगाड़ों की आवाज के बीच वंशवर्धनसिंह मोती महल गार्डन में आए . इसके बाद रंगनाथजी मंदिर से स्वर्गीय पूर्व महाराव राजा की पाग लाई गई. राजपुरोहित रमेश शर्मा, राजव्यास साक्षी गोपाल और राज आचार्य दयानंद दाधीच कीओर से करवाई जा रही पारम्परिक क्रियाविधि और मंत्रोच्चार के बीच भंवर जितेन्द्रसिंह ने वंशवर्धन सिंह को पाग धारण करवाई. इसके बाद राजपुरोहित रमेश शर्मा ने राजतिलक किया .

राजपरिवारों की ओर से दस्तूर पेशः अलवर पूर्व महाराजा भंवर जितेन्द्रसिंह ने वंशवर्धन सिंह को दस्तूर झिलाया. इसके बाद वंशवर्धन सिंह के ससुराल ठिकाना धनानी के ठाकुर दीपसिंह चम्पावत की ओर से दस्तूर पेश किया . फिर कोटा राजपरिवार की ओर से भेजे गए दस्तूर को भेंट किया गया . इसके बाद वंशवर्धन सिंह के परिवार की ओर से दस्तूर दिया गया . इसके साथ कोटड़ियात और ठिकानेदारों की ओर से दस्तूर, नजर निछरावल पेश की गई . बाद में अलग—अलग समाज के लोगों ने भी नए महाराव राजा वंशवर्धनसिंह को निछरावल पेश की .

आराध्य की आराधनाः नए महारावल ने आशापुरा माता मंदिर, मोतीमहल की सतियों को ढोक (नमस्कार) लगाई . अमरकंद और समरकंद के झरोखे में बैठे और बूंदी के आराध्य रंगनाथजी के मंदिर में ढोक लगाई . इसके बाद पुष्पवर्षा के बीच गढ़ पैलेस की ओर रवाना हुए . वहां पर सतियों, बालाजी व दरबार के खड़ाउं को धोक लगाकर रतन दौलत में नजर दस्तूर कार्यक्रम हुआ. यहां पर जागीरदारों ने नजर दस्तूर पेश की.

कार्यक्रम में यह रहे मौजूदः इसके बाद शाम को बूंदी शहर में जुलूस निकाल गया . इस आयोजन में बीकानेर के पूर्व महाराजा रविराज सिंह, पूर्व राज्यपाल एवं बदनौर के पूर्व महाराज वीपी सिंह, सिरोही के पूर्वमहाराजा पद्मश्री रघुवीर सिंह, अलवर के पूर्वमहाराज कुमार मानवेन्द्र प्रताप सिंह, अलवर के पूर्व महाराज कुमार, कापरेन के पूर्व महाराज बलभद्रसिंह, खिल्चिपुर रियासत के राजा प्रियवृत्त सिंह, राघौगढ़ मध्यप्रदेश के पूर्व महाराज कुमार जयवर्धनसिंह, कच्छ के पूर्वयुवराज प्रतापसिंह, भीण्डर के रणधीरसिंह समेत बड़ी संख्या में रजवाड़ों, ठिकानेदारों ने आयोजन में मौजूद रहे.

अफसरशाही और जनप्रतिनिधि भी रहे मौजूदः कार्यक्रम आयोजन समिति के पुरुषोत्तम पारीक के अनुसार इस मौके पर राजस्थान सरकार के युवा मामलों और खेल के मंत्री अशोक चांदना, बूंदी के विधायक अशोक डोगरा, सैनिक कल्याण बोर्ड के चेयरमैन मानवेन्द्रसिंह जसोल, पीपल्दा के विधायक रामनारायण मीणा, जिला प्रमुख चन्द्रावती कंवर, पूर्व मंत्री हरिमोहन शर्मा, महिला आयोग की पूर्व चेयरमैन ममता शर्मा, जिला कलक्टर रेणु जयपाल, पुलिस अधीक्षक जय यादव, पूर्व जिला प्रमुख राकेश बोयत समेत कई जनप्रतिनिधि इस इस आयोजन के साक्षी बने.

