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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 12 साल बाद परिवार से मिली तस्करी की शिकार महिला - अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर परिवार से मिली महिला

महिला के बयान के मुताबिक, जब वह महज आठ साल की थी, तब उसके पिता को एक तस्कर ने शिक्षा के झूठे वादों का लालच दिया था और उसकी सौतेली मां ने उसे असम में एक व्यक्ति को बेच दिया था.

12 साल बाद परिवार से मिली तस्करी की शिकार महिला
12 साल बाद परिवार से मिली तस्करी की शिकार महिला
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Published : Mar 8, 2022, 5:17 PM IST

ईटानगर: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के मौके पर एक परिवार को खुशियां वापस मिल गईं. बता दें, करीब 12 साल पहले एक परिवार की महिला की तस्करी कर ली गई थी. महिला दिवस से एक दिन पहले वह महिला अपने परिवार से दोबारा मिल सकी. महिला को परिवार से मिलाने में अरुणाचल महिला हेल्पलाइन का खासा योगदान रहा, जिसे पिछले महीने फरवरी में पापू हिल पुलिस स्टेशन के तहत एक क्षेत्र में बाल तस्करी और घरेलू हिंसा से बचे एक व्यक्ति के बारे में जानकारी मिली थी. जानकारी के मुताबिक इस महिला को एक कल्याणकारी निकाय द्वारा संचालित स्वाधार गृह (शॉर्ट स्टे होम) में सुरक्षा, परामर्श और आश्रय प्रदान किया गया था.
तस्करी का यह मामला अरुणाचल प्रदेश राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (एचपीएसएलएसए) को भेजा गया, जिसने यह सुनिश्चित करने के लिए मामला उठाया कि वह अपने परिवार से मिल गई है. महिला के बयान के मुताबिक, जब वह महज आठ साल की थी, तब उसके पिता को एक तस्कर ने शिक्षा के झूठे वादों का लालच दिया था और उसकी सौतेली मां ने उसे असम में एक व्यक्ति को बेच दिया था. कुछ ही घंटों के भीतर तस्कर उसे अरुणाचल-असम सीमा पर बांदेरदेवा ले गए और उसे घरेलू सहायिका के रूप में एक स्थानीय को बेच दिया.

उसने आगे बताया कि उसे कुछ ही हफ्तों बाद उसे स्थानीय व्यक्ति द्वारा बेच दिया गया था. जिस व्यक्ति ने उसे खरीदा था, वह उसे जंगल में ले गया, दुष्कर्म किया और उसे अपनी दूसरी पत्नी घोषित कर दिया. पांच बच्चों के इस पिता ने अपनी पहली पत्नी से कहा कि इससे घर के सारे काम करवाओ. इस महिला ने उसके पांच बच्चों की देखभाल की और दो बच्चों को जन्म भी दिया. उसने बताया कि उस पर कई तरह के अत्याचार किए गए. उसके घर से निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया और किसी भी तरह के सोशल मीडिया का प्रयोग करने पर पाबंदी लगा दी गई. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उसे मुक्ति मिली.

पढ़ें: International Women's Day: लखनऊ की सड़कों पर मातृशक्ति का सैलाब, जश्न में शामिल हुईं प्रियंका

पुरानी बातों को याद करते हुए वह कहती है कि उसके परिवार वाले उसे याना कहते थे और उसके बड़े भाई का नाम अकरमुल था. उसने बताया कि असम में उसका गांव है. एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि उसके मामले को तुरंत लखीमपुर के वन स्टॉप सेंटर में भेजा गया, जिससे उसके परिवार का पता लगाने में मदद मिल सके.

ईटानगर: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2022 के मौके पर एक परिवार को खुशियां वापस मिल गईं. बता दें, करीब 12 साल पहले एक परिवार की महिला की तस्करी कर ली गई थी. महिला दिवस से एक दिन पहले वह महिला अपने परिवार से दोबारा मिल सकी. महिला को परिवार से मिलाने में अरुणाचल महिला हेल्पलाइन का खासा योगदान रहा, जिसे पिछले महीने फरवरी में पापू हिल पुलिस स्टेशन के तहत एक क्षेत्र में बाल तस्करी और घरेलू हिंसा से बचे एक व्यक्ति के बारे में जानकारी मिली थी. जानकारी के मुताबिक इस महिला को एक कल्याणकारी निकाय द्वारा संचालित स्वाधार गृह (शॉर्ट स्टे होम) में सुरक्षा, परामर्श और आश्रय प्रदान किया गया था.
तस्करी का यह मामला अरुणाचल प्रदेश राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (एचपीएसएलएसए) को भेजा गया, जिसने यह सुनिश्चित करने के लिए मामला उठाया कि वह अपने परिवार से मिल गई है. महिला के बयान के मुताबिक, जब वह महज आठ साल की थी, तब उसके पिता को एक तस्कर ने शिक्षा के झूठे वादों का लालच दिया था और उसकी सौतेली मां ने उसे असम में एक व्यक्ति को बेच दिया था. कुछ ही घंटों के भीतर तस्कर उसे अरुणाचल-असम सीमा पर बांदेरदेवा ले गए और उसे घरेलू सहायिका के रूप में एक स्थानीय को बेच दिया.

उसने आगे बताया कि उसे कुछ ही हफ्तों बाद उसे स्थानीय व्यक्ति द्वारा बेच दिया गया था. जिस व्यक्ति ने उसे खरीदा था, वह उसे जंगल में ले गया, दुष्कर्म किया और उसे अपनी दूसरी पत्नी घोषित कर दिया. पांच बच्चों के इस पिता ने अपनी पहली पत्नी से कहा कि इससे घर के सारे काम करवाओ. इस महिला ने उसके पांच बच्चों की देखभाल की और दो बच्चों को जन्म भी दिया. उसने बताया कि उस पर कई तरह के अत्याचार किए गए. उसके घर से निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया और किसी भी तरह के सोशल मीडिया का प्रयोग करने पर पाबंदी लगा दी गई. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उसे मुक्ति मिली.

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पुरानी बातों को याद करते हुए वह कहती है कि उसके परिवार वाले उसे याना कहते थे और उसके बड़े भाई का नाम अकरमुल था. उसने बताया कि असम में उसका गांव है. एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि उसके मामले को तुरंत लखीमपुर के वन स्टॉप सेंटर में भेजा गया, जिससे उसके परिवार का पता लगाने में मदद मिल सके.

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