जालोर की गेर रही आकर्षण का केन्द्रः इस अद्भुत आयोजन में जालोर से आए प्रसिद्ध गेयर नर्तकों ने भी अपनी शानदार प्रस्तुतियों से समां बांध दिया. मारवाड़ी वेशभूषा में शामिल कलाकारों ने ढोल-नगाड़ों की थाप और घुंघुरूं की छनक के बीच माहौल में अनूठा सांस्कृतिक रस घोल दिया. कार्यक्रम में शामिल होने आए लोगों ने नृत्य का खूब आनंद लिया. इस आयोजन के दौरान हर कहीं श्वेत वस्त्रधारी केसरिया साफा पहने लोग नजर आए . तोप के धमाकों के बीच जयकारों ने भी माहौल को अनूठा रंग प्रदान किया. बूंदी के लोगों ने जगह-जगह वंशवर्धनसिंह का स्वागत किया.

राजपूताने का प्राचीन राजवंश है बूंदीः बूंदी की रियासत राजपूताने की एक प्राचीन रियासत मानी जाती है. इसकी स्थापना महाराव देवा हाड़ा ने सन् 1242 में की थी. बूंदी राजवंश में कई प्रतापी शासक हुए हैं. राजपूताने के चौहान वंश के हाड़ा कुल की प्रथम रियासत है. वंशवर्धन सिंह का जन्म कापरेन ठिकाने के पूर्व महाराजधिराज बलभद्र सिंह हाड़ा के घर 8 जनवरी 1987 को हुआ. इनकी प्राथमिक शिक्षा डेली कॉलेज इंदौर मध्यप्रदेश से हुई. कॉलेज शिक्षा इंग्लैण्ड लीस्टर की डी मॉंटफोर्ट यूनीवर्सिटी से हुई. आपने व्यवसाय प्रबंधन में कनाडा से स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की. दो वर्ष तक आपने अनुभव के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में प्रबंधन का काम संभाला. 2013 में वंशवर्धन सिंह बूंदी लौट आए. इन्हें वंश परम्परा के अनुसार पूर्व महाराजा रणजीतसिंह का उत्तराधिकारी बनाया गया है. वंशवर्धन सिंह का विवाह दीप सिंह धनानी की पुत्री मयूराक्षी कुमारी से वर्ष 2016 में हुआ. वंशवर्धन सिंह और मयूराक्षी के दो वर्षीय पुत्र वज्रनाभ सिंह भी हैं. वंशवर्धन सिंह की शुरू से ही खेलों में विशेष रुचि रही है और उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक भी जीते हैं.

जन्मदिन पर वज्रनाभ बने पूर्व महाराज कुमारः वंशवर्धन सिंह के दो वर्षीय पुत्र वज्रनाभसिंह का 2 अप्रैल को जन्मदिन आता है उनका जन्म 2 अप्रैल 2020 को हुआ था . अपने ​जन्मदिन दो अप्रैल के दिन ही उनके पिता वंशवर्धन सिंह बूंदी के 26वें पूर्व महाराव राजा के तौर और मयूराक्षी के पूर्व महारानी की पदवी धारण करते ही वज्रनाभ अब बूंदी के पूर्व महाराज कुमार के तौर पर पहचाने जाएंगे.

पढ़ें. New Maharao King : दुल्हन की तरह सजा बूंदी, नए महाराव राजा के तौर पर पाग धारण करेंगे वंशवर्धन सिंह...

पढ़ें- राजस्थान में राज परिवारों का सियासी सफर : अवसर के साथ रियासतें बदलती रहीं सियासत...

बूंदी. हाड़ा वंश की सबसे पुरानी रियासत बूंदी के 26वें पूर्व महाराव राजा के तौर पर वंशवर्धन सिंह (Vanshvardhan Singh became former Maharaja of Bundi) ने शनिवार को देशभर के कई ठिकानेदार राजपरिवारों की मौजूदगी में पाग धारण की. उन्हें बूंदी रियासत के भाणेज और पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह ने पाग धारण करवाई. विक्रम संवत नव संवत्सर के पावन अवसर पर राजसी परम्पराओं और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच वंशवर्धन सिंह का राजतिलक किया गया . इसके साथ ही 12 वर्ष से रिक्त बूंदी पूर्व राज परिवार के मुखिया तौर पर अब वंशवर्धनसिंह पहचाने जाएंगे.

यूं चला ताजपोशी का कार्यक्रमः सुबह माताजी का चौकी मोती महल में स्नान-अभिषेक के बाद वंशवर्धन सिंह ने आशापुरा माता मंदिर, रंगनाथजी मंदिर और मोती महल में सतियों की पूजा अर्चना की. सुबह दस बजे से गणमान्य लोग और आमंत्रित राजपरिवार, ठिकानेदार और पारीवारिक सदस्यों के साथ विशिष्टजनों का आगमन शुरू हुआ . देखते ही देखते मोती महल प्रांगण श्वेत वस्त्र और केसरिया साफे वाले लोगों से भर गया.

अलवर के पूर्व महाराजा ने धारण करवाई पाग
अलवर के पूर्व महाराजा ने धारण करवाई पाग

ढोल नगाड़ों की आवाज के बीच वंशवर्धनसिंह मोती महल गार्डन में आए . इसके बाद रंगनाथजी मंदिर से स्वर्गीय पूर्व महाराव राजा की पाग लाई गई. राजपुरोहित रमेश शर्मा, राजव्यास साक्षी गोपाल और राज आचार्य दयानंद दाधीच कीओर से करवाई जा रही पारम्परिक क्रियाविधि और मंत्रोच्चार के बीच भंवर जितेन्द्रसिंह ने वंशवर्धन सिंह को पाग धारण करवाई. इसके बाद राजपुरोहित रमेश शर्मा ने राजतिलक किया .

राजपरिवारों की ओर से दस्तूर पेशः अलवर पूर्व महाराजा भंवर जितेन्द्रसिंह ने वंशवर्धन सिंह को दस्तूर झिलाया. इसके बाद वंशवर्धन सिंह के ससुराल ठिकाना धनानी के ठाकुर दीपसिंह चम्पावत की ओर से दस्तूर पेश किया . फिर कोटा राजपरिवार की ओर से भेजे गए दस्तूर को भेंट किया गया . इसके बाद वंशवर्धन सिंह के परिवार की ओर से दस्तूर दिया गया . इसके साथ कोटड़ियात और ठिकानेदारों की ओर से दस्तूर, नजर निछरावल पेश की गई . बाद में अलग—अलग समाज के लोगों ने भी नए महाराव राजा वंशवर्धनसिंह को निछरावल पेश की .

आराध्य की आराधनाः नए महारावल ने आशापुरा माता मंदिर, मोतीमहल की सतियों को ढोक (नमस्कार) लगाई . अमरकंद और समरकंद के झरोखे में बैठे और बूंदी के आराध्य रंगनाथजी के मंदिर में ढोक लगाई . इसके बाद पुष्पवर्षा के बीच गढ़ पैलेस की ओर रवाना हुए . वहां पर सतियों, बालाजी व दरबार के खड़ाउं को धोक लगाकर रतन दौलत में नजर दस्तूर कार्यक्रम हुआ. यहां पर जागीरदारों ने नजर दस्तूर पेश की.

कार्यक्रम में यह रहे मौजूदः इसके बाद शाम को बूंदी शहर में जुलूस निकाल गया . इस आयोजन में बीकानेर के पूर्व महाराजा रविराज सिंह, पूर्व राज्यपाल एवं बदनौर के पूर्व महाराज वीपी सिंह, सिरोही के पूर्वमहाराजा पद्मश्री रघुवीर सिंह, अलवर के पूर्वमहाराज कुमार मानवेन्द्र प्रताप सिंह, अलवर के पूर्व महाराज कुमार, कापरेन के पूर्व महाराज बलभद्रसिंह, खिल्चिपुर रियासत के राजा प्रियवृत्त सिंह, राघौगढ़ मध्यप्रदेश के पूर्व महाराज कुमार जयवर्धनसिंह, कच्छ के पूर्वयुवराज प्रतापसिंह, भीण्डर के रणधीरसिंह समेत बड़ी संख्या में रजवाड़ों, ठिकानेदारों ने आयोजन में मौजूद रहे.

अफसरशाही और जनप्रतिनिधि भी रहे मौजूदः कार्यक्रम आयोजन समिति के पुरुषोत्तम पारीक के अनुसार इस मौके पर राजस्थान सरकार के युवा मामलों और खेल के मंत्री अशोक चांदना, बूंदी के विधायक अशोक डोगरा, सैनिक कल्याण बोर्ड के चेयरमैन मानवेन्द्रसिंह जसोल, पीपल्दा के विधायक रामनारायण मीणा, जिला प्रमुख चन्द्रावती कंवर, पूर्व मंत्री हरिमोहन शर्मा, महिला आयोग की पूर्व चेयरमैन ममता शर्मा, जिला कलक्टर रेणु जयपाल, पुलिस अधीक्षक जय यादव, पूर्व जिला प्रमुख राकेश बोयत समेत कई जनप्रतिनिधि इस इस आयोजन के साक्षी बने.

जालोर की गेर रही आकर्षण का केन्द्रः इस अद्भुत आयोजन में जालोर से आए प्रसिद्ध गेयर नर्तकों ने भी अपनी शानदार प्रस्तुतियों से समां बांध दिया. मारवाड़ी वेशभूषा में शामिल कलाकारों ने ढोल-नगाड़ों की थाप और घुंघुरूं की छनक के बीच माहौल में अनूठा सांस्कृतिक रस घोल दिया. कार्यक्रम में शामिल होने आए लोगों ने नृत्य का खूब आनंद लिया. इस आयोजन के दौरान हर कहीं श्वेत वस्त्रधारी केसरिया साफा पहने लोग नजर आए . तोप के धमाकों के बीच जयकारों ने भी माहौल को अनूठा रंग प्रदान किया. बूंदी के लोगों ने जगह-जगह वंशवर्धनसिंह का स्वागत किया.

राजपूताने का प्राचीन राजवंश है बूंदीः बूंदी की रियासत राजपूताने की एक प्राचीन रियासत मानी जाती है. इसकी स्थापना महाराव देवा हाड़ा ने सन् 1242 में की थी. बूंदी राजवंश में कई प्रतापी शासक हुए हैं. राजपूताने के चौहान वंश के हाड़ा कुल की प्रथम रियासत है. वंशवर्धन सिंह का जन्म कापरेन ठिकाने के पूर्व महाराजधिराज बलभद्र सिंह हाड़ा के घर 8 जनवरी 1987 को हुआ. इनकी प्राथमिक शिक्षा डेली कॉलेज इंदौर मध्यप्रदेश से हुई. कॉलेज शिक्षा इंग्लैण्ड लीस्टर की डी मॉंटफोर्ट यूनीवर्सिटी से हुई. आपने व्यवसाय प्रबंधन में कनाडा से स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की. दो वर्ष तक आपने अनुभव के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में प्रबंधन का काम संभाला. 2013 में वंशवर्धन सिंह बूंदी लौट आए. इन्हें वंश परम्परा के अनुसार पूर्व महाराजा रणजीतसिंह का उत्तराधिकारी बनाया गया है. वंशवर्धन सिंह का विवाह दीप सिंह धनानी की पुत्री मयूराक्षी कुमारी से वर्ष 2016 में हुआ. वंशवर्धन सिंह और मयूराक्षी के दो वर्षीय पुत्र वज्रनाभ सिंह भी हैं. वंशवर्धन सिंह की शुरू से ही खेलों में विशेष रुचि रही है और उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक भी जीते हैं.

जन्मदिन पर वज्रनाभ बने पूर्व महाराज कुमारः वंशवर्धन सिंह के दो वर्षीय पुत्र वज्रनाभसिंह का 2 अप्रैल को जन्मदिन आता है उनका जन्म 2 अप्रैल 2020 को हुआ था . अपने ​जन्मदिन दो अप्रैल के दिन ही उनके पिता वंशवर्धन सिंह बूंदी के 26वें पूर्व महाराव राजा के तौर और मयूराक्षी के पूर्व महारानी की पदवी धारण करते ही वज्रनाभ अब बूंदी के पूर्व महाराज कुमार के तौर पर पहचाने जाएंगे.

